Child Pneumonia: ये हैं बच्चे को निमोनिया होने के संकेत, जानिए कारण और सही उपचार
punjabkesari.in Tuesday, Jan 16, 2024 - 07:34 PM (IST)
ठंड और कोरोना के चलते इस समय निमोनिया के केसेज ज्यादा सुनने को मिल रहे हैं। यह एक तरह का लंग इंफेक्शन है जिसकी चपेट में हर उम्र का व्यक्ति आ सकता है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक में निमोनिया की शिकायत हो सकती है और अगर इलाज समय पर ना हो तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
ठंड के चलते सर्दी, खांसी-जुकाम, नेजल इंफेक्शन, एक्यूट रेस्पिरेट्री इंफेक्शन और अपर रेस्पिरेट्री इंफेक्शन का बहुत ज्यादा बढ़ जाना निमोनिया की समस्या शुरू कर सकता है। नवजात और शिशु को ठंड से बचाना इसी लिए बेहद जरूरी है। निमोनिया से बचाए रखने के लिए पेरेंट्स कुछ सावधानियां बरत सकते हैं लेकिन उससे पहले आपको बताते हैं कि बच्चों में निमोनिया होने के कारण क्या है।
नवजात-शिशु में निमोनिया के कारण
. जिन बच्चों को जन्म के समय जरुरी टीके नहीं लगते उन्हें निमोनिया होने की आशंका ज्यादा रहती है।
. बच्चों में निमोनिया के केस बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण होते हैं।
. जिन बच्चों को जन्म से ही दिल से जुड़ी दिक्कतें हैं, उन्हें निमोनिया का खतरा रहता है।
. जिन बच्चों की सांस की नली में रुकावट हो उन्हें भी निमोनिया हो सकता है।
. ऐसे बच्चे जिनका वजन जन्म के समय सामान्य से कम होता है वो इस बीमारी के शिकार हो सकते हैं।
लक्षण
यह दो तरह का होता है पहला ब्रोंकाइल निमोनिया और दूसरा लोबर निमोनिया। ब्रोंकाइल निमोनिया जिसमें निमोनिया बच्चों को दोनों फेफड़ों को प्रभावित कहता है। लोबर निमोनिया जिसमें फेफड़े का एक या फिर एक से ज्यादा हिस्सा प्रभावित होता है। जिन बच्चों को निमोनिया होता है उनमें ये लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
. बहुत तेज बुखार
. बच्चे को पसीना आना
. ज्यादा ठंड लगना
. सीने में घरघराहट महसूस होना
. सांस लेने में दिक्कत
. थकान, सिर में दर्द या सूखी खांसी हल्के निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं।
. नाक में कफ जमना, भूख कम लगना और लो एनर्जी भी बच्चों में निमोनिया के मध्यम लक्षणों में आते हैं।
पेरेंट्स कैसे करें बच्चों का बचाव?
यदि बच्चों को निमोनिया हो गया है तो सबसे पहले डॉक्टर को संपर्क करें।
बच्चे की हाइजीन का रखें ध्यान
बच्चे की साफ-सफाई का खासतौर पर ध्यान रखें। बार-बार हाथ धोने के लिए कहें, दिन में 2-3 बार उसके कपड़े बदलें, अच्छी तरह से हाथ धोने की आदत डालें। उसका कमरा साफ रखें, जिस बिस्तर पर बच्चा लेटता है तो उसे बिल्कुल साफ रखें। चादर और तकिए भी साफ रखें।
. बच्चों को हमेशा संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचाएं।
. रोजाना एक्सरसाइज की आदत डालें ।
. हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से बच्चों को बचाएं।
. प्रदूषण से बचाएं।
एंटीबायोटिक दवाईयां दें
एक्सपर्ट्स का कहना कि यदि डॉक्टरों ने बच्चों के लिए एंटीबायोटिक दवाई लिखी है तो उसका उसे पूरा कोर्स करवाएं। जैसे बच्चों में निमोनिया के लक्षणों में सुधार आए तो उसे एंटीबायोटिक दवाई देना बंद न करें जब तक डॉक्टर दवाई बंद करने के लिए नहीं कहते आप बच्चों को एंटीबायोटिक दवाईयां देना बंद न करें। इससे निमोनिया का पूरा इलाज हो पाता है बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आती और बच्चों को दोबारा निमोनिया होने का खतरा भी नहीं रहता।
लिक्विड चीजें दें
यदि बच्चे को निमोनिया हो गया है तो उसकी डाइट में ज्यादातर तरल पदार्थों को शामिल करें। इससे उनके शरीर में जमा स्पूटम और म्यूकस पतला होकर निकल जाता है और उन्हें जल्दी रिकवर करने में मदद मिलेगी।
हीटर चलाएं
यदि बच्चे को सर्दियों में निमोनिया हो जाए तो उसके कमरे में हीटर जरुर रखें। जब बच्चा कमरे में हो तो हीटर चला दें और कमरे का तापमान गर्म होने पर हीटर को बंद कर दें। बच्चे को एकदम से हीटर वाले कमरे से लेकर बाहर न जाएं क्योंकि कमरे का तापमान गर्म होगा और बाहर का टेंपरेचर इससे कम होगा जिससे बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ सकता है। बच्चे को जब भी कमरे से बाहर लेकर जाएं तो हीटर को बंद कर दें ताकि बच्चों की बॉडी का टेंपरेचर भी बाहर के हिसाब से रहे।
इन बातों का भी रखें ध्यान
. यदि आपके बच्चे को सर्दी हो गई है और वह ठीक नहीं हो रही तो इसे निमोनिया में न बदलने दें। ऐसी अवस्था में डॉक्टर से सलाह जरुर लें।
. बच्चों को पर्याप्त नींद लेने के लिए कहें।
. घर में ह्यूमिडिफॉयर का इस्तेमाल करें।
नोट: निमोनिया बच्चों को प्रभावित करने वाले सबसे आम संक्रमणों में से एक है लेकिन यदि आप बच्चे के लाइफस्टाइल और उसकी डाइट का ध्यान रखें तो समस्या को आसानी से रोक सकते हैं। इसके अलावा बच्चे को निमोनिया का टीका भी जरुर लगवाएं।