रिद्धि-सिद्धि कैसे बनी गणपति की अर्धांगिनी, ''शुभ और लाभ'' से भगवान गणेश का क्या है संबंध ?
punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 05:44 PM (IST)
नारी डेस्क: धार्मिक मान्यता के मुताबिक सनातन धर्म में कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा आराधना की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं की विघ्नहर्ता मंगल करता पार्वती नंदन भगवान गणेश को दो विवाह भी करना पड़ा था। रिद्धि और सिद्धि को भगवान गणेश की पत्नियां और उनकी अर्धांगिनीयां माना जाता है। ये दो देवियाँ धन, समृद्धि, और मानसिक शांति का प्रतीक हैं।
रिद्धि-सिद्धि और भगवान गणेश की कथा
भगवान गणेश, जो सभी देवताओं के बीच ज्ञान, बुद्धि, और समृद्धि के देवता माने जाते हैं, का विवाह एक रोचक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। एक बार, भगवान शिव और माता पार्वती ने भगवान गणेश के विवाह की बात चलाई। लेकिन भगवान गणेश की अद्वितीय शक्ल-सूरत के कारण कोई भी लड़की उनसे विवाह करने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। इस बीच, उनके छोटे भाई भगवान कार्तिकेय का विवाह हो गया, जिससे भगवान गणेश के विवाह को लेकर और भी चिंता बढ़ गई।
भगवान ब्रह्मा ने दो कन्याओं को किया उत्पन्न
भगवान शिव और माता पार्वती ने सोचा कि उनके पुत्र के लिए योग्य पत्नियां ढूंढ़नी चाहिए, लेकिन यह भी विचार किया कि कोई साधारण कन्या भगवान गणेश जैसे महादेवता के योग्य नहीं होगी। भगवान ब्रह्मा ने समस्या का समाधान निकाला। उन्होंने अपनी मानस शक्तियों से दो दिव्य कन्याओं को उत्पन्न किया, जिन्हें रिद्धि और सिद्धि कहा गया। रिद्धि धन और समृद्धि का प्रतीक हैं, जबकि सिद्धि सफलता और बुद्धिमत्ता का। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें भगवान गणेश को अर्पित किया, और दोनों का विवाह भगवान गणेश के साथ हुआ।
रिद्धि और सिद्धि के महत्व
रिद्धि धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। गणेशजी के साथ उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि जो व्यक्ति गणेशजी की उपासना करता है, उसे न केवल बुद्धि और ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और भौतिक सुख भी प्राप्त होते हैं। सिद्धि को सफलता और मानसिक शांति की देवी माना जाता है। गणेशजी की उपासना से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है और उसे किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
रिद्धि -सिद्धि से उत्पन्न संतानें
गणेश और रिद्धि-सिद्धि के विवाह के बाद उनकी दो संतानें हुईं
शुभ (रिद्धि से): शुभ को सौभाग्य और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। यह दर्शाता है कि गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।
लाभ (सिद्धि से): लाभ को लाभ और सफलता का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में लाभ और उन्नति मिलती है।
रिद्धि-सिद्धि का प्रतीकात्मक अर्थ
भगवान गणेश के साथ रिद्धि और सिद्धि की उपस्थिति यह दर्शाती है कि गणेशजी की कृपा से व्यक्ति को जीवन में समृद्धि (रिद्धि) और सफलता (सिद्धि) दोनों मिलती हैं। गणेशजी को "विघ्नहर्ता" और "संकटमोचक" कहा जाता है। वे न केवल विघ्नों का नाश करते हैं, बल्कि जीवन में सुख-शांति और उन्नति भी लाते हैं।इस प्रकार, भगवान गणेश की यह कहानी हमें सिखाती है कि जब हम गणेश जी की पूजा करते हैं, तो हमें ज्ञान, सफलता, धन, और समृद्धि, यानी रिद्धि और सिद्धि, का आशीर्वाद प्राप्त होता है।