चमत्कार या कुछ और... सालाें से हवा में लटका हुआ है ये पेड़, दूर-दूर से आकर लोग करते हैं पूजा

punjabkesari.in Monday, Jul 17, 2023 - 05:27 PM (IST)

 ऋषि मुनियों और अवतारों का देश भारत आज भी रहस्याें से भरा हुआ है। भारत में कई ऐसे स्थान है, जिनका रहस्य आज भी बरकरार है।  वैसे तो हमारे देश में  इतने मंदिर है जिन्हें गिना नहीं जा सकता लेकिन एक मंदिर अपने आप में ही खास है। यहां एक पेड़ हवा में लटका हुआ, जिसे देखकर या इसके बारे में जानकर सभी हैरान रह जाते हैं। चलिए बताते हैं इस पेड़ की पूरी कहानी।

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 हरियाणा के एक छोटे से शहर हांसी में स्थित समधा मंदिर पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यहां एक ऐसा बरगद का पेड़ है जिसकी कोई भी जड धरती मे नहीं है, जिसके चलते यह पेड़ हवा मे झूल रहा हो। इस पेड़ को लेकर कहा जाता है कि  इसका इस्तेमाल अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए किया जाता था। पेड़ को फांसी के फंदे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, और यह न्याय की शक्ति के एक अजीबोगरीब अनुस्मारक के रूप में कार्य करता था।

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पौराणिक कथाओं की मानें तो बाबा जगन्नाथपुरी जी इसी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या किया करते थे। 1586 ई. में जब बाबा जगन्नाथपुरी जी महाराज ने यहां हांसी में डेरा डाला, तब वहां कोई हिंदू नहीं रह गया था।  लोगों का मानना है कि वो इस पेड़ के नीचे  जगन्नाथपुरी जी  तपस्या करते थे और उन्होंने यहीं पर समाधि भी ली।इस लटकते पेड़ का आशीर्वाद लेने लोग दूर- दूर से इस मंदिर में आते हैं।  

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स्थानीय लोगों की पेड़ में बहुत आस्था है, और अक्सर वे अपनी प्रार्थनाओं और अनुरोधों को चिह्नित करते हुए इसके चारों ओर नोट या रिबन बांधते हैं।वहीं कुछ सालों पहले कई चैनलों द्वारा की गई जांच पड़ताल में पाया गया कि जड़ों से तने के अलग हो जाने के बावजूद इस पेड़ की 'प्रोप रूट' ने इसे जिन्दा रखा हुआ है। फैक्ट चैक में पाया गया कि बीच से टूटे हुए पेड़ के बगल में इसका एक और मजबूत हिस्सा मौजूद है, ये हिस्सा मजबूती से जमीन से जुड़ा हुआ है और टूटे पेड़ को सहारा दे रहा है।

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वहीं कुछ साइंटिस्ट का कहना है कि बरगद के पेड़ की शाखा जब कच्ची जमीन के संपर्क में आती है तो मिटटी के अंदर उसकी जड़ें निकल आती हैं. शाखा से बनी इन जड़ों को 'प्रोप रूट' कहते हैं। ये जड़ें पेड़ की सभी शाखाओं तक पानी और पोषण पहुंचातीं हैं. ये इतनी मजबूत होतीं हैं कि कई बार पुरानी शाखाओं के टूट जाने पर ये उनका भार भी उठा लेती हैं। इसलिए ये पेड़ अभी तक खड़ा है।


नोट: हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या धर्म का अपमान करने का नहीं है, हम इस लेख के जरिए लोगों को सही जानकारी देना चाहते हें। 


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Content Writer

vasudha

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