यहां दुल्हन को सफेद साड़ी पहनाकर करते हैं विदा, शादी में जूते-चप्पल  पहनने की भी है मनाही

punjabkesari.in Monday, Mar 10, 2025 - 05:41 PM (IST)

नारी डेस्क: हिंदू धर्म में, सफेद रंग को शोक, शांति, पवित्रता और आत्मा की यात्रा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए अंतिम संस्कार में सफेद कपड़े पहनने की प्रथा है। हालांकि शादी से जुड़ी रस्मों में सफेद पहनने की बिल्कुल मनाही है। भारतीय शादियों में दुल्हनें लाल या चमकीले रंग पहनती हैं, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक माने जाती हैं, पर आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दुल्हन को विदाई के समय सफेद साड़ी पहनाई जाती है। 
 

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भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं में से एक अनोखी प्रथा मध्य प्रदेश के मंडला जिले के कुछ गांवों में देखने को मिलती है। इन गांवों में गोंडी धर्म का पालन करने वाले आदिवासी समुदाय के लोग सफेद रंग को पवित्रता और शांति का प्रतीक मानते हैं। उनकी मान्यता है कि सफेद साड़ी में दुल्हन की विदाई से उसका दांपत्य जीवन सफल और सुखमय रहता है। सिर्फ दुल्हन ही नहीं, बल्कि शादी समारोह में शामिल होने वाले अन्य लोग भी सफेद कपड़े पहनते हैं। 
 

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आमतौर पर दुल्हन शादी के समय अपने घर पर फेरे लेती है, लेकिन इस समुदाय में दूल्हे के घर पर फेरे लिए जाते हैं। चार फेरे दुल्हन के घर पर लेकिन बाकी के तीन दूल्हे के घर पर लिए जाते हैं। पूरे विवाह समारोह में लोग नंगे पैर, बिना जूते-चप्पल के रहते हैं, जो उनकी परंपरा का हिस्सा है इन गांवों में सफेद वस्त्रों का उपयोग केवल शादियों तक सीमित नहीं है। किसान जब खेत में बीज बोने जाते हैं, तब भी वे सफेद पोशाक पहनते हैं और खेत के बाहर ही जूते-चप्पल उतार देते हैं। यह परंपरा उनकी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। 
 


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vasudha

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