ये कैसा रिवाज? यहां बर्फीली ठंड में भी बच्चों को बाहर सुला देते हैं पेरेंट्स

punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 05:35 PM (IST)

नारी डेस्क: नॉर्डिक देशों (जैसे फ़िनलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन) में एक बहुत ही अनोखी परंपरा है – वहां माता-पिता अपने छोटे बच्चों को बाहर खुले में, अक्सर सब-ज़ीरो (0°C से नीचे) तापमान में भी सुलाते हैं। माना जाता है कि इससे बच्चों की नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। चलए जानते हैं इस प्रथा के बारे में विस्तार से। 

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क्यों करते हैं ऐसा?

माना जाता है कि ठंडी ताज़ी हवा में बच्चों की नींद गहरी और लंबी होती है। बाहर सोने से बच्चे का शरीर प्राकृतिक रूप से मौसम के अनुसार खुद को ढालना सीखता है, जिससे उनकी इम्यूनिटी मज़बूत होती है। माता-पिता का कहना है कि बच्चों को ताज़ी हवा में सुलाने से वे अंदर सोने की तुलना में ज़्यादा शांत रहते हैं और कम बीमार पड़ते हैं।

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सुरक्षा का ध्यान

हालांकि यह परंपरा सुरक्षित तभी होती है जब माता-पिता कुछ एहतियात बरतें।  बच्चे को गर्म कपड़ों की कई परतों (जैसे ऊनी कपड़े, टोपी, दस्ताने) में लपेटा जाता है।  उन्हें ऐसे स्ट्रोलर या प्रैम में रखा जाता है जो हवा और बर्फ से सुरक्षा दे। बच्चे को हमेशा सुरक्षित जगह पर रखा जाता है ताकि माता-पिता निगरानी रख सकें। नॉर्डिक देशों में यह प्रथा इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि वहां लोग मानते हैं कि – “ताज़ी हवा बच्चे की सेहत और नींद दोनों के लिए सबसे अच्छी दवा है।”


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Content Writer

vasudha

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