हार्ट से लेकर गठिया तक धतूरे के चौंकाने वाले फायदे और सावधानियां

punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 02:06 PM (IST)

नारी डेस्क : धतूरा एक ऐसा पौधा है, जिसे न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि औषधीय दृष्टि से भी खास महत्व प्राप्त है। इसे भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना जाता है और प्राचीन काल से आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों का जिक्र मिलता रहा है। लेकिन ध्यान रहे, धतूरा विषैला पौधा है। इसका इस्तेमाल बिना विशेषज्ञ की सलाह के करना खतरनाक हो सकता है। फिर भी, पारंपरिक और लोक चिकित्सा में इसे कई रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता रहा है।

धतूरे की प्रजातियां और विशेषताएं

धतूरा मुख्य रूप से एक खरपतवार के रूप में जाना जाता है और इसके 9 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके फूल सफेद, बैंगनी और नीले रंग के होते हैं, जो दिखने में बेहद सुंदर लगते हैं। हालांकि, कुछ प्रजातियां अत्यधिक जहरीली होती हैं, इसलिए धतूरे का सेवन या औषधीय प्रयोग सिर्फ विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही करना सुरक्षित रहता है।

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धार्मिक महत्व

धतूरा हिंदू धर्म में एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है। शिवभक्त मानते हैं कि भोलेनाथ को धतूरा अर्पित करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, पूजा में धतूरे का इस्तेमाल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और मन में शांति लाने के लिए भी किया जाता है।

धतूरे के स्वास्थ्य लाभ

हृदय रोग में सहायक : धतूरा को हृदय स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। माना जाता है कि इसका उपयोग हृदय से जुड़ी समस्याओं, जैसे दिल का दौरा पड़ने के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। 

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बदन दर्द और गठिया में राहत : धतूरे की पत्तियों से बना लेप जोड़ों पर लगाने से दर्द और सूजन में आराम मिलता है। पारंपरिक रूप से यह गठिया और बदन दर्द में राहत देने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है।

सांस की तकलीफ में लाभ : धतूरे की पत्तियों को सुखाकर उसका धुआं लेने से दमा और सांस फूलने जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। यह पारंपरिक रूप से सांस संबंधी तकलीफों में इस्तेमाल किया जाता रहा है।

बुखार में मददगार: धतूरे के फल का आयुर्वेद में उपयोग बुखार के लक्षण कम करने और शरीर का तापमान संतुलित रखने के लिए किया जाता है। यह पारंपरिक रूप से शरीर की गर्मी को नियंत्रित करने में मददगार माना जाता है।

तनाव और मानसिक शांति : धतूरे के फल का आयुर्वेद में उपयोग बुखार के लक्षण कम करने और शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसे पारंपरिक रूप से शरीर की तापमान संतुलन बनाए रखने में मददगार माना जाता है।

धतूरे का पारंपरिक उपयोग

पारंपरिक रूप से धतूरे का उपयोग नशीली दवाओं में भी किया जाता रहा है। कुछ स्थानों पर इसे कैनाबिस के साथ धूम्रपान या शराब में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इसका नशे के रूप में उपयोग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है। धतूरा अत्यंत जहरीला पौधा है, इसलिए इसका सेवन बिना विशेषज्ञ की सलाह के बिल्कुल न करें। बच्चों और बुजुर्गों को इसके संपर्क में आने से बचाना चाहिए। इसे केवल पारंपरिक और सुरक्षित तरीकों से ही इस्तेमाल करना चाहिए।


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Content Editor

Monika

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