लंदन में भारतीय छात्र के लिए भगवान बने डॉक्टर, 6 बार दिल की धड़कनें रुकने के बाद भी बचा ली जान

punjabkesari.in Friday, Oct 06, 2023 - 11:13 AM (IST)

पिछले कुछ समय से हार्ट अटैक से मौत के मामलों में तेज इजाफा देखने को मिल रहा है। कोई जिम में एक्सरसाइज करते  तो कोई रोजाना का काम करते-करते ही हार्ट अटैक का शिकार को रहा है। अब इसी बीच एक  21 साल के लड़के को एक दिन में 6 बार कार्डियक अरेस्ट आया, लेकिन इसके बावजूद वह बिल्कुल सुरक्षित है। 

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डॉक्टरों ने बचाई जान

खबरों के मुताबिक लंदन में पढ़ने वाले 21 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी छात्र को एक दिन में छह कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ा, हालांकि समय रहते डॉक्टरों ने ईलाज कर उसकी जान बचा ली। डॉक्टरों के अनुसार, टेक्सास के बायलर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय अमेरिकी छात्र अतुल राव के फेफड़ों में खून का थक्का जम गया था, जिससे उनके हृदय से रक्त का प्रवाह बंद हो गया, इससे पल्मोनरी एम्बोलिज्म नामक स्थिति विकसित हो गई और उन्हें कार्डियक अरेस्ट हो गया।

 

सड़क पर गिर गया था युवक

बताया जा रहा है कि 27 जुलाई को राव के दोस्तों ने उसे सड़क पर गिरा हुआ पाया। ऐसे में एम्बुलेंस आने से पहले एक सुरक्षा गार्ड द्वारा उसे छाती पर दबाव (सीपीआर) दिया गया।  हैमरस्मिथ अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि अतुल की हालत गंभीर थी  और उसे एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) की जरूरत थी - ये एक तरह का लाइफ सपोर्ट सिस्टम होता है जो हृदय और फेफड़ों के काम को पूरी तरह से बदल सकता है। 

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लड़के को बचाना था बेहद मुश्किल 

डॉक्टरों ने बताया कि- अतुल को पूरी तरह टीम वर्क की मदद से बचाया गया, ये लगभग नामुमकिन था क्योंकि पूरे एक दिन में अतुल की धड़कन लगभग 6 बार रुकी थी। वहीं होश आने के बाद अतुल ने कहा कि- मौत के मुंह से निकलकर मुझे जीने का ये जो दूसरा मौका मिला है। वहीं  अतुल को अस्पताल लाने वाले लोगों ने कहा- उसकी हालत देखकर नहीं लग रहा था कि वह बच पाएगा। इस लड़के के माता- पिता का कहना है कि- लंदन एम्बुलेंस सेवा, हैमरस्मिथ, सेंट थॉमस और रॉयल ब्रॉम्पटन की अद्भुत चिकित्सा टीमों की कोशिश से ही उनका बेटा बच पाया है।  


पल्मोनरी एम्बोलिज़म क्या है?

पल्मोनरी एंबोलिज्म का मतलब है, फेफड़ों की रक्त नलिकाओं का अवरुद्ध हो जाना। विशेषज्ञों के अनुसार,एम्बोलिज्म आपके फेफड़ों में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित करता है, आपके फेफड़ों में ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है। कुछ लोगों के रक्त में जन्म से ही प्रोटीन ‘सी,’ व ‘एस,’ ‘एंटी थ्रोंबिन 3’ और फैक्टर वी लीडेन की मात्रा कम होती है। ये रक्त को गाढ़ा नहीं होने देते हैं । यह स्थिति दुनिया भर में सबसे आम हृदय और रक्त वाहिका रोगों में से एक है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक के बाद तीसरे स्थान पर है।

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चेतावनी संकेत और लक्षण

विशेषज्ञों का कहना है कि इाक लक्षण आमतौर पर सांस फूलना और सीने में दर्द होते हैं जो समय के साथ बढ़ते रहते हैं। इसके अलावा, कई रोगियों को खांसी के साथ खूनी बलगम भी आता है। अन्य लक्षणों में शामिल हैं:

- आराम करते वक्त सांस फूलना।
-  छाती, बांह, कंधे, गर्दन या जबड़े में तेज दर्द होना।
- पीली त्वचा
- तेजी से दिल धड़कना
- बहुत ज़्यादा पसीना आना
- बेहोश होना
- घरघराहट


 


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Content Writer

vasudha

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