हार्ट अटैक से पहले महिलाओं में दिखते हैं ये 5 संकेत
punjabkesari.in Sunday, Sep 29, 2024 - 12:29 PM (IST)
नारी डेस्क: हार्ट अटैक एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकती है। पिछले कुछ समय में इसके मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, खासकर महिलाओं में। हार्ट अटैक तब होता है जब दिल में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या फिर ब्लड सर्कुलेशन में रुकावटें उत्पन्न होने लगती हैं। इसके मुख्य कारणों में कोलेस्ट्रॉल और बैड फैट्स का जमाव शामिल है, जो रक्त के प्रवाह में बाधा डालता है।
महिलाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले
हाल के वर्षों में, हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और अब यह युवा महिलाओं और बच्चों को भी प्रभावित कर रहा है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि महिलाओं में हार्ट अटैक के क्या संकेत होते हैं, जिन्हें समय पर समझा जा सकता है।
महिलाओं में हार्ट अटैक के 5 मुख्य लक्षण
चेस्ट पेन
छाती में दर्द महसूस होना एक सामान्य संकेत है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है। महिलाओं को हार्ट अटैक से पहले दिल के पास भारीपन, तनाव और दबाव का अनुभव होता है। इसे मेडिकल भाषा में एनजाइना कहा जाता है। अगर आप ऐसे लक्षण महसूस कर रही हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बेहोशी होना
हार्ट अटैक आने से पहले महिलाओं को बेहोशी या चक्कर आने का संकेत मिलता है। इसके साथ-साथ जी मिचलाना और उल्टी आने की भावना भी सामान्य है। यदि यह लक्षण चेस्ट पेन के साथ हो, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
सांस लेने में दिक्कत
अगर सीने में दर्द के साथ आपको सांस लेने में कठिनाई हो रही है, तो यह भी हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। सांस लेने में समस्या होना गंभीर है, इसलिए इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
घबराहट
महिलाओं को हार्ट अटैक से पहले घबराहट या एंग्जाइटी का अनुभव हो सकता है। इस दौरान वे असुविधा महसूस करती हैं और ठंडे पसीने का सामना कर सकती हैं।
असंतुलित माइंड
इसे मेडिकल भाषा में "एम्प्टी हेड" कहा जाता है। हार्ट अटैक से पहले, महिलाओं को काम में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। उनका दिमाग सोचने और समझने की क्षमता खोने लगता है, जिससे वे अपने कार्यों को भी नहीं समझ पाती हैं।
महिलाओं में हार्ट अटैक के ये लक्षण गंभीर संकेत हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण अनुभव करती हैं, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। समय पर पहचान और उपचार से जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और नियमित रूप से जांच करवाए।