हर रसोई में इस्तेमाल हो रहा यह तेल धीरे-धीरे शरीर को बना रहा बीमार, तेल से बढ़ रहा है खतरा

punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 10:33 AM (IST)

नारी डेस्क:  आपके किचन में जो तेल रोज़ खाना पकाने के लिए इस्तेमाल हो रहा है, क्या आपने कभी सोचा है वो आपकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकता है? रिफाइंड तेल, जो आज हर घर में आम है, टीवी पर “हल्का”, “फिटनेस फ्रेंडली” और “कोलेस्ट्रॉल फ्री” कहकर बेचा जाता है  हकीकत में हमारे शरीर के लिए एक धीमा ज़हर बन चुका है।

तेल जो सेहत छीन रहा है

रिफाइंड तेल को बनाने की प्रक्रिया इतनी ज्यादा केमिकल और प्रोसेसिंग से भरपूर होती है कि इसमें मौजूद सारे नेचुरल न्यूट्रिएंट्स खत्म हो जाते हैं। और उसकी जगह ऐसे रसायन आ जाते हैं जो हमारी बॉडी को धीरे-धीरे अंदर से कमजोर कर देते हैं। इसे पाम ऑयल या दूसरे नेचुरल सोर्स से जरूर निकाला जाता है, लेकिन ज़्यादा प्रोसेसिंग की वजह से ये सेहत के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं रह जाता।

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दिल के लिए सबसे बड़ा खतरा

सबसे पहले असर हमारे दिल पर पड़ता है। रिफाइंड तेल में ट्रांस फैट और ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बिगाड़ देती है। इससे धमनियों में ब्लॉकेज बनने लगता है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। एक हेल्दी दिल के लिए यह तेल सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है।

दिमाग भी होता है कमजोर

जो लोग सोचते हैं कि खाना पकाने में इस्तेमाल हो रहा तेल सिर्फ पेट तक असर करता है, उन्हें जानना चाहिए कि रिफाइंड ऑयल दिमाग की सेहत पर भी असर डालता है। इसके अनहेल्दी केमिकल्स दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे तनाव, डिप्रेशन और मेमोरी लॉस जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। खासकर लंबे समय तक इसका सेवन इन मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है।

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मोटापा और डायबिटीज का बड़ा कारण

अगर आपका वजन लगातार बढ़ रहा है या ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता, तो इसका एक बड़ा कारण रिफाइंड तेल हो सकता है। यह तेल शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस पैदा करता है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज, फैटी लिवर और ओबेसिटी (मोटापा) जैसी बीमारियां जन्म लेती हैं। इतना ही नहीं, ये सभी बीमारियां एक-दूसरे को और बढ़ावा देती हैं।

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कैंसर का भी जोखिम

सबसे डरावनी बात ये है कि जब हम रिफाइंड तेल को बार-बार गर्म करके इस्तेमाल करते हैं, तो इसमें फ्री रेडिकल्स बनने लगते हैं। ये हमारे शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं, जो कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की एक बड़ी वजह बन सकता है। खासकर ब्रेस्ट और कोलन कैंसर के मामलों में रिफाइंड तेल की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

डॉक्टरों की चेतावनी

SAAOL हार्ट सेंटर के डॉक्टर बिमल छाजेड़ कहते हैं कि रिफाइंड तेल उतना ही खतरनाक है जितना सिगरेट। इसमें मौजूद ट्राइग्लिसराइड्स और हाई कैलोरीज शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ाती हैं, जिससे हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। उनका कहना है कि हमें तेल का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए, और जितना हो सके प्राकृतिक विकल्पों की ओर लौटना चाहिए।

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क्या हैं बेहतर विकल्प?

अब सवाल है कि अगर रिफाइंड तेल हानिकारक है तो फिर खाना किससे पकाएं? इसका जवाब भी आसान है। आप गाय का देसी घी, कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल (जैसे सरसों, नारियल या तिल का तेल), या फिर ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सभी तेल शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाते और पोषण भी देते हैं।

डॉक्टरों की राय है कि तेल का इस्तेमाल जितना कम करेंगे, उतना बेहतर रहेगा। हां, भारतीय खानपान में तेल और घी का अपना एक अहम स्थान है, लेकिन समझदारी इसी में है कि हम कम मात्रा में और सही किस्म का तेल इस्तेमाल करें।

हम रोज़मर्रा की जिंदगी में जिन चीजों को सामान्य समझकर इस्तेमाल कर रहे हैं, उनमें से एक रिफाइंड तेल हमारी सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। अब समय आ गया है कि हम इस खतरे को समझें और अपने परिवार की सेहत के लिए हेल्दी ऑयल विकल्प अपनाएं। सेहत आपकी है  फैसला भी आपका होना चाहिए।   

 


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Content Editor

Priya Yadav

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