मां के पैरों को गंगाजल से धोकर पीते थे गोविंदा, मां के जाने के बाद भी नहीं छोड़ा यह काम

punjabkesari.in Wednesday, Jul 22, 2020 - 01:53 PM (IST)

एक्टर गोविंदा अपनी एक्टिंग और डांस मूव्स से लाखों दिलों पर राज करते हैं। गोविंदा अपने जमाने के जबरदस्त स्टार रहे हैं। हाल में ही गोविंदा ने एक नामी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में अपने संघर्ष भरे दिनों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि निर्मला देवी और अरुण कुमार आहुजा के बेटे होने के बावजूद उन्हें सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

गोविंदा ने शेयर की अपने संघर्ष भरे दिनों की कहानी

गोविंदा ने कहा, 'मेरे 21 साल की उम्र में एक्टर बनने और उन्हें फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बीच 33 साल का अंतर था। जिस वक्त मैं इंडस्ट्री में आया, उस समय कई नए प्रोड्यूसर आए थे जो मेरे परिवार के बारे में नहीं जानते थे. मुझे उनसे मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता. मैं जानता था कि वह इस तरह बात क्यों करते हैं लेकिन मैंने खुद पर और अपनी कला पर उनकी इन बातों को हावी नहीं होने दिया।

आगे गोविंदा ने बताया, मैं जानता था कि राज कपूर जी, जीतेंद्र जी, अमिताभ बच्चन जी, विनोद खन्ना जी और राजेश खन्ना जी भी बहुत सी चीजों से गुजरे थे. इस इंडस्ट्री में, आपके पास सही नज़रिया होना जरूरी है. या तो आप मेहनत करें या फिर उन बातों पर ध्यान दें कि लोग आपके बारे में क्या कहते हैं.'

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Extremely Shocked and Sad !! We had performed on DID together & I still remember such a Good Respectful & Humble Boy he was !! Gone too soon 🙏🏻 RIP

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बॉलीवुड इंडस्ट्री को लेकर भी बोले एक्टर

गोविंदा ने बॉलीवुड इंडस्ट्री को लेकर कहा, 'पहले जिस व्यक्ति में टैलेंट होता था उसे काम मिल जाता था. सभी फिल्मों को थिएटर पर पूरा मौका मिलता था लेकिन अब, चार या पांच लोग पूरे कारोबार को डिक्टेट कर रहे हैं. जो लोग उनके करीबी नहीं है उनकी फिल्मों का भाग्य यह तय करते हैं. मेरी कुछ अच्छी फिल्मों को अच्छी रिलीज नहीं मिल पाई थी लेकिन अब चीजें बदल रही हैं.'

एक अन्य इंटरव्यू में गोविंदा ने बताया था कि अपनी पहली फिल्म के लिए उन्हें काफी धक्के खाने पड़े थे। गोविंदा की पहली फिल्म 'तन बदन' (1986) थी। काफी मेहनत के बाद उन्हें इसमें काम करने का मौका मिला था। संघर्ष के दिनों में गोविंदा कई महीनों तक विरार से लोकल ट्रेन में धक्के खाते हुए मुंबई तक पहुंचते थे। इस सफर में गोविंदा के 4-5 घंटे सिर्फ आने-जाने में खराब हो जाते थे। बाद में गोविंदा खार (मुंबई) में अपने मामा के घर आकर रहने लगे और वहीं से काम की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते थे।

फिर गोविंदा ने अपनी एक्टिंग का एक वीडियो कैसेट बनाया। इसी के साथ उन्होंने एक्टिंग इंस्टिट्यूट भी ज्वाइंन किया। एक दिन वह अपना वीडियो कैसेट लेकर डायरेक्टर इस्माइल श्रॉफ के पास पहुंचे। उन्होंने गोविंदा को देखते ही ये कहते हुए रिजेक्ट कर दिया था कि इसकी न तो हाइट है, न पर्सनैलिटी है और न ही वॉइस। अभी तो अमिताभ बच्चन की तरह हाइट वाले लोग चाहिए। बहुत दिनों के बाद उन्होंने अपना वीडियो कैसेट मामा (आनंद सिंह) को दिखाया, जोकि एक फिल्म शुरू कर रहे थे और उसमें उन्हें मैच्योर हीरो की जरूरत थी। मामा ने जब उनकी कैसेट देखी तो उन्होंने अपने हीरो के साथ फिल्म की पूरी कॉस्टिंग और स्टोरी ही बदल दी और गोविंदा को ले लिया। इस तरह उन्हें पहली फिल्म 'तन-बदन' मिल गई।
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Maa ki duaon ne sar par haath rakha hai , mushkile kai hai lekhin sambhaal rakha hai - Govinda 🙏🏻♥️ #loveyouthemost #happymothersday #toall

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गोविंदा अपनी मां के बेहद करीब थे। खबरों के मुताबिक, गोविंदा अपनी मां के पैरों को रोजाना गंगाजल से धोते थे और उस पानी को पीते थे। यहां तक कि उनकी मौत के बाद भी गोविंदा ने इसे बंद नहीं किया। रिपोर्ट्स की मानें तो गोविंदा ने उस गंगाजल को स्टोर कर रखा था और काम पर निकलने से पहले हर सुबह वह उसे पीकर ही निकलते थे।

 

 


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Content Writer

Priya dhir

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