प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार का नया फैसला, IIT Kanpur को भेजा यह प्रपोजल
punjabkesari.in Tuesday, Nov 07, 2023 - 02:57 PM (IST)
दिल्ली एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने एक नया फैसला लिया है। आईआईटी कानपुर ने दिल्ली और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक हल ढूंढा है। संस्थान ने कहा कि उसने हवा से प्रदूषकों और धूल को साफ करने में मदद करने के लिए क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया है। आईआईटी कानपुर कृत्रिम बारिश के लिए जरुरी परिस्थितियां बनाने पर पांच साल से ज्यादा समय से काम कर रहा है और हाल ही में जुलाई में इसका परीक्षण भी किया गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो शोधकर्ताओं ने क्लाउड सीडिंग के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालिय सहित कई सरकारी अधिकारियों से भी इसकी अनुमति हासिल कर ली है।
मौसम संबंधी स्थितियों को देखना होगा
कृत्रिम बारिश के करवाने के लिए मौसम संबंधी स्थितियों को देखने की भी जरुरत होती है। जैसे पर्याप्त नमी वाले बादलों को उपस्थिति और उपयुक्त हवाएं आदि। क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम बारिश करवाना अभी तक कोई स्टिक विज्ञान नहीं है और यह देखना बाकी है कि क्या सर्दियों के शुरुआती महीनों में या बड़े पैमाने पर यह काम कर सकता है कि नहीं। इसमें ताजी हवा के लिए राष्ट्रीय राजधानी के विमान उड़ाने के लिए डीजीसीए गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विशेष सुरक्षा समूह सहित कई अनुमोदन प्राप्त करना भी शामिल है।
कृत्रिम बारिश से सुधरेगी हवा की गुणवत्ता
इस परियोजना का नेतृत्व करने वाली आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने बताया कि आर्टिफिशियल बारिश से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निवासियों को एक हफ्ते तक खराब वायु की गुणवत्ता से अस्थायी रुप से राहत मिल सकती है।
दिल्ली की सरकार ने भेजा आईआईटी कानपुर को प्रपोजल
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डॉक्टर मनिंदर अग्रवाल ने नामी वेबसाइट'आजतक' के साथ बात करते हुए बताया कि दिल्ली सरकार ने उनसे सीधा संपर्क किया है और इसके लिए प्रपोजल भी भेजा है। एक बार एमओयू साइन होता है तो उसके बाद जरुरी प्रमीशन की भी जरुरत पड़ेगी। इस तकनीक के लिए सबसे जरुरी है बादल जो अभी इस हफ्ते तक आते हुए दिख नहीं रहे हैं एक बार ये काम शुरु हो जाता है तो पॉल्यूशन से राहत देने के लिए यह तकनीक काम आ सकती है।