Cough Syrup से बच्चों की मौत: 2 साल से कम उम्र के लिए खतरा, सरकार ने जारी की एडवायजरी
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 10:02 AM (IST)

नारी डेस्क: राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी का इलाज करने के लिए दिए गए कफ सिरप से अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़ा कदम उठाते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एडवायजरी जारी की है। इसमें विशेष रूप से दो साल से छोटे बच्चों को सिरप न देने और बच्चों की देखभाल पर खास ध्यान देने की सलाह दी गई है।
एडवायजरी में क्या कहा गया?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवायजरी में साफ कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का खांसी-जुकाम का सिरप बिल्कुल न दिया जाए। इसके बजाय, माता-पिता को सलाह दी गई है कि ऐसे बच्चों को तुरंत स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाएं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी दवा तभी दी जानी चाहिए जब डॉक्टर इसे जरूरी समझें। पांच साल से बड़े बच्चों को भी सिरप सीमित मात्रा में और डॉक्टर की निगरानी में ही देना चाहिए। मंत्रालय ने घर पर बच्चों की देखभाल के लिए घरेलू उपाय अपनाने की भी सलाह दी है, जैसे पर्याप्त पानी पिलाना, आराम देना और सामान्य देखभाल।
News-नई दिल्ली कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद केंद्र की सख्त चेतावनी, दो साल से कम उम्र के बच्चों को न दें खांसी की दवा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को जारी की एडवाइजरी, MP-राजस्थान के नमूनों की जांच में नहीं मिला जहरीला केमिकल#HealthNews #CoughSyrupAlert #ChildSafety pic.twitter.com/zMberLzJcq
— SA News Rajasthan (@SANewsRajasthan) October 4, 2025
दवा की सुरक्षा और GMP मानक
एडवायजरी में यह भी निर्देश दिया गया है कि सभी अस्पताल, दवा की दुकानें और हेल्थ सेंटर सुनिश्चित करें कि वे केवल गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) वाली सुरक्षित दवाएं ही खरीदें और बच्चों को दें। राज्यों और जिलों के हेल्थ अफसरों को आदेश दिया गया है कि यह एडवायजरी सभी सरकारी अस्पतालों, प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC), कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (CHC), जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेजों तक पहुँचाई जाए।
सिरप की जांच में क्या मिला?
मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद सरकार ने तुरंत कफ सिरप की जांच के आदेश दिए थे। जांच में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की संयुक्त टीम ने खतरनाक केमिकल्स की पहचान की।
छिंदवाड़ा आज 12 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत पर रो रहा है,
— Nakul Kamal Nath (@NakulKNath) October 5, 2025
लेकिन जिम्मेदार अब भी बेपरवाह हैं!
सरकारी रिकॉर्ड में तो 2 बच्चों की मौत दर्ज तक नहीं की गई — यह कैसा प्रशासनिक संवेदनहीनता का उदाहरण है?
पहला मामला —
एक बच्चे को मामूली मौसमी बुखार था। परिजनों ने डॉक्टर को दिखाया, डॉक्टर… pic.twitter.com/liKm4BwF21
रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी सैंपल में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) नहीं पाए गए, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मध्य प्रदेश के राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (SFDA) की जांच में भी ये केमिकल्स नहीं मिले। बच्चों की मौत के मामलों में से एक केस में लेप्टोस्पायरोसिस इंफेक्शन पाया गया, जिसकी जांच अभी चल रही है। इसके अलावा, NEERI, NIV पुणे और अन्य लैब्स पानी, मच्छरों और सांस की बीमारियों से जुड़े सैंपलों की जांच कर रही हैं।
पैरेंट्स को क्या करना चाहिए?
2 साल से छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा बिल्कुल न दें। बच्चे को तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। घरेलू नुस्खे अपनाएं: पर्याप्त पानी, आराम और सामान्य देखभाल। 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सिरप तभी दें जब डॉक्टर आवश्यक समझे। सुरक्षित और GMP मानक वाली दवाओं का ही इस्तेमाल करें।
बच्चों के लिए कफ सिरप का इस्तेमाल बेहद सावधानी से करना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवायजरी का पालन करने और डॉक्टर की सलाह लेने से इन जानलेवा घटनाओं को रोका जा सकता है।