गोवर्धन पूजा कल: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और महत्व

punjabkesari.in Tuesday, Oct 21, 2025 - 01:10 PM (IST)

नारी डेस्क : पांच दिवसीय दीपावली पर्व का चौथा दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रकृति की पूजा और संरक्षण का संदेश देने वाला दिन है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।

तिथि और शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि
 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे से प्रारंभ होकर
 22 अक्टूबर शाम 8:16 बजे तक रहेगी।

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:30 से 8:47 बजे तक रहेगा।
इस दिन प्रीति योग और लक्ष्मी योग भी बन रहे हैं, जो पूजा और मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माने गए हैं।

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गोवर्धन पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत, गौ माता और अन्नकूट की पूजा की जाती है। किंवदंती के अनुसार, जब देवराज इन्द्र ने क्रोधित होकर ब्रजभूमि में सात दिनों तक लगातार वर्षा की, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। इसके बाद इन्द्र ने अपनी भूल स्वीकार कर क्षमा मांगी। तभी से यह पर्व मनाया जाता है, जो यह सिखाता है कि मनुष्य को प्रकृति का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए, क्योंकि प्रकृति ही परमात्मा का रूप है।

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गोवर्धन पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठें और घर की संपूर्ण सफाई करें। झाड़ू घर के अंदर से बाहर की ओर लगाएं, जिससे दरिद्रता और अशुभता बाहर निकल जाए।
इसके बाद थाली या घंटी बजाते हुए घर में पुनः प्रवेश करें, यह मानते हुए कि मां लक्ष्मी स्वयं आपके घर पधार रही हैं।
स्नानादि से निवृत्त होकर गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का स्वरूप बनाएं और उसकी पूजा करें।
केसर-कुंकुम का तिलक करें, पुष्प, अक्षत और प्रसाद अर्पित करें।
56 भोग (अन्नकूट) तैयार करें और भगवान श्रीकृष्ण व गोवर्धन महाराज को अर्पित करें।

प्रार्थना करें — “हे गोवर्धन महाराज! जैसे आपने ब्रज की रक्षा की, वैसे ही हमारे परिवार की रक्षा करें। हमारी जीवन थाली सुख, समृद्धि और प्रेम के हर स्वाद से सजी रहे।”

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विशेष उपाय और लाभ

धन वृद्धि के लिए : एक थाली में 5 गोमती चक्र और 5 कौड़ियां रखें, उन्हें रोली-चावल से पूजें। फिर लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या कैश बॉक्स में रखें। इससे धन संचय में वृद्धि होती है।

सौभाग्य वृद्धि के लिए: एक पोटली में हल्दी की गांठ, गोमती चक्र, कौड़ी, गुंजा फल और 5 मुखी रुद्राक्ष रखें। पूजा के बाद इसे घर के मंदिर, तिजोरी या पर्स में रखें।

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संतान सुख के लिए: इस दिन दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से पंचामृत बनाएं। उसमें गंगाजल और तुलसी मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें और “क्लीं कृष्ण क्लीं” मंत्र की 5 माला जप करें। जाप के बाद पूरा परिवार यह पंचामृत ग्रहण करे और मंदिर में हरी सब्जियों का दान करें।

गोवर्धन पूजा का संदेश: गोवर्धन पूजा हमें यह सिखाती है कि प्रकृति की सेवा ही सच्ची भक्ति है। भगवान श्रीकृष्ण ने यह संदेश दिया कि मनुष्य तभी सुखी रह सकता है, जब वह प्रकृति का सम्मान करे और उसकी रक्षा को अपना धर्म माने। यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि दीपावली केवल दीपों का नहीं, बल्कि कृतज्ञता, संतुलन और सच्चे आध्यात्मिक भावों का उत्सव है।


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Content Editor

Monika

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