Lata Mangeshkar Death: गुलाम हैदर को अपना गॉडफादर कहती थीं लता दीदी, कहा था- एक दिन पैरों पर गिरकर मिन्नतें करेंगे लोग
punjabkesari.in Sunday, Feb 06, 2022 - 06:49 PM (IST)
मेरी आवाज ही पहचान है... स्वर कोकिला लता मंगेशकर आज सुबह 8.12 मिनट पर दुनिया को अलविदा कह गई। ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ने बताया कि कोविड के बाद लता जी आर्गन फेलियर के चलते इस दुनिया में नहीं रहीं हैं। उनके निधन की घर सुनते ही पूरे देश में शौक की लहर है। सुरों की मल्लिका लता मंगेश्कर ने अपनी सुरीली आवाज से हर पीढ़ी पर राज किया। उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके जीवन से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं जिनके बारे में लोगों को शायद पता ना हो चलिए इस पैकेज में आपको उन्हीं अनुसने किस्सों के बारे में बताते हैं।
.सिर्फ 6 महीने की थी जब से उन्हें संगीत से प्यार हो गया था। मंगेशकर परिवार का मानना है कि लता जी के संगीत की तरफ रुझान का संकेत वो पहले ही दे चुकी थी। कहा जाता है कि लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर पोर्च में बैठकर सारंगी बजा रहे थे। 6 महीने की लता मुट्ठी भर मिट्टी अपने मुंह में डालने ही वाली थी। उन्होंने सारंगी उठाकर उसे प्यार से झिड़कना चाहा लेकिन वे हैरान रह गए जब उस बच्ची ने सांरगी के तार को ठीक उसी तरह छेड़ दिया, जिस तरह वे बजा रहे थे। उस समय पिता नि:शब्द रह गए थे।
.लता को घर पर गीत-संगीत का माहौल मिला लेकिन वह कभी स्कूल नहीं गई। 5 साल की उम्र में ही वह अपने पिता से संगीत सीखने लगी थी। जब वह स्कूल गई तो पहले ही दिन उनकी टीचर से अनबन हो गई दरअसल, लता अपने साथ छोटी बहन आशा को साथ ले गई थी और टीचर ने आशा को क्लास में बैठने की अनुमति नहीं दी जिससे लता को गुस्सा आ गया और वह फिर कभी स्कूल नहीं गई।
. बहुत कम लोग जानते थे कि वह 5 साल की उम्र से गाना शुरू कर चुकी थी लेकिन जब प्लेबैक सिंगर के तौर पर उन्होंने एंट्री की तो उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था क्योंकि उनकी आवाज को काफी पतला समझा गया था हालांकि साल 1942 में 13 साल की लता का पहला गाना रिकॉर्ड किया गया।
.लता जी ने हजारों गाने गए लेकिन उनका पहला गाना कभी रिलीज नहीं हुआ। गाने को सदाशिवराव नेवरेकर ने मराठी फिल्म किट्टी हसल के लिए 1942 में कम्पोज किया था। गाना डब तो हुआ लता की आवाज में लेकिन फिल्म के फाइनल कट में उसे हटा दिया गया इसलिए वो गाना कभी रिलीज नहीं हो सका।
.साल 1946 में आई फिल्म आपकी सेवा में उन्होंने हिंदी गानों का सफर शुरू किया जिसका नाम था। पा लागू कर जोरी लेकिन पहला ब्रेक एक तरह से उन्हें बॉलीवुड फिल्म कंपोजर गुलाम हैदर ने दिया जो पार्टीशन के बाद लाहौर चले गए। उन्होंने लता से फिल्म मजबूर 1948 में गाना "दिल मेरा तोड़ा" गाने को अपनी आवाज देने की पेशकश की जिसके बाद सुर-साम्राज्ञी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। लता जी उन्हें ही अपना गॉड फादर कहती रही हैं। गुलाम हैदर ही उनके मैंटर बन गए थे। लेकिन उससे पहले गुलाम साहेब ने फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी से लता की आवाज लेने की सिफारिश की लेकिन उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि लता की आवाज बहुत पतली है। इस पर हैदर भड़क गए और उन्होंने कहा कि एक दिन लता छा जाएगी और सब उसके पैरों पर गिरकर फिल्म में गाना गवाने के लिए मिन्नतें करेंगे। क्योंकि वह लता की प्रतिभा को जान गए थे। लता के अनुसार गुलाम हैदर उनके सही मायने में गाॅड फाॅदर थे। दिल मेरा तोड़ा उनका पहला सुपरहिट गाना साबित हुआ।
. लता जी ने सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि 36 भारतीय भाषाओं, मराठी, तमिल, भोजपुरी, कन्नड़ा, बंगाली जैसी कई भाषाओं में अपनी आवाज देकर राज किया है।
. उनके जीवन से कुछ ऐसे किस्से भी जुड़े हैं जिससे वह काफी नाराज हुई थी। साल 2013 कुछ अखबारों से एक खबर छपी थी जिसपर लता काफी गुस्सा हो गई थी। खबरें थी कि लता जी ने केंद्र सरकार से अपनी बहन उषा मंगेश्कर को पद्म अवार्ड देने की सिफारिश की है। इस पर लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था। इस पर नाराज हुई स्वर कोकिला ने पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा और कहा कि 'पुरस्कार देने वाली जो कमेटी है वो हर साल मुझे पत्र लिखकर इन पुरस्कारों के लिए नाम मांगती है और मैं हर साल नाम भेजती हूं, इस साल भी मैंने ऊषा मंगेशकर और सुरेश वाडेकर का नाम भेजा है और ये दोनों ही नाम योग्य हैं।'
.साल 1949 में फिल्म महल के लिए उन्होंने आएगा आने वाला एक गाना गाया था जो मधुबाला पर फिल्माया गया था । गाना इतना सुपरहिट हुआ कि लोग चिट्ठी लिखकर पूछ रहे थे कि ये गाना गाया किसने है? दरसअल उस समय गाना गाने वाला का नहीं बल्कि किरदार निभाने वाले का नाम नहीं लिखा होता था। इस पर विवाद हुआ और उस समय लता जी को बाकी सिंगरों का साथ भी मिल गया फिर क्या फिल्म निर्माताओं को झुकना पड़ा। फिर गाना गाने वाले सिंगर का नाम भी साथ लिखा जाने लगा।
.फिर पेमेंट पर विवाद भी हुआ। गायकों को नाम तो मिलने लगा लेकिन दाम पूरा-पूरा नहीं मिलता था।गायकों की फीस देर से दी जाती थी और कभी-कभी तो पैसे डूब भी जाते थे। ऐसे में लता जी ने आवाज उठाई की पेमेंट रिकॉर्डिंग के दौरान ही की जाए। लता का पलड़ा यहां भी भारी था पेमेंट वक्त पर भी होने लगी यह सब इतना आसान नहीं था। लता से आगे भी कुछ लोग नाराज हुए थे जिसमें उनके दोस्त भी शामिल थे।
.सिंगर को पेमेंट तो समय पर होने लगी थी लेकिन फिर रॉयल्टी का विवाद खड़ा हो गया। दरअसल,म्यूजिक रिकॉर्ड की बिक्री से मिलने वाले रॉयल्टी को म्यूजिक कंपनियां, प्रोड्यूसर और म्यूजिक डायरेक्टर आपस में बांटते थे। जिस पर भी लता ने आवाज उठाई हालांकि मोहम्मद रफी को ये बात गंवारा नहीं थी और उन्होंने ऐलान कर दिया की वह उनके साथ गाना नहीं गाएंगे लेकिन लता डटी रही और जीती भी।
.पैसे-शोहरत सब उनके कदमों में रहा लेकिन हमसफर का साथ उन्हें उम्र भर ना मिला। खबरों की मानें तो छोटी उम्र में ही उनपर परिवार व भाई बहनों को संभालने की जिम्मेदारियां थी और इन्ही जिम्मेदारियों में उन्हें अपने लिए फुर्सत ही नही मिली। वहीं इसके पीछे की वजह उनकी अधूरी प्रेमकहानी भी कहा जाता है। कहा जाता है किलता मंगेशकर को दिवंगत क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष राज सिंह से प्यार हो गया था जो डूंगरपुर के महाराजा भी थे लेकिन राज सिंह के पिता महारावल लक्ष्मण सिंह को यह रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि लता जी राजघराने से ताल्लुक नहीं रखती थी। वह अपने बेटे की शादी एक आम लड़की से शादी नहीं कराना चाहते थे। इस पर लता जी ने ताउम्र कुंवारे रहने का फैसला किया था।
. नौशाद ने लता मंगेशकर के रिकॉर्डिंग स्टूडियो को उनका मंदिर कहा। वहीं दिवंगत दिलीप कुमार ने लता जी के लिए कहा था कि उनकी सुरीली आवाज हमेशा हम सभी के दिलों में बसी हुई है। फिल्म मैगजीन में उन्हें सिंगिंग क्वीन के टाइटल से नवाजा जाने लगा।
आज वह स्वर कोकिला हमेशा के लिए हमें अलविदा कह गई हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।