"महात्मा गांधी ने क्यों कहा था कि आवारा कुत्ते समाज के लिए खतरा हैं और उन्हें मार देना चाहिए?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 04:18 PM (IST)

नारी डेस्क:  हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देश में आवारा कुत्तों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट के निर्देशों के बाद यह बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि क्या सड़कों पर घूमते कुत्तों को यूं ही छोड़ दिया जाना चाहिए या इनके खिलाफ कोई कठोर कदम उठाने की जरूरत है। लेकिन यह बहस आज की नहीं है। महात्मा गांधी भी करीब 100 साल पहले इस विषय पर अपनी राय रख चुके हैंऔर उनका नजरिया बेहद स्पष्ट था।

गांधी जी का क्या कहना था?

महात्मा गांधी ने अपने समाचार पत्र 'यंग इंडिया' में आवारा कुत्तों के विषय पर लिखा था "बिना मालिक के घूमने वाला कुत्ता समाज के लिए खतरा है। और अगर वे झुंड में हों, तो वे और भी ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं। अगर हम उन्हें सभ्य तरीके से नहीं पाल सकते, उनके लिए कोई शेल्टर नहीं बना सकते, तो फिर उन्हें मार डालने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता।"

गांधी जी का यह बयान तब सामने आया जब अहमदाबाद के एक प्रसिद्ध उद्योगपति अंबालाल साराभाई ने अपनी मिल में घूमते 50 से ज्यादा आवारा कुत्तों को मरवा दिया था। इस फैसले की जमकर आलोचना हुई, लेकिन गांधी जी ने साराभाई के इस कदम का समर्थन किया।

करुणा या समाज की सुरक्षा? गांधी जी का स्पष्ट उत्तर घटना के बाद गांधी जी को कई पत्र आए जिनमें लोगों ने सवाल किया कि क्या भूखे कुत्तों को खाना देना भी गलत है?

इस पर गांधी जी ने जवाब दिया

"अगर किसी व्यक्ति के लिए भिखारियों को खाना खिलाना पाप है, तो आवारा कुत्तों को खाना खिलाना भी उससे कम पाप नहीं है। यह करुणा का झूठा भाव है। भूखे कुत्ते पर एक टुकड़ा फेंकना उसका अपमान है। आवारा कुत्ते समाज में करुणा और सभ्यता का प्रतीक नहीं हैं; बल्कि वे समाज की अज्ञानता और आलस का परिचय देते हैं।" गांधी जी ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति पशु-प्रेमी है, तो उसे इन कुत्तों की देखभाल के लिए कोई संस्था खड़ी करनी चाहिए या ऐसी संस्थाओं को आर्थिक सहयोग देना चाहिए।

PunjabKesari

इंसान और कुत्तों का 14,000 साल पुराना रिश्ता

आधुनिक वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, इंसान और कुत्तों का रिश्ता 12,000 से 14,000 साल पुराना है। शिकारी युग में इंसान ने कुत्तों को अपने साथ रखा, जिससे कुत्तों को खाना मिला और इंसानों को सुरक्षा और सहायता।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग्रेगर लार्सन के अनुसार

"कुत्ते हमारे सबसे पुराने और करीबी पशु साथी हैं। प्राचीन कुत्तों के डीएनए से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि यह रिश्ता कब और कैसे शुरू हुआ।"

जब एक कुत्ते ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई

1925 में अमेरिका के अलास्का राज्य के नोम कस्बे में डिप्थीरिया नामक घातक बीमारी फैल गई थी। इलाज के लिए ज़रूरी दवाइयां लगभग 1,000 किमी दूर थीं, और पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका हुआ था। ऐसे में टोगो नामक एक स्लेज डॉग और उसकी टीम ने लगभग 400 किमी की दूरी -60 डिग्री तापमान में तय की, जिससे समय पर दवा पहुंचाई जा सकी और सैकड़ों लोगों की जान बच गई। टोगो आज भी वफादारी और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। उसके जीवन पर फिल्में और किताबें भी बन चुकी हैं।

जब पेरिस ने कुत्तों को मारा और चूहों का कहर आया

1880 के दशक में फ्रांस की राजधानी पेरिस में नगर प्रशासन ने आदेश दिया कि जो कुत्ते पट्टे के बिना पाए जाएंगे, उन्हें पकड़कर कांजी हाउस भेजा जाएगा और मालिक न मिलने पर उन्हें मार दिया जाएगा। इसका असर ये हुआ कि शहर से कुत्ते तो खत्म हो गए, लेकिन कुछ ही समय में चूहों की भरमार हो गई और बीमारियाँ फैलने लगीं। आखिरकार प्रशासन को कुत्तों को फिर से पालना पड़ा। इस ऐतिहासिक उदाहरण से यह समझा जा सकता है कि कुत्ते सिर्फ पालतू या सजावटी जानवर नहीं हैं, बल्कि वे शहरी इकोसिस्टम का हिस्सा भी होते हैं।

यह सच है कि आवारा कुत्ते कई बार लोगों के लिए खतरा बन सकते हैं, खासकर जब वे झुंड में हों या बीमार हों। लेकिन इसका हल उन्हें मारना नहीं, बल्कि नियंत्रित तरीके से पालना है।  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static