गलती से भी पितृ पक्ष में घर न लाए ये 3 चीजें, वरना लग जाएगा भयंकर दोष!
punjabkesari.in Sunday, Sep 07, 2025 - 12:56 PM (IST)

नारी डेस्क : पितृ पक्ष हिंदू पंचांग का एक बहुत ही खास समय होता है, जब लोग अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद के लिए विशेष अनुष्ठान और तर्पण करते हैं। साल 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर से 21 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान 15 दिनों तक हिंदू परिवार श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ के माध्यम से पितरों को याद करते हैं और उन्हें भोजन अर्पित करते हैं। बता दें की पितृ पक्ष के दौरान झाड़ू, नमक और सरसों का तेल घर में नहीं लाना चाहिएं। आइए जानते हैं इसके पीछे के धार्मिक और सांस्कृतिक कारण।
झाड़ू (लक्ष्मी और पवित्रता का प्रतीक)
हिंदू मान्यताओं में झाड़ू केवल सफाई का साधन नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। यह घर में धन, समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक है। पितृ पक्ष के समय घर में नई झाड़ू लाना अशुभ माना जाता है। इसका कारण यह है कि इस अवधि में भौतिक संपत्ति और समृद्धि से ध्यान हटाकर केवल पूर्वजों की स्मृति और आध्यात्मिक संतुलन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। नई झाड़ू खरीदना इस समय नई भौतिक संपत्ति का स्वागत करने जैसा होता है, जिससे माना जाता है कि पितरों की आत्मा की शांति भंग होती है। इसीलिए सलाह दी जाती है कि परिवार पुरानी झाड़ू का ही उपयोग करें और पितृ पक्ष समाप्त होने तक नई झाड़ू घर न लाएं।
नमक (स्वाद बढ़ाने वाला, लेकिन संतुलन बिगाड़ने वाला)
नमक हर भोजन का स्वाद बढ़ाता है और इसका हिंदू परंपराओं में गहरा महत्व है। लेकिन श्राद्ध कर्म के दौरान भोजन को सात्विक और सादा रखने पर जोर दिया जाता है। माना जाता है कि पितृ पक्ष में नया नमक लाने से घर में असंतुलन और कलह पैदा हो सकता है। नमक को अहंकार और वासना का प्रतीक भी माना जाता है, और इस अवधि में इन पर नियंत्रण रखना जरूरी है। श्राद्ध में पितरों को सात्विक भोजन अर्पित किया जाता है, जिसमें अधिक नमक और मसाले नहीं होते। नया नमक खरीदना इस सात्विकता को कम करने वाला माना जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि इस अवधि की शुरुआत से पहले ही पर्याप्त नमक घर में रख लें और पितृ पक्ष खत्म होने तक नया नमक न खरीदें।
सरसों का तेल (शोक और नकारात्मकता से जुड़ा)
भारत में सरसों का तेल आमतौर पर भोजन और मालिश के लिए खूब इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं में यह शोक और मृत्यु से जुड़े अनुष्ठानों से जुड़ा हुआ है। पितृ पक्ष के दिनों में घर में नया सरसों का तेल लाना नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने वाला माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह घर में शोक का वातावरण बढ़ाता है और पितरों की आत्मा की शांति को प्रभावित करता है। क्योंकि यह समय पहले से ही पूर्वजों के स्मरण से जुड़ा होता है, इसलिए सरसों का तेल इन दिनों घर लाना या इसका ज्यादा उपयोग करना शुभ नहीं माना जाता।
पितृ पक्ष के 15 दिनों में भौतिक चीजों से ज्यादा जोर पूर्वजों की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति पर दिया जाता है। यही कारण है कि इस दौरान घर में नई झाड़ू, नया नमक और नया सरसों का तेल लाने की मनाही होती है। इन परंपराओं का मकसद है कि परिवार अपनी प्राथमिकताओं को भौतिक संपत्ति से हटाकर आध्यात्मिक संतुलन और पितरों की सेवा में लगाए।