नहीं रही मशहूर प्लेबैक सिंगर वाणी जयराम, घर में फर्श पर पड़ा मिला शव

punjabkesari.in Saturday, Feb 04, 2023 - 06:45 PM (IST)

नेशनल अवॉर्ड विनिंग लेजेंडरी सिंगर वाणी जयराम अब इस दुनिया में नहीं रही है। 78 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया है।  गायिकी क्षेत्र की ऑलराउंडर इस गायिका ने पांच दशक के करियर में विभिन्न भारतीय भाषाओं की एक हजार से अधिक फिल्मों में करीब10,000 गाने गाये हैं। सुश्री जयराम को हाल ही में गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

PunjabKesari

दरवाजा तोड़ कर निकाला गया शव

 वाणी जयराम तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई शहर के नुंगमबक्कम इलाके के हैडोस रोड स्थित एक अपाटर्मेंट में रहती थी। उनके घर में पिछले 10 साल से काम कर रही उसकी नौकरानी के मुताबिक जब वह सुबह करीब 11 बजे काम पर आई तो उसने कई बार दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। यहां तक कि वह मोबाइल कॉल का भी जवाब नहीं दे रही थीं।'' इसलिए, उसने वाणी जयराम के रिश्तेदार को सूचित किया और पुलिस को सतर्क किया, जिसने आकर दरवाजा तोड़ा। 

PunjabKesari

गायिका के शरीर पर मिले चोट के निशान

पुलिस ने गायिका को फर्श पर मृत पाया। सुश्री जयराम के माथे पर और बाएं कंधे के पास चोटों के निशान भी थे। पुलिस को संदेह है कि वह बिस्तर से गिर गई होंगी जिसमें उन्हें चोट लगी होगी। पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया है और मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है। शाम करीब चार बजे शव को पोस्टमॉटर्म के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया जाएगा। पुलिस का कहना है कि पोस्टमाटर्म रिपोटर् आने के बाद मौत के कारणों का पता चलेगा। 

PunjabKesari

एक दिन पहले स्वस्थ थी गायिका 


नौकरानी ने बताया कि वह रोजाना सुबह करीब 10-10.30 बजे ही काम पर आ जाती थी और दोपहर तक चली जाती थी। उसने कहा कि सुश्री जयराम स्वस्थ थीं और जब से उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया तब से उनका फोन बजना बंद नहीं हुआ था। उन्होंने तमिल फिल्मों में सैकड़ों मधुर हिट गाने गाए हैं जो लोगों के मन में सदाबहार रहेंगे। तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, हिंदी, बंगाली, असमिया, गुजराती और उड़यिा सहित 19 भारतीय भाषाओं में गा चुकीं सुश्री जयराम ने तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं - एक 1975 में तमिल फिल्म ‘अबुरवा रागंगल' के लिए और दो तेलुगु फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के रूप में जिसमें 1980 के एवर ग्रीन म्यूजिकल हिट ‘शंकरबरनम' (जिसे प्रसिद्ध के. विश्वनाथ द्वारा निर्देशित किया गया था, जिनका दो दिन पहले निधन हो गया) भी शामिल है।

PunjabKesari
राष्ट्रीय पुरस्कार से हो चुकी है सम्मनित

 वर्ष 1945 में तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में कलाइवानी के रूप में जन्मी, वाणी जयराम 1973 में एक तमिल फिल्म ‘थायुम सयुम' (माँ और बच्चे) में पार्श्व गायिका के रूप में अपनी शुरुआत करने के बाद 1975 में पहला राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली शायद सबसे कम उम्र की गायिका थीं। सुश्री जयराम ने वास्तव में बॉलीवुड में अपना गायन कैरियर शुरू किया था। उन्हें पहला ब्रेक हिंदी फिल्म गुड्डी (1971) में मिला। उन्होंने तेलुगु फिल्म संगीत पर बहुत प्रभाव डाला है। तेलुगु फिल्म ‘शंकरभरणम' उनकी सबसे प्रसिद्ध फिल्म थी।उनकी पहली तेलुगु फिल्म ‘अभिमनवंतुलु' (1973) थी, लेकिन 1975 की ‘पूजा' तक उन्होंने प्रसिद्धी हासिल कर ली थी। 

PunjabKesari

वाणी जयराम के निधन से हर कोई दुखी


वह ‘एनेन्नो जन्ममाला बंधम' के अपने प्रदर्शन की बदौलत एक घरेलू नाम बन गईं। विश्वनाथ की संगीतमय फिल्म शंकरभरणम (1979) के साउंडट्रैक में स्वर देने के बाद वाणी जयराम का सितारा चमक उठा, जिसके लिए उन्होंने अपना दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। इसके अतिरिक्त, उन्हें अपने तेलुगु गीत ‘अनाथिनीरा हारा' (स्वाथिकिरणम) के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। उन्होंने केवी महादेवन, चक्रवर्ती, सत्यम, इलियाराजा और एमएस विश्वनाथन जैसे कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया है। उन्होंने पी.बी.श्रीनिवास, टी.एम.सौंदरराजन, के.जे.येसुदास और बाद में एस.पी.बालासुब्रमण्यम जैसे दिग्गजों के साथ गाया था। उनके निधन पर तमिल और तेलुगु फिल्म उद्योग और प्रमुख हस्तियों ने गहरा दुख व्यक्त किया है। 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Recommended News

Related News

static