संगीत की दुनिया में शोक की लहर: मशहूर बांसुरी वादक का निधन,चेन्नई में ली अंतिम सांस
punjabkesari.in Thursday, Nov 20, 2025 - 11:03 AM (IST)
नारी डेस्क: असम की संगीत दुनिया एक बड़ी क्षति झेल रही है। प्रसिद्ध बांसुरी वादक दीपक सरमा का निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के दौरान चेन्नई के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे असम में शोक की लहर दौड़ गई है। यह राज्य के संगीत प्रेमियों के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि अभी तक लोग गायक जुबीन गर्ग की असमय मौत के गम से उबर भी नहीं पाए थे।
दीपक सरमा का जीवन और संगीत में योगदान
दीपक सरमा का जीवन संगीत और संघर्ष दोनों से भरा रहा। नलबाड़ी जिले के पानीगांव में जन्मे दीपक बचपन से ही संगीत के प्रति बेहद समर्पित थे। खासकर बांसुरी के प्रति उनका लगाव बचपन से ही गहरा था। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सिर्फ असम ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व भारत में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी बांसुरी की मधुर धुन लोगों के दिलों को छू जाती थी। उन्होंने कई असमिया गीतों और फिल्मों में संगीत दिया, और अपनी रचनाओं में असमिया लोकधुनों की मिठास और भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई को सुंदर तरीके से जोड़ा। दीपक सरमा का मानना था कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आत्मा को जोड़ने और भावनाओं को व्यक्त करने का जरिया है।
अंतिम समय और संघर्ष
पिछले कुछ महीनों से दीपक सरमा गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। पहले उन्हें गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर बेहतर इलाज के लिए चेन्नई ले जाया गया। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। जीवन के आखिरी दिनों में उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। लंबे इलाज और अस्पताल खर्च के कारण परिवार को मुश्किलें आईं। अक्टूबर में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी थी। इसके बावजूद उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
दीपक सरमा की सादगी और व्यक्तित्व
दीपक सरमा न सिर्फ संगीत के लिए जाने जाते थे, बल्कि अपनी सादगी और विनम्र स्वभाव के लिए भी लोग उन्हें याद रखते हैं। वे हमेशा यह मानते थे कि संगीत का असली मकसद लोगों के दिलों को जोड़ना और खुशी फैलाना है। उनका निधन असम और पूरे संगीत प्रेमियों के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके प्रशंसक और साथी कलाकार उनकी मधुर बांसुरी की धुन और इंसानियत को हमेशा याद रखेंगे।

