Cervical Cancer का सबसे बड़ा कारण है असुरक्षित संबंध, बचाव सिर्फ एक इंजेक्शन

punjabkesari.in Sunday, Feb 04, 2024 - 10:45 AM (IST)

पहले बता दें कि कैंसर कोई भी हो जानलेवा ही होता है लेकिन सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही एक ऐसा कैंसर है जिससे पहले ही बचाव कर सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं को होने सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। लेकिन सही समय पर इलाज मिल जाए तो इससे बचा जा सकता है।

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असुरक्षित संबंध बनाना सबसे बड़ा कारण

इस कैंसर की शुरूआत एचपीवी इंफेक्शन के कारण होती हैं, जिसे ह्यूमन पैपिलोमा वायरस कहा जाता है।  इस संक्रमण के कारण सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। माना जाता है कि असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर ये फैलता है। इंटरकोर्स में एक्टिव 80% लोग अपनी लाइफ में कम से कम एक बार जरूर  HPV संक्रमण के संपर्क में आते हैं हालांकि ये संक्रमण थोड़े समय के लिए ही रहता है लेकिन जो लोग HPV से एक से अधिक बार संक्रमित होते हैं या उनमें HPV संक्रमण वर्षों तक रहता हैं उन्हें इस कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। बता दें कि यह इंफेक्शन शारीरिक संपर्क के बाद एक दूसरे में ट्रांसमिट होता है। इसके अलावा प्राइवेट पार्ट की साफ-सफाई ना रखने, कम उम्र में शादी और प्रैगनेंसी, गर्भनिरोधक गोलियां, ज्यादा पार्टनर के साथ इंटरकोर्स, कमजोर इम्यूनिटी और स्मोकिंग के चलते भी इस कैंसर का खतरा रहता है।

ये महिलाओं के निचले यूटरस के हिस्सा में मौजूद सेल्स गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) में तेजी से विकसित होता है। इस बीमारी में गर्भाशय ग्रीवा यानी सर्विक्स के सेल्स पर असर पड़ता है। सबसे पहले इसका असर इनर टिशू पर होता है और फिर यह शरीर के अन्य भागों में ये फैल जाता है। इस कैंसर के लक्षणों की बात करें तो बीमारी के लक्षण आखिर तक पहचानने मुश्किल हो जाते हैं। यह बीमारी सालों साल छिपी रहती है। भारत में खासकर तीसरी या चौथी स्‍टेज पर जाकर महिलाओं में यह डिटेक्‍ट हो पाता है। तब तक काफी देर हो चुकी होती है और अधिकांश महिलाएं जान गंवा देती हैं। वहीं शरीर में हुए कुछ बदलावों से इसे पहचाना  जा सकता है।

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सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

जैसे यूरीन पास करते दर्द होना या बार बार यूरिन आना।

यूरिन पर कंट्रोल नहीं रहना और ब्लड आना।

इंटरकोर्स के समय दर्द होना।

पीठ और पेल्विक हिस्से में दर्द

पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग, बदबूदार डिस्चार्ज होना ये इसके लक्षण हो सकते हैं।

वैक्सीनेशन ही सबसे कारगार बचाव

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए रेगुलर स्‍क्रीनिंग और वैक्सीनेशन कराना जरूरी है। एचपीवी वैक्सीनेशन इस कैंसर से बचाने में सबसे मददगार है। 1 फरवरी को अंतरिम बजट में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देशभर में 9-14 साल की बच्चियों को निशुल्‍क सर्वाइकल कैंसर वैक्‍सीन लगवाने का भी बड़ा फैसला लिया था ताकि महिलाओं को इस कैंसर से बचाया जा सके।

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एक्सपर्ट की मानें तो इससे बचाव का उपाय भी सिर्फ वैक्‍सीन ही है जो कि छोटी बच्चियों और बच्‍चों को इसके इन्‍फेक्‍शन फेज से पहले ही लगवा देनी चाहिए। भारत में बनी सर्वाइकल कैंसर की सीरम इंस्‍टीट्यूट की सर्वावैक वैक्‍सीन 98 फीसदी कारगर है, लेकिन इसके लिए बेहद जरूरी है कि इसे फिजिकल इंटरकोर्स या शारीरिक संबंध बनाने से पहले लगा देना चाहिए। लड़कियों में इसे 9 से 14 साल की उम्र तक लगा देना बेस्‍ट है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद टीका नहीं लगवाया जा सकता। 46 साल की उम्र तक यह टीका लगवा सकते हैं और यह निश्चित रूप से बचाव करेगा।

इसके अलावा रैगुलर स्‍क्रीनिंग जरूरी है और साथ ही में यह भी जाने कि इस कैंसर से बचने के लिए सुरक्षित संबंध बनाने जरूरी है और एक ही पार्टनर से संबंध रखें।


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Content Writer

Vandana

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