''राम'' की लोकप्रियता में नहीं आई कोई कमी, 36 बरस बाद भी अरुण गोविल को मिला लोगों का खूब प्यार

punjabkesari.in Wednesday, Jun 05, 2024 - 05:17 PM (IST)

दूरदर्शन के अत्यंत लोकप्रिय धारावाहिक ‘रामायण' में भगवान राम का चरित्र निभाने के कारण घर-घर में लोकप्रिय हुए अरुण गोविल ने मेरठ संसदीय क्षेत्र के माध्यम से चुनावी राजनीति में उतर कर अपनी 36 वर्ष पुरानी लोकप्रियता की एक बार फिर परखने का निर्णय किया। गोविल ने  आम चुनाव परिणामों में मेरठ लोकसभा सीट पर अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा को 10 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया।

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रामानंद सागर के धारावाहिक ‘रामायण' में अपने अनोखे अभिनय और संवाद कला के कारण जनमानस में ‘कलयुग के राम' की छवि रखने वाले अरुण गोविल ने व्यापक प्रसिद्धि के बावजूद अन्य सह-कलाकारों की तुलना में बहुत देरी से राजनीति की राह पकड़ी है। रामायण में ‘राम' के किरदार से मिली पहचान का राजनीतिक फायदा वह बहुत पहले उठा सकते थे, लेकिन इस मामले में वह अपने सह-कलाकारों से बहुत पीछे रह गये और उन्हें चुनावी राजनीति में कूदने में करीब साढ़े तीन दशक से अधिक लग गये। उन्होंने 2021 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। 

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रामायण में रावण की भूमिका निभा चुके अरविंद त्रिवेदी और सीता की भूमिका निभा चुकीं दीपिका चिखलिया ने बहुत पहले ही संसद की दहलीज पार कर ली थी, लेकिन ‘राम' को चुनावी अखाड़े में उतरने में 36 वर्ष लग गये। उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित राम नगर में 12 जनवरी, 1958 को जन्मे अरुण गोविल ‘रामायण' के पहले ऐसे कलाकार नहीं हैं, जिन्हें सांसदी का चुनाव लड़ने का मौका मिला, बल्कि इससे पहले रावण और सीता का किरदार निभा चुके दिवंगत अरविंद त्रिवेदी एवं दीपिका चिखलिया भी लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद पहुंच चुकी हैं। दीपिका चिखलिया ने टेलीविजन और फिल्मी करियर के तत्काल बाद ही राजनीति में कदम रखा। उन्होंने 1991 में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में गुजरात की बड़ौदा (अब वडोदरा) लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचीं, जबकि अरविंद त्रिवेदी ने भी भाजपा के टिकट पर साबरकांठा सीट से चुनाव लड़ा था और जीतकर संसद पहुंचे थे।

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 पिछले काफी समय से अरुण गोविल बड़े या छोटे पर्दे पर नजर नहीं आए हैं। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1977 में आई फिल्म 'पहेली' से की थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जैसे- ‘सावन को आने दो', ‘सांच को आंच नहीं' आदि। हालांकि फिल्मों में उनका सफर बहुत कामयाब तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन उन्हें काम मिलता रहा। अरुण गोविल के लिए 1987 का साल लोकप्रियता और खुशियों का खजाना लेकर आया। 

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इस साल दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर का ‘रामायण' सीरियल अपने आप में एक इतिहास बन गया। इस सीरियल के कलाकार घर-घर पहचाने जाने लगे। अरुण गोविल की राजनीति में आने की चर्चा अक्सर होती रहती थी। उन्हें कभी कांग्रेस का करीबी भी माना जाता था और कहा जाता था वह इंदौर से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन 2021 में उन्होंने भाजपा में शामिल होकर इन अटकलों पर खुद ही विराम लगा दिया।


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Content Writer

vasudha

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