सिर्फ 8 साल की उम्र में शुरू हो गए पीरियड्स, गाइनेकोलॉजिस्ट ने बताई चौंकाने वाली वजह
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 04:06 PM (IST)
 
            
            नारी डेस्क : नारी डेस्क : पीरियड्स आना हर महिला के जीवन का एक स्वाभाविक और जरूरी हिस्सा है, लेकिन आज के समय में यह प्रक्रिया कम उम्र में शुरू होने लगी है। अब 9 साल या उससे भी कम उम्र की लड़कियों को पीरियड्स आने लगे हैं, जो कई माता-पिता के लिए चिंता का कारण बनता है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसमें घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि सही जानकारी और देखभाल की आवश्यकता है। इसी विषय पर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में बताया कि आजकल की बच्चियों में कम उम्र में पीरियड्स (Early Periods) आने के मामले तेजी से कैसे बढ़ रहे हैं।
डॉक्टर का अनुभव: “मुझे लगा जैसे कोई बीमारी हो गई है”
गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ने बताया कि उन्हें पहली बार 13 साल की उम्र में पीरियड आए थे। उस समय उन्हें समझ नहीं आया कि उनके साथ क्या हो रहा है। उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई ऐसी बीमारी हो गई है, जो कभी ठीक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आज की बच्चियों के साथ यही दिक्कत और भी गहरी है, क्योंकि अब तो 8 या 9 साल की उम्र में ही पीरियड्स आने लगे हैं।

क्यों बढ़ रहे हैं अर्ली प्यूबर्टी (Early Puberty) के मामले?
आजकल लड़कियों में कम उम्र में पीरियड्स आने के पीछे सबसे बड़ा कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खानपान है। डॉक्टर के अनुसार, बच्चे अब पहले की तुलना में ज़्यादा जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन करते हैं, जिससे शरीर में वसा बढ़ती है और हार्मोनल असंतुलन होने लगता है। इसके साथ ही फिजिकल एक्टिविटी की कमी और अत्यधिक स्क्रीन टाइम भी शरीर के प्राकृतिक विकास को प्रभावित करता है। यही वजह है कि आजकल कई बच्चियों में समय से पहले प्यूबर्टी यानी अर्ली पीरियड्स आने लगे हैं।
अर्ली पीरियड्स के नुकसान
अर्ली पीरियड्स केवल एक सामान्य शारीरिक परिवर्तन नहीं, बल्कि यह बच्चियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। कम उम्र में पीरियड्स आने से उनकी लंबाई और ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। हार्मोनल असंतुलन और थायरॉयड की समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। सबसे बड़ी चुनौती होती है। मानसिक दबाव इतनी छोटी उम्र में बच्ची को समझ ही नहीं आता कि उसके शरीर में क्या हो रहा है। डर, शर्म और तनाव उसकी मानसिक स्थिति को गहराई से प्रभावित करते हैं, जिससे आत्मविश्वास और भावनात्मक विकास पर भी असर पड़ता है।
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माता-पिता क्या करें: डॉक्टर के मुताबिक, पैरेंट्स की भूमिका सबसे अहम होती है। अगर वे शुरू से ही अपनी बेटियों के साथ खुलकर बात करें और उनकी आदतों पर ध्यान दें, तो अर्ली प्यूबर्टी से बचा जा सकता है।

ध्यान रखने योग्य बातें
बेटियों को शरीर में होने वाले बदलावों की जानकारी दें।
उन्हें संतुलित आहार दें जैसे फल, सब्जियां, दूध, दही और सूखे मेवे।
फिजिकल एक्टिविटी और आउटडोर गेम्स के लिए प्रोत्साहित करें।
जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और पैक्ड स्नैक्स से दूर रखें।
अगर बहुत जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

पीरियड्स में देरी करने वाली दवाओं से सावधान
डॉक्टर ने बताया कि पीरियड्स में देरी करने वाली दवाइयां (Period Delay Medicines) शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। इन दवाओं के सेवन से कई तरह के साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं, जैसे माइग्रेन का बढ़ जाना, मूड स्विंग्स, चेस्ट पेन और हार्मोनल असंतुलन। डॉक्टर के अनुसार, बिना विशेषज्ञ की सलाह के ऐसी दवाएं लेना बेहद खतरनाक हो सकता है, क्योंकि ये शरीर के प्राकृतिक हार्मोन चक्र को प्रभावित करती हैं। इसलिए इनका सेवन केवल डॉक्टर की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
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कम उम्र में पीरियड्स आना अब आम हो रहा है, लेकिन यह एक सावधानी का संकेत है कि शरीर में कुछ गड़बड़ है। अगर माता-पिता अपनी बेटियों की दिनचर्या, खानपान और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, तो इस स्थिति को काफी हद तक रोका जा सकता है। पीरियड्स कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि शरीर का प्राकृतिक बदलाव है। इसे समझना और सही देखभाल करना ही सबसे बड़ी जागरूकता है।
 


 
                    