कर्ज में डूबे हैं? कहीं शनिदेव तो नहीं नाराज हैं, जानिए बचाव के अचूक उपाय
punjabkesari.in Tuesday, Jun 10, 2025 - 03:53 PM (IST)

नारी डेस्क: अगर आप लगातार कर्ज़ के बोझ से दबे जा रहे हैं, हर महीने की EMI कम होने के बजाय और बढ़ती जा रही है, तो यह सिर्फ आर्थिक प्लानिंग की कमी नहीं हो सकती। कई बार तमाम कोशिशों के बाद भी जब कोई रास्ता नहीं दिखता, तब कारण हमारे कर्म और ग्रहों की स्थिति भी हो सकती है। खासतौर पर शनि देव की नाराज़गी आर्थिक संकटों का एक बड़ा कारण बन सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि देव को कलियुग का न्यायाधीश माना गया है। ये केवल दंड नहीं देते, बल्कि निष्पक्ष रूप से आपके कर्मों का फल देते हैं – अच्छा या बुरा, जैसा आपने किया हो।
शनि देव: कर्म और न्याय के अधिपति
ब्रह्मांड पुराण के अनुसार,“शनि सर्वग्रहाणां मध्ये न्यायधिपः स्मृतः।” यानि सभी ग्रहों में शनि को न्यायाधीश माना गया है। शनि के गुण दण्डाधिपति (सजा देने वाले), कर्मफलदाता (कर्म का फल देने वाले), अनुशासनप्रिय और न्यायकारी। शनि कभी भी बिना कारण दंड नहीं देते। अगर जीवन में संकट है, तो उसके पीछे कहीं न कहीं हमारे कर्म या अनुशासन में कमी ज़रूर होती है।
क्या संकेत हैं कि शनि नाराज़ हैं?:
लगातार कर्ज़ बढ़ना और EMI का बोझ: कई बार आप कितना भी कर्ज़ चुकाने की कोशिश करें, लेकिन कर्ज़ खत्म नहीं होता, उल्टा बढ़ता जाता है। यह शनि की दण्डात्मक दृष्टि का संकेत हो सकता है।
मेहनत का फल नहीं मिलना: आप दिन-रात मेहनत करते हैं लेकिन उसका कोई ठोस परिणाम नहीं मिलता – न सेविंग्स बनती हैं, न आर्थिक स्थायित्व। शनि जब क्रोधित होते हैं, तो ऐसा ही होता है।
व्यापार या नौकरी में धोखा: कुंडली में अगर शनि नीच का हो या सप्तम/द्वादश भाव में अशुभ हो, तो व्यापार में साझेदार से धोखा मिल सकता है, नौकरी में अचानक टर्मिनेशन हो सकता है।
पैसे टिकते नहीं: धन आता है लेकिन टिकता नहीं, खर्च ऐसे होते हैं जैसे पैसे जेब में छेद से गिरते जा रहे हों। यह शनि की चोरवत् दृष्टि का प्रभाव हो सकता है।
कानूनी विवाद और कोर्ट केस: अचानक कोर्ट-कचहरी के मामले, लोन विवाद या सरकारी अड़चनें शनि की दशा का संकेत होती हैं।
रिश्तों में दरार और मानसिक तनाव: घर में बार-बार झगड़े, रिश्तों में टूटन, या अवसाद जैसी स्थितियाँ भी शनि की अशुभ दशा को दर्शाती हैं।
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बिना कुंडली के भी पहचानें कि शनि कुपित हैं
आपको यह जानने के लिए कुंडली की ज़रूरत नहीं है कि शनि नाराज़ हैं या नहीं। यदि ये लक्षण लगातार बने हुए हैं, तो यह संकेत है धन की बार-बार हानि, मानसिक बेचैनी, डर और नींद की कमी, रिश्तों में अविश्वास और दूरी, हर दिशा में संघर्ष और असफलता।
शनि की नाराज़गी कैसे दूर करें? सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय
शनिवार का व्रत रखें और शनि मंदिर जाएं: हर शनिवार को शनि मंदिर जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं, शनि चालीसा या "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
जरूरतमंदों को दान करें: शनि गरीबों और ज़रूरतमंदों के साथ दया का व्यवहार पसंद करते हैं। शनिवार को काले वस्त्र, तिल, काले उड़द, छाता, लोहे की वस्तुएं, जूते आदि का दान करें।
झूठ, धोखा और दिखावा छोड़ें: शनि छल-कपट, झूठी शान और अहंकार को बर्दाश्त नहीं करते। अपने आचरण और व्यवहार में ईमानदारी लाएं।
कर्म के प्रति अनुशासित रहें: शनि कर्म का ग्रह है। जो लोग अपने कर्मों में अनुशासित, मेहनती और सत्यनिष्ठ होते हैं, उन पर शनि की कृपा हमेशा बनी रहती है।
ध्यान और साधना भी सहायक: शनि की दशा में मानसिक तनाव बढ़ता है। ऐसे में ध्यान, प्राणायाम, और रोज़ भगवान हनुमान या शिव की पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है।
शास्त्रों में क्या कहा गया है?
"शनि यदि कुपितः स्यात्, न देवो रक्षितुं क्षमः" अर्थ: जब शनि क्रोधित हो जाते हैं, तो उन्हें कोई देवता भी नहीं रोक सकते – यहां तक कि भगवान शिव भी नहीं।
अगर आप भी जीवन में कर्ज़, धोखा, आर्थिक संकट और मानसिक दबाव से जूझ रहे हैं, तो यह सिर्फ बाहरी कारण नहीं, बल्कि ग्रहों की चाल और खासतौर पर शनि देव की नाराज़गी का संकेत हो सकता है।