"आजाद किए जाएंगे आवारा कुत्ते..." SC के इस बड़े फैसले पर Dog Lovers ने दिया ये रिएक्शन

punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 03:18 PM (IST)

नारी डेस्क: सुप्रीम कोर्ट के संशोधित आदेश के बाद शुक्रवार को जोधपुर के पशु प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई, जिसमें सभी पकड़े गए आवारा कुत्तों को छोड़ने और उनका टीकाकरण करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि केवल पागल कुत्तों को ही रिहाई से बाहर रखा जाना चाहिए और पूरी प्रक्रिया की निगरानी एक गैर सरकारी संगठन द्वारा की जाएगी। पशु प्रेमी जतिन सोलंकी ने आईएएनएस से अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा- "जिसकी हम लंबे समय से मांग कर रहे थे, वह आखिरकार पूरी हो गई"। 

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 भारत में चल रहा है नसबंदी अभियान 

सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों के पक्ष में फैसला सुनाया है। अब पूरे भारत में नसबंदी अभियान पूरे जोर-शोर से शुरू होंगे। जतिन सोलंकी ने कहा- यह देखकर खुशी हो रही है कि निगरानी को भी अनिवार्य कर दिया गया है। नीदरलैंड की तरह, हमें उम्मीद है कि भारत भी आवारा कुत्तों की पीड़ा से मुक्त देश बन सकता है।" सोलंकी ने अतीत में पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) के लगातार कार्यान्वयन की कमी की भी आलोचना की। नगर निगम अधिकारियों ने प्रक्रिया को धीमा कर दिया था। यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया और दिशानिर्देशों में बदलाव किया। हमें नीदरलैंड के मॉडल का गंभीरता से पालन करने की आवश्यकता है।”


बृजेश सोलंकी के परिवार ने किया इस फैसले का स्वागत

बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र के फराना गांव निवासी और राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी (22) की कुत्ते के एक पिल्ले के काटने से मौत हो गई थी। सोलंकी के परिवार ने उच्चतम न्‍यायालय के हस्तक्षेप का स्वागत किया है। सोलंकी एक पिल्ले को नाले से निकाल रहे थे कि तभी उसने उन्हें काट लिया लेकिन खिलाड़ी ने इसे नजरअंदाज कर दिया और समय पर रेबीज रोधी टीका नहीं लगवाया, जिसके करीब दो महीने बाद संक्रमण से उनकी मौत हो गई थी। बृजेश के भाई संदीप सोलंकी ने बताया- “हम अदालत के फैसले से सहमत हैं। आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश सराहनीय हैं। हमें उम्मीद है कि इस तरह के उपाय अन्य परिवारों को हमारी जैसी घटनाओं से बचा सकते हैं।” 
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नियमों का पालन करना जरूरी 

 एक अन्य स्थानीय पशु कल्याण समर्थक कुशल अग्रवाल ने कहा- “यह निर्णय एक बड़ी राहत है। भोजन के लिए निर्धारित स्थान बनाना एक सोची-समझी पहल है। इससे जनता को कोई परेशानी नहीं होगी और एबीसी का प्रभावी ढंग से पालन किया जाएगा। नसबंदी के बाद कुत्तों को छोड़ना एक स्वागत योग्य कदम है।”  शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनके पूर्ण पुनर्वास के अपने पहले के निर्देशों में बदलाव किया।


ये है कोर्ट का फैसला

 एक नए आदेश में, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने निर्देश दिया कि पकड़े गए आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उनके अपने क्षेत्र में ही छोड़ दिया जाना चाहिए, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित हैं या आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। दिल्ली-एनसीआर से आगे कार्यवाही का दायरा बढ़ाते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने आवारा कुत्तों पर एक अखिल भारतीय नीति बनाने के लिए सभी केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य सरकारों को पक्षकार बनाया और विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित इसी तरह की याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित करने का प्रस्ताव रखा। 

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कोर्ट के आदेश का हुआ था विरोध

पीठ ने नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और नोएडा, गुरुग्राम तथा गाजियाबाद की नागरिक एजेंसियों को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में ले जाने का आदेश दिया था। दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के फैसले से समाज के कई वर्गों में आक्रोश फैल गया। इसके बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने एक बड़ी तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ का गठन किया क्योंकि न्यायमूर्ति पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा पारित आदेश स्पष्ट रूप से 2024 के सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के विपरीत था जिसमें आवारा पशुओं की हत्या पर रोक लगाई गई थी और सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा को एक संवैधानिक मूल्य के रूप में रेखांकित किया गया था।


कोतवाल बाबा काल भैरव मंदिर में भी मनाई खुशियां

वाराणसी में आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी इस मामले पर प्रतिक्रिया आयी। सनातन परम्परा में काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव का वाहन श्वान (कुत्ते) को माना गया है। वाराणसी के बटुक भैरव मंदिर के महंत जितेंद्र मोहन पुरी ने कुत्तों के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा- “कुत्ता सिर्फ एक जानवर नहीं बल्कि सनातन परंपरा में इसे कलयुग के संरक्षक देवता भगवान भैरव का वाहन माना जाता है। हमारे मंदिर में 12 कुत्ते निवास करते हैं और शंख जैसी ध्वनि करते हुए दैनिक आरती में भी भाग लेते हैं।” 
 


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Content Writer

vasudha

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