क्या सच में लकड़ी छूने से नहीं लगती बुरी नजर, क्यों कहते हैं लोग ''TOUCH WOOD''

punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 06:56 PM (IST)

नारी डेस्क : जब हम अपनी या अपने परिवार की सफलता, सेहत या खुशकिस्मती की चर्चा करते हैं, तो अक्सर पास में रखी लकड़ी को छूकर लोग कहते हैं “Touch Wood”। लेकिन क्या सच में लकड़ी छूने से बुरी नजर नहीं लगती? आइए जानते हैं इसके पीछे की परंपरा, मान्यता और ज्योतिषीय दृष्टि।

बुरी नजर और Touch Wood का कनेक्शन

बुरी नजर या Evil Eye का डर केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में माना जाता है। इसके प्रभाव से बचने के लिए लोग कई उपाय और टोटके करते हैं। Touch Wood कहना भी इन्हीं उपायों में से एक है। जब लोग अपनी या परिवार की किसी उपलब्धि, सफलता या खुशकिस्मती की चर्चा करते हैं, तो लकड़ी की किसी वस्तु को छूकर Touch Wood कहते हैं। इसका उद्देश्य है बुरी नजर या दुर्भाग्य से बचाव। वैज्ञानिक दृष्टि से इसका कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन परंपरा, मान्यता और ज्योतिष के अनुसार यह एक सकारात्मक और प्रतीकात्मक उपाय माना जाता है।

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टच वुड कहने की परंपरा

लकड़ी छूकर Touch Wood कहने का मूल विचार यह है कि लकड़ी में सकारात्मक ऊर्जा, स्थिरता और संरक्षण का भाव होता है। मान्यता है कि जब लकड़ी को छूकर टच वुड कहा जाता है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को कम करता है और लोगों को मानसिक सुरक्षा और भरोसा देता है।

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टच वुड कहने की शुरुआत

प्राचीन पैगन सभ्यता: प्राचीन पैगनों का मानना था कि पेड़-पौधों में देवी-देवताओं और बुरी आत्माओं का वास होता है। लकड़ी छूने से वे दैवीय शक्ति से जुड़ रहे होते हैं और बुरी आत्माओं से अपनी खुशकिस्मती बचा रहे होते हैं।

ईसाई धर्म: ईसाई धर्म में ईसा मसीह के क्रूस (Crucifixion Cross) की लकड़ी को पवित्र माना जाता था। लोग लकड़ी को छूकर ईश्वर का आशीर्वाद मांगते थे और दैवीय सुरक्षा की कामना करते थे।

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ज्योतिषीय दृष्टि

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि लकड़ी का संबंध मुख्य रूप से बृहस्पति (गुरु) और चंद्र जैसे शुभ ग्रहों से होता है।
बृहस्पति: संरक्षण और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा।
चंद्र: भावनात्मक स्थिरता और मानसिक संतुलन से जुड़ा।
लकड़ी को छूना शुभ ग्रहों की ऊर्जा को आमंत्रित करने और नकारात्मक ऊर्जा को कम करने वाला प्रतीकात्मक उपाय माना जाता है।

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सच तो यह है कि लकड़ी छूने या “Touch Wood” कहने से बुरी नजर का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन यह परंपरा, मानसिक विश्वास और प्रतीकात्मक सुरक्षा का प्रतीक जरूर है।
 


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Content Editor

Monika

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