गंगा के पृथ्वी पर आने का पर्व है गंगा दशहरा, इस दिन जरूर करें इन पवित्र स्थानों के दर्शन
punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 03:43 PM (IST)

गंगा दशहरा एक हिंदू त्योहार है जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।इस दिन गंगा के धरती पर उतरने की स्मृति में लोग गंगा स्नान और विशेष पूजा करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा का पृथ्वी पर अवतरण भगवान शिव की जटाओं से हुआ था। जब गंगा पृथ्वी पर उतरी, तो उसकी पहली बूंदें कई पवित्र स्थानों पर गिरीं, जो आज भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ हैं।
हरिद्वार
गंगा की धाराएं जब नीचे उतरीं, तो हर की पौड़ी से बहती हुई हरिद्वार पहुंचीं। गंगा दशहरा पर लाखों श्रद्धालु यहां स्नान और दीपदान करते हैं। यह स्थल मोक्षदायिनी कहा गया है।
गंगोत्री (उत्तराखंड)
यही वह स्थान है जहां गंगा सबसे पहले पृथ्वी पर उतरी। यह स्थल गंगा के ग्लेशियर स्रोत 'भागीरथी' का उद्गम स्थल है। यहां के जल को अत्यंत पवित्र माना जाता है और गंगा दशहरा पर विशेष पूजा होती है।
वाराणसी (काशी)
गंगा यहां एक खास ढंग से उत्तरवाहिनी होती हैं, जो बहुत शुभ मानी जाती है। गंगा दशहरा पर यहां विशेष गंगा आरती और पूजा होती है। यहां स्नान करने से शिव कृपा प्राप्त होती है।
प्रयागराज (संगम)
यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। गंगा दशहरा के दिन यहां स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रयागराज को तीर्थराज भी कहा गया है।
गढ़मुक्तेश्वर (उत्तर प्रदेश)
माना जाता है कि गंगा की एक पवित्र धारा यहां भी गिरी थी। यहां गंगा दशहरा पर विशाल स्नान और मेले का आयोजन होता है।
बिहार (सिमरिया घाट और राजगीर)
बिहार में गंगा की धाराएं कई स्थानों पर बहती हैं, लेकिन सिमरिया घाट और राजगीर विशेष माने जाते हैं। यहां भी गंगा दशहरा के दिन स्नान और पूजा से विशेष लाभ होता है।
गंगा सागर (पश्चिम बंगाल)
गंगा यहीं जाकर बंगाल की खाड़ी (सागर) में मिलती है। इसे गंगा का अंतिम पड़ाव माना जाता है। यहां गंगा दशहरा का महत्व मोक्ष प्राप्ति से जोड़ा गया है।
गंगा दशहरा पर इन स्थानों के दर्शन करने का महत्व
गंगा दशहरा पर इन पवित्र स्थलों पर स्नान करने से दस प्रकार के पापों का नाश होता है। दान, पूजन, और जल का अर्घ्य देने से जीवन में धन, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा जल से घर में छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यदि आप इन स्थानों पर नहीं जा सकते तो घर पर गंगाजल से स्नान करें या जल में थोड़ी सी गंगाजल मिलाकर स्नान करें। भगवान शिव और गंगा माता की पूजा करें, "ॐ नमः शिवाय" और "ॐ गंगे नमः" मंत्र का जाप करें। किसी नदी या जलस्रोत में दीपदान और जलदान करें।