गंदी बेडशीट से बढ़ सकता है बीमारियों का खतरा, रात की नींद हो सकती है बेचैन
punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 12:54 PM (IST)

नारी डेस्क : हम सभी अपने घरों में रोजाना बिस्तर पर बेडशीट बिछाते हैं। लेकिन अक्सर लोग इन्हें लंबे समय तक नहीं बदलते और हफ्तों तक गंदी चादर पर ही सोते रहते हैं। गंदी बेडशीट सिर्फ आपके कमरे की खूबसूरती नहीं बिगाड़ती, बल्कि यह सेहत के लिए भी नुकसानदायक होती है। इससे स्किन इन्फेक्शन, एलर्जी, दाने, पिंपल्स और यहां तक कि सांस संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि बेडशीट कब बदलनी चाहिए और इसे साफ करने का सही तरीका क्या है।
बेडशीट कब बदलनी चाहिए?
सामान्य दिनों में एक्सपर्ट्स के अनुसार, बेडशीट को हर 6 से 7 दिन में बदल लेना चाहिए।
गर्मियों में : पसीना और नमी की वजह से बैक्टीरिया और फंगस तेजी से बढ़ते हैं। ऐसे में चादर को 3 से 4 दिन में बदलना बेहतर है।
धूल-मिट्टी वाले माहौल में : अगर आपके घर में धूल ज्यादा आती है या आपका काम बाहर का है, तो 3 से 4 दिन में बेडशीट बदलें।
पिलो कवर (तकिए का गिलाफ़) : इसे हर 2-3 दिन में बदलना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा संपर्क चेहरे की त्वचा से होता है।
गंदी बेडशीट से होने वाले नुकसान
गंदी बेडशीट पर लंबे समय तक सोने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल, गंदी चादर पर बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपते हैं, जिससे खुजली, रैशेज और स्किन इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। धूल-मिट्टी से भरी बेडशीट और तकिए का कवर एलर्जी, अस्थमा और सांस संबंधी परेशानियों को भी बढ़ा सकता है। गंदी चादर का इस्तेमाल चेहरे की त्वचा पर बुरा असर डालता है, क्योंकि इससे पोर्स बंद हो जाते हैं और पिंपल्स व एक्ने की समस्या हो सकती है। वहीं, पिलो कवर न बदलने से स्कैल्प में खुजली, डैंड्रफ और अतिरिक्त तेलीयपन की समस्या सामने आती है। इतना ही नहीं, गंदी बेडशीट नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है और आप अगली सुबह थके और सुस्त महसूस कर सकते हैं।
बेडशीट को साफ करने का सही तरीका
बेडशीट को हमेशा सही तरीके से धोना बेहद जरूरी है ताकि उस पर जमा बैक्टीरिया और जर्म्स पूरी तरह खत्म हो सकें। इसके लिए माइल्ड यानी हल्के डिटर्जेंट का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा रहता है। चादर को गुनगुने या गर्म पानी में धोने से बैक्टीरिया आसानी से मर जाते हैं और यह ज्यादा साफ हो जाती है। धोने के बाद बेडशीट को हमेशा धूप में सुखाना चाहिए, क्योंकि धूप न केवल छोटे-छोटे कीटाणुओं को खत्म करती है, बल्कि बदबू दूर करके बेडशीट को ताजा और सुरक्षित भी बनाती है।
मौसम के हिसाब से बेडशीट का चुनाव
बेडशीट का चुनाव हमेशा मौसम को ध्यान में रखकर करना चाहिए ताकि नींद आरामदायक रहे और स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर पड़े। गर्मियों में हल्की और सूती बेडशीट सबसे बेहतर रहती है, क्योंकि यह पसीना सोख लेती है और ठंडक का एहसास कराती है। सर्दियों में मोटे और गर्म कपड़े की चादर इस्तेमाल करनी चाहिए, जो ठंड से बचाव करती है। वहीं, बरसात के दिनों में कॉटन मिक्स या सिंथेटिक फैब्रिक की बेडशीट उपयोगी होती है, क्योंकि यह जल्दी सूख जाती है और नमी से खराब भी नहीं होती।
ब्लैंकेट की सफाई भी है जरूरी
साफ-सफाई सिर्फ बेडशीट तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि ब्लैंकेट की सफाई भी उतनी ही जरूरी है। ब्लैंकेट पर भी समय के साथ धूल, पसीना और बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए ब्लैंकेट को कम से कम 15 दिन से लेकर एक महीने के अंदर अच्छी तरह धोना या ड्राई क्लीन करवाना चाहिए। नियमित सफाई से ब्लैंकेट न केवल ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहती है, बल्कि इसका इस्तेमाल भी सुरक्षित और आरामदायक होता है।
अगर आप समय-समय पर बेडशीट और पिलो कवर नहीं बदलते हैं, तो यह आपकी स्किन और हेल्थ दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए साफ-सुथरी और मौसम के अनुसार चुनी गई बेडशीट न केवल आपके कमरे को आकर्षक बनाएगी बल्कि आपकी नींद और सेहत दोनों को बेहतर करेगी।