डायबिटीज मरीजों को अधिक होता है स्ट्रोक का खतरा, यूं रखें बचाव

punjabkesari.in Sunday, Jan 26, 2020 - 02:36 PM (IST)

भारत में स्ट्रोक मौत और विकलांगता के बढ़ने के कारणों में एक है। यह हार्ट अटैक जैसा ब्रेन ( मस्तिष्क) अटैक है। हार्ट अटैक में हृदय की रक्त कोशिकाएं बाधित हो जाती है जिससे हृदय को खून की आपूर्ति कम हो जाती है और वह क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसी तरह ब्रेन अटैक या स्ट्रोक में मस्तिष्क को खून पहुंचाने वाली वाहिका बाधित हो जाती है। इससे दिमाग के एक हिस्से को खून की सही मात्रा में नहीं मिल पाता है और मस्तिषक का वह हिस्सा निष्क्रिय या मृत हो जाता है। दिमाग का वह हिस्सा काम करमा बंद कर देता है और ठीक नहीं होता है जिससे जीवन भर गंभीर विकलांगता बनी रहती है।

स्ट्रोक की किस्में

इशेमिक स्ट्रोक- यह सबसे आम किस्म का स्ट्रोक है और स्ट्रोेक के सभी मामलों में इसका हिस्सा 80 प्रतिशत होता है। इससे दिमाग में खून पहुंचने वाली धमनियां संकरी हो जाती हैं और खून का प्रवीह बहुत कम हो जाता है।

हैमोरेज स्ट्रोक- यह तब होता है जब खून की कमजोर हो चुकी कोशिका फट जाती है। इससे खून बाहर आ जाता है और मस्तिष्क में पहुंच जाता है। स्ट्रोक के सभी मामलों में इसका हिस्सा 10.20 प्रतिफल होता है। 

जोखिम वाले कारण

उच्च रक्तचाप स्ट्रोक के सबसे आम जोखिमों में एक है। डायबिटीज के मरीज अक्सर उच्च रक्तचाप और ज्यादा वजन वाले होते हैं। इससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।

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दिल के खराब वॉल्व और धमनियों की तंतु लंरना स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार हो सकता है। मोटापे से स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है। धूम्रपान से जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि निकोटिन से एथ्रोस्लेरोसिस (रक्त कोशिकाओं में वसा जमा होना) बढञ जाता है। 55 साल की आयु के बाद उम्र के साथ जोखिम बढ़ता है और हरेक दशक में दोगुना हो जाता है।पुरूषों की तुलना में महिलाओं को स्ट्रोक की आशंका कम होती है और बढ़ती आयु में भी। कुछ जैनेटिक गड़बड़ी से मस्तिष्क को खून का प्रवाह कम होना पहले हो सकता है। खून पतला करने वाली कुछ दवाइयों से भी जोखिम बढ़ सकता हैं।

स्ट्रोक से डायबिटीज का संबंध

डायबिटीज को स्ट्रोक के 7 प्रमुख नियंत्रण योग्य जोखिमों में से एक माना जाता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार डायबिटीज से स्ट्रोक का जोखिम 1.5 प्रतिशत बढ़ जाता है। अगर किसी व्यक्ति में ब्लड शुगर का स्तर लगातार ज्यादा रहे तो उसकी रक्त कोशिकाओं और नसों पर इसका निश्चित प्रभाव पड़ता हैं। अनियंत्रण ब्लड शुगर, ज्यादा समय तक रहने से गर्दन और मस्तिष्क को खून की आपूर्ति करने वाली रक्तवाहिकाओं में खून का थक्का जम सकता है या वसा जमा हो सकती है। इसके बढ़ते जाने से रक्त कोशिकाएं संकरी होती जाती हैं और पूरी तरह बंद हो सकती हैं। इससे खून का प्रवाह बाधित हो सकता है और स्ट्रोक हो सकता है। 

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दूसरा परिप्रेक्ष्य है कि डायबिटीज और स्ट्रोक में कई जोखिम सांझा होते हैं। उदाहरण के लिए मोटापा, पेट पर बढ़ी हुई चर्बी, उच्च रक्तचाप, धूम्रपान आदि। इस तरह इन दो बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति एक-दूसरे का शिकार हो सकता है। इसमें अच्छी बात यही है कि डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए सही कदम उठाने वाला व्यक्ति अपने आप स्ट्रोक का शिकार होने से खुद को सुरक्षित कर लेता है।  

रोकथाम और जोखिम घटाना

- वार्षिक डायबिटीज जांच के रूप में साल में कम से कम एक बार अपना एच.बी. ए1.सी. रक्तचाप और ब्लड कॉलेस्ट्रॉल की जांच।

- संतुलित आहार का सेवन करने के साथ- साथ सोडियम (नमक) का कम सेवन करें।

- शरीर का वजन नियंत्रण में रखें।

- शारीरिक रूप से सक्रिय रहिए।

-  धूम्रपान छोड़ दीजिए क्योंकि यह शरीर को शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के आस-पास खून के प्रभाव को बाधित करता है।

- तनाव से बचिए।

- कॉलेस्ट्रॉल का लेवल हमेशा सही बनाए रखें।

- अल्कोहल का सेवन हमेशा कम रखिए।

वैसे तो स्ट्रोक का जोखिम कम करने के लिए डायबिटीज का नियंत्रण महत्वपूर्ण है पर उच्च कॉलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप का प्रबंध भी साथ -साथ किया जाना चाहिए ताकि स्ट्रोक दूर रहे। स्ट्रोक के ये 2 प्रमुख जोखिम है क्योंकि ये रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करते हैं। 


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Content Writer

Sunita Rajput

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