Health Alert! दिल्ली की गंदी हवा दिमाग पर डाल रही असर,Experts की चेतावनी-सावधान रहो

punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 11:09 AM (IST)

 नारी डेस्क: दिल्ली-NCR इस समय जहरीली हवा से घिरा हुआ है। कई दिनों से दिल्ली का AQI 400 के पार जा रहा है, जिसे "गंभीर" श्रेणी माना जाता है। इतनी प्रदूषित हवा सबसे पहले फेफड़ों पर हमला करती है यह बात लगभग हर कोई जानता है। पर वास्तव में खतरा सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार विषैली हवा में रहने से दिमाग पर भी गहरा असर पड़ता है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि प्रदूषण न केवल हमारी सांस लेने की क्षमता को कमजोर करता है बल्कि दिमाग से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक को नुकसान पहुँचाता है।

वायु प्रदूषण दिमाग को कैसे प्रभावित करता है?

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि दिल्ली की जहरीली हवा में मौजूद सूक्ष्म कण जैसे PM2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि सीधे फेफड़ों में पहुंचकर खून के जरिए पूरे शरीर में फैल जाते हैं। जब ये रक्त प्रवाह के साथ दिमाग तक पहुंचते हैं, तो वहां धीरे-धीरे सूजन पैदा करने लगते हैं। इसके कारण दिमाग में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ जाता है, रक्त वाहिकाएँ कमजोर होने लगती हैं और न्यूरॉन्स को नुकसान पहुंचने लगता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है, लेकिन लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से इसका असर गंभीर रूप ले लेता है।

ब्रेन सेल्स पर सूजन और नुकसान

एक्सपर्ट्स  के अनुसार, हवा में मौजूद बेहद छोटे विषैले कण दिमाग की सुरक्षा करने वाली परत यानी ब्लड-ब्रेन बैरियर को भी पार कर लेते हैं। आम तौर पर यह बैरियर हानिकारक पदार्थों को दिमाग में प्रवेश करने से रोकता है, लेकिन जब प्रदूषण का स्तर लगातार बहुत ज्यादा हो, तो यह परत कमजोर पड़ने लगती है। इससे दिमाग के भीतर सूजन (न्यूरो-इंफ्लेमेशन) बढ़ जाती है। इस सूजन के कारण ब्रेन सेल्स धीरे-धीरे कमजोर होते जाते हैं, उनका आपसी संपर्क टूटने लगता है और दिमाग की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है।

सोचने-समझने की क्षमता पर असर

जब दिमाग में लगातार सूजन और कोशिकाओं को नुकसान होता है, तो इसका असर सोचने-समझने और याद रखने की क्षमता पर भी पड़ता है। लंबे समय तक जहरीली हवा में रहने वाले लोगों में कॉग्निटिव डिक्लाइन देखा जाता है। इसका मतलब है कि याद्दाश्त कमजोर होने लगती है, नई चीजें सीखना मुश्किल हो जाता है, ध्यान केंद्रित रखने में दिक्कत होती है और निर्णय लेने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। यह समस्या बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा तेजी से दिखती है क्योंकि उनका दिमाग प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होता है।

डिमेंशिया और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों का खतरा

एक्सपर्ट्स साफ शब्दों में बताते हैं कि हवा में मौजूद जहरीले कण डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं। जब ब्रेन सेल्स लगातार नुकसान झेलते रहते हैं, तो दिमाग का वह हिस्सा प्रभावित होता है जो याद्दाश्त और सीखने की क्षमता को नियंत्रित करता है। धीरे-धीरे यह स्थिति आगे चलकर अल्ज़ाइमर और अन्य न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों में बदल सकती है। यह खतरा उन लोगों में अधिक है जो पहले से ही उम्र, जेनेटिक कारणों या लाइफस्टाइल की वजह से ऐसे रोगों के प्रति संवेदनशील हैं।

स्ट्रोक का खतरा क्यों बढ़ता है?

प्रदूषण सिर्फ दिमाग की कोशिकाओं को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि दिमाग तक खून पहुँचाने वाली धमनियों पर भी बुरा असर डालता है। हवा में मौजूद टॉक्सिक कण रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमने की प्रक्रिया को तेज करते हैं, जिससे खून का प्रवाह बाधित होने लगता है। जब दिमाग को पर्याप्त खून नहीं मिलता, तो स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति इस्केमिक स्ट्रोक (जिसमें ब्लॉक बन जाता है) और हेमोरेजिक स्ट्रोक (जिसमें रक्त वाहिका फट जाती है) दोनों का कारण बन सकती है। डॉ. बंगा का कहना है कि दिल्ली जैसे प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्ट्रोक का जोखिम अन्य शहरों की तुलना में अधिक होता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी बड़ा असर

वायु प्रदूषण का असर केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। दिमाग में लगातार होने वाली सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण मूड को नियंत्रित करने वाले हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं। इससे चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, बेचैनी और चिंता जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं। कई स्टडीज़ में देखा गया है कि प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोग अवसाद और तनाव की समस्याओं से अधिक जूझते हैं।

खुद को प्रदूषण से कैसे बचाएं?

एक्सपर्ट्स  कहते हैं कि दिल्ली की मौजूदा माहौल में सबसे जरूरी है कि लोग खुद अपनी सुरक्षा करें। बाहर निकलते समय N95 या N99 मास्क जरूर पहनें क्योंकि ये छोटे कणों को काफी हद तक रोकते हैं। ज़रूरत न हो तो बाहर निकलने से बचें और आउटडोर गतिविधियाँ कम करें। घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें ताकि अंदर की हवा साफ बनी रहे। इसके अलावा पानी अधिक पिएँ, पोषक आहार लें और अपनी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखें।  

 


 


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Content Editor

Priya Yadav

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