कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड मैरिज: जहां प्यार भी चलता है कॉन्ट्रैक्ट पर
punjabkesari.in Wednesday, Apr 30, 2025 - 04:45 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत में शादी को हमेशा से एक स्थायी बंधन माना गया है। यहां शादी को जन्मों का साथ और जीवन भर निभाने वाला रिश्ता समझा जाता है। पर अब वक्त बदल रहा है, और नए ज़माने के कपल्स इमोशनल और प्रैक्टिकल सोच के बीच संतुलन बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड मैरिज की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
क्या है कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड मैरिज?
कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड मैरिज यानी एक ऐसी शादी जिसमें दो लोग एक तय समय के लिए साथ रहने का समझौता करते हैं। इस समझौते की एक एक्सपायरी डेट होती है यानी ये पहले से तय होता है कि रिश्ता कितने समय तक चलेगा। इस तरह की शादी में पार्टनर चाहें तो समय पूरा होने पर उस रिश्ते को आगे बढ़ा सकते हैं या फिर अलग होने का फैसला भी कर सकते हैं। इसमें उन्हें एक-दूसरे को समझने और रिश्ते का मूल्यांकन करने का मौका मिलता है।
हमेशा के बंधन से अलग सोच
परंपरागत शादी में हमेशा के लिए साथ निभाने की बात होती है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट मैरिज इस सोच को तोड़ती है। अब लोग यह समझ रहे हैं कि इंसान की जरूरतें, लक्ष्य और सोच समय के साथ बदलती है। इसलिए कुछ लोग इस नई सोच को अपना रहे हैं, जिसमें शादी की मियाद तय होती है।
इसका फायदा यह है कि कपल्स नियमित अंतराल पर अपने रिश्ते का मूल्यांकन कर सकते हैं। इससे एक-दूसरे को समझने और बेहतर संवाद बनाए रखने का मौका मिलता है। यह शादी प्यार और पसंद की बुनियाद पर टिकी होती है, न कि सिर्फ सामाजिक दबाव या जिम्मेदारियों पर।
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तलाक के बढ़ते मामलों पर असर
हर रोज़ तलाक के बढ़ते मामलों के बीच कॉन्ट्रैक्ट मैरिज एक विकल्प बन सकता है। जब किसी शादी में समय तय होता है और आगे बढ़ाने या न बढ़ाने का विकल्प होता है, तब दोनों पार्टनर एक-दूसरे को बेहतर समझने की कोशिश करते हैं। इसमें रिश्ते में एक नई ताजगी बनी रहती है। इस शादी में किसी पर यह दबाव नहीं होता कि उसे हर हाल में कुछ अपेक्षाओं को निभाना ही है। इससे रिश्ता ज़्यादा सहज और पारदर्शी बनता है।
आध्यात्मिक जुड़ाव को बढ़ावा
आजकल के कपल्स सिर्फ बाहरी चीज़ों से नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक जुड़ाव से भी रिश्ता बनाना चाहते हैं। कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड मैरिज उन्हें यह मौका देती है कि वे एक-दूसरे के आध्यात्मिक नजरिए को समझें। इससे यह समझ भी आती है कि हर रिश्ता ज़रूरी नहीं कि जीवन भर चले। कुछ रिश्ते कुछ समय तक साथ रहने के लिए होते हैं और ये भी उतने ही जरूरी और मूल्यवान होते हैं।
कुछ चिंताएं और चुनौतियां भी
हालांकि कॉन्ट्रैक्ट मैरिज में कई फायदे हैं, पर कुछ कमियां भी हैं। जब इस शादी में बच्चे हो जाते हैं, तब सुरक्षा और स्थिरता की चिंता बढ़ जाती है। बच्चों के पालन-पोषण में स्पष्टता और जिम्मेदारी जरूरी होती है, जो इस तरह के रिश्ते में थोड़ी कम हो सकती है। इस तरह की शादी में कई बार भावनात्मक गहराई भी कम हो जाती है, क्योंकि इसे एक पवित्र रिश्ते की बजाय सिर्फ एक अनुबंध के रूप में देखा जाने लगता है। इसका असर सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से गहरा हो सकता है, जिस पर सोचने की जरूरत है।
रिश्ता कोई भी हो, सम्मान और प्यार ज़रूरी
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि शादी कोई भी हो – पारंपरिक या कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड – उसमें प्यार, सम्मान और विकास बहुत जरूरी है। जब हम एक्सपायरी डेट की बात करते हैं तो यह जरूरी हो जाता है कि समाज इस सोच को समझे और अपनाने के लिए तैयार हो। इस पर बातचीत जरूरी है ताकि हम रिश्तों की गहराई को समझ सकें और हर इंसान को अपनी पसंद से रिश्ता चुनने का मौका मिल सके।
कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड मैरिज एक नया लेकिन सोचने लायक विकल्प बनकर सामने आया है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो रिश्ते में पारदर्शिता, बराबरी और व्यक्तिगत आजादी चाहते हैं।