इस मशहूर कैंडी में अब नहीं इस्तेमाल होंगे Artificial Colours, इससे है कैंसर का खतरा
punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 12:15 PM (IST)

नारी डेस्क:Titanium Dioxide को लेकर इस समय पूरी दुनिया में बहस चल रही है। कुछ देशों और वैज्ञानिक अध्ययनों में इसे स्वास्थ्य के लिए संभावित रूप से हानिकारक माना गया है। Titanium Dioxide (TiO₂) एक सफेद रंग का रसायन है जो अक्सर पेंट, सनस्क्रीन, दवाइयों, और फूड प्रोडक्ट्स जैसे कैंडी, आइसक्रीम, और बेक्ड आइटम्स में इस्तेमाल किया जाता है। यह पदार्थ खाने-पीने की चीजों को सफेद या चमकदार रंग देने के लिए डाला जाता है।
Skittles ने Artificial Colours क्यों हटाए?
Skittles (जो एक मशहूर कैंडी ब्रांड है) ने अपने प्रोडक्ट से Artificial Colours (कृत्रिम रंग) हटाने का फैसला किया है क्योंकि इनमें से कुछ रंगों, खासकर Titanium Dioxide, को लेकर स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं जताई गई हैं। कुछ रिसर्च के अनुसार, जब इसे लंबे समय तक खाया जाए, तो यह शरीर में DNA को नुकसान पहुंचा सकता है। यह आंतों में सूजन पैदा कर सकता है और लंबे समय में कैंसर जैसी बीमारियों से जोड़ा गया है।
यूरोपियन यूनियन ने 2022 में इसे फूड आइटम्स में बैन कर दिया है।
ग्राहकों की जागरूकता बढ़ी है
Titanium Dioxide का इस्तेमाल अब सवालों के घेरे में है। कुछ देश इसे सुरक्षित मानते हैं, जबकि कुछ ने इसे बैन कर दिया है। Skittles जैसे ब्रांड्स का यह कदम दर्शाता है कि कंपनियां अब स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने लगी हैं।ब ऐसे रंग इस्तेमाल कर रहे हैं जो प्राकृतिक स्रोतों से बनाए जाते हैं, जैसे बीट रूट, हल्दी, या पपीता। वहीं अब लोग भी अपनी हेल्थ को लेकर ज्यादा सचेत हैं और ऐसे प्रोडक्ट्स नहीं लेना चाहते जिनमें हानिकारक कैमिकल हों।
इस पर जल्द लग सकता है प्रतिबंध
हालांकि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) इसके उपयोग की अनुमति देता है, बशर्ते कि यह उत्पाद के वजन का 1% से अधिक न हो, पर्यावरण कार्य समूह (ईडब्ल्यूजी) जैसे वकालत समूहों ने एजेंसी से इसकी सुरक्षा का पुनर्मूल्यांकन करने का आग्रह किया है।कैंसर पर शोध के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी (आईएआरसी) ने जानवरों में सांस द्वारा टाइटेनियम डाइऑक्साइड के अध्ययन के आधार पर इसे "मनुष्यों के लिए संभवतः कैंसरकारी" के रूप में वर्गीकृत किया है। अभी तक, FDA ने टाइटेनियम डाइऑक्साइड पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, लेकिन इसका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है, क्योंकि स्वास्थ्य अधिवक्ता, राज्य के कानून निर्माता और उपभोक्ता समूह लगातार इसमें बदलाव के लिए दबाव बना रहे हैं।