मल में खून आने को ना करें इग्नोर, बड़ी आंत कैंसर का हो सकता है संकेत
punjabkesari.in Thursday, Jun 17, 2021 - 12:37 PM (IST)
कोलोरेक्टल यानि बड़ी आंत का कैंसर दुनियाभर में तीसरा सबसे आम कैंसर है, जो विश्व स्तर पर हर साल 18 लाख व्यक्तियों को अपनी चपेट में लेता है। यही नहीं, दुनियाभर में 862000 लोग इसके कारण अपनी जान गवां देते हैं। बावजूद इसके बहुत कम लोगों को इस कैंसर के बारे में पूरी जानकारी है। चलिए हम आपको बताते हैं कि कोलोरेक्टल कैंसर कैसे होता होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या होता है बड़ी आंत का कैंसर?
भोजन की नली, पेट (अमाशय), छोटी व बड़ी आंत मिलकर पाचन तंत्र बनाते हैं। बड़ी आंत 5 फीट लंबी होती है, जो कोलन से शुरू होकर मलाशय (rectum) और गुदा (मलद्वार) में खत्म होती है। कोलन और मलाशय की दीवार में ऊतक की 4 परतें होती हैं और जब कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ तोइनमें से कुछ पॉलीप्स कैंसर विकसित हो जाते हैं। यह पॉलीप्स बड़ी आंत की दीवार के साथ लिंफ नोड्स और फिर पूरे शरीर में फैलने लगते हैं।
कोलोरेक्टल कैंसर के कारण और जोखिम कारक
कई बार एक स्वस्थ कोशिका का DNA बदल जाता है, जिससे उस कोशिका में अनियंत्रित विकास होने लगता है, जो बड़ी में कैंसर का का कारण बनता है। स्टडी के मुताबिक, बड़ी आंत का कैंसर 20% जेनेटिक और 80% खराब लाइफस्टाइल के कारण होता है। इसके अलावा...
. बढ़ती उम्र में इस कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा रहता है
. वसायुक्त, लाल मांस और प्रोसेस्ड मांस का अधिक सेवन
. कोलन की सूजन आंत्र रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग
. डायबिटीज
. मोटापा
. फिजिकल एक्टिविटी ना के बराबर
. धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन
. डाइट में फाइबर कम लेना
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
. लगातार दस्त, कब्ज या पेट पूरी तरह से खाली ना होना
. लगातार कमजोरी या थकान महसूस रहना
. अचानक भूख न लगना
. वजन कम होना
. हीमोग्लोबिन में कमी या एनीमिया
. पेट में दर्द, बेचैनी या ऐंठन
. मल में लाल या काले रंग का खून आना
कोलोरेक्टल कैंसर की जांच
इस ट्यूमर से थोड़ा-थोड़ा रक्तस्राव होता है जो आंखों को दिखाई नहीं देता है। ऐसे में डॉक्टर एफओबीटी या फेकल इम्यूनोकेमिकल टेस्ट (FIT) के जरिए इसका पता लगाते हैं। पहले स्टेज पर इस कैंसर का इलाज 90%, दूसरी स्टेज पर 70-80%, तीसरे स्टेज पर 50-60% और चौथे स्टेज 30-50% संभंव है।
कैसे रखें बचाव?
इस कैंसर से बचने के लिए सबसे पहले तो अपनी लाइफस्टाइल व खान-पान की आदतें बिगाड़ें। साथ ही डाइट में फाइबर फूड्स अधिक लें क्योंकि यह भोजन पचाने व पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा रोजाना रूटीन में योग व एक्सरसाइज को शामिल करें।