सोते-सोते बच्चा बिस्तर पर कर देता है पेशाब ? सिर्फ तन नहीं, मन से भी जुड़ी है यह परेशानी

punjabkesari.in Sunday, Nov 30, 2025 - 05:17 PM (IST)

नारी डेस्क: 2 से 4 साल की उम्र में कई बच्चे बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं, जिसे सामान्य माना जाता है। ज्यादातर बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, खुद पर कंट्रोल करना सीख जाते हैं। लेकिन कुछ बच्चों में यह समस्या 5–7 साल की उम्र तक बनी रहती है। यह केवल एक आदत नहीं, बल्कि शरीर और मन दोनों से जुड़ी समस्या होती है। आयुर्वेद में इसे ‘शय्यामूत्र’ कहा जाता है। आइए जानें कि बच्चे सोते हुए बिस्तर क्यों गीला कर देते हैं और कैसे इस परेशानी से धीरे-धीरे छुटकारा पाया जा सकता है।

सोते समय बच्चा बिस्तर क्यों गीला कर देता है?

शरीर (तन) से जुड़ी वजहें

आयुर्वेद के अनुसार, बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या वात दोष और कफ दोष के असंतुलन के कारण होती है। जब इन दोषों का स्तर बढ़ता है, तो शरीर की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और मूत्र को रोककर रखने की क्षमता कम हो जाती है। इसके साथ ही कफ बढ़ने से बच्चों को गहरी नींद आती है, जिसमें मस्तिष्क शरीर को यह संकेत ही नहीं दे पाता कि पेशाब की जरूरत है। कई बार पाचन कमजोर होने से भी वात असंतुलित हो जाता है, जिससे मूत्र नियंत्रण कमजोर पड़ता है और बच्चा रात में अनजाने में बिस्तर गीला कर देता है।

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 मन (माइंड) से जुड़ी वजहें

कुछ मामलों में यह समस्या तनाव, डर, असुरक्षा, बदलाव, या घर में किसी मनोवैज्ञानिक दबाव के कारण भी हो सकती है। बच्चे खुद इस स्थिति को समझ नहीं पाते, लेकिन मन के अंदर चल रही हलचल का असर उनके शरीर पर पड़ता है।

आयुर्वेद में इसे क्या कहते हैं?

आयुर्वेद में बच्चों के बार-बार बिस्तर गीला करने को शय्यामूत्र कहते हैं। यह सिर्फ शारीरिक समस्या नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन से भी गहराई से जुड़ी मानी जाती है।

कैसे पाएं इस समस्या से निजात? (आसान और देसी उपाय)

अजवाइन, काले तिल और गुड़ का मिश्रण

अजवाइन + काले तिल + गुड़ मिलाकर छोटी चिक्की बना लें। इसे रात में गर्म दूध के साथ बच्चे को दें। इससे नसें मजबूत होती हैं और मूत्र नियंत्रण बेहतर होता है।

आंवला और शहद

आंवला पाउडर या ताजा आंवला शहद के साथ दिन में दो बार बच्चे को दें।  यह शरीर को पोषण देता है और मूत्र नियंत्रण प्रणाली मजबूत करता है।

सोने से पहले बाथरूम जाने की आदत

बच्चे को सोने से पहले हर दिन पेशाब करवाएं। इस रूटीन का असर कुछ ही दिनों में दिखने लगता है।

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 बच्चे को बिल्कुल भी डांटे नहीं

डांटने से बच्चे में डर, शर्म और तनाव बढ़ता है, जिससे समस्या कम होने की बजाय बढ़ सकती है। उन्हें प्यार से समझाएं कि यह कोई गलती नहीं है और वे धीरे-धीरे इसे सुधार सकते हैं।

बच्चे को संकेत पहचानना सिखाएं

बच्चों को समझाएं कि जब पेट भारी लगे, बेचैनी हो या नींद टूटे, तो तुरंत washroom जाना है। कई बच्चे खेल में या गहरी नींद में संकेतों को अनदेखा कर देते हैं।

बिस्तर गीला करना बच्चों में बहुत आम समस्या है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। यह केवल तन की नहीं, मन की भी परेशानी है। प्यार, समझ, सही आदतें और आयुर्वेदिक उपायों से बच्चे धीरे-धीरे पूरी तरह इस समस्या से बाहर निकल सकते हैं।  


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Content Editor

Priya Yadav

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