''पूत'' बना ''कपूत'': चांदी के गहने के लिए चिता में लेट गया बेटा, नहीं होने दिया अपनी ही मां का संस्कार

punjabkesari.in Friday, May 16, 2025 - 12:47 PM (IST)

नारी डेस्क: यह कहावत प्राचीन समय से चली आ रही है कि  “पूत कपूत तो क्यो धन संचे” यानी कि अगर बेटा कुपुत्र है तो उसके लिये धन संचय क्यो किया जाय। यह कहावत सच साबित हुई है राजस्थान में जहां एक शख्स ने चांदी के कड़े के लिए मां का अंतिम संस्कार रोक दिया। इतना ही नहीं यह कपूत बेटा एक छोटी सी चीज के लिए मां की चिता में ही लेट गया। इसके चलते महिला के अंतिम संस्कार में लगभग दो घंटे की देरी हुई।
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 यह हैरान करने वाली घटना तीन मई को विराटनगर इलाके के लीला का बास की ढाणी में हुई। घटना का वीडियो वीरवार सामने आया तब और लोगों को इसकी जानकारी मिली। हालांकि अभी तक इस मामले की पुलिस में शिकायत नहीं की गई है। ग्रामीणों के अनुसार दिवंगत छीतरमल रेगर की पत्नी भूरी देवी का तीन मई को निधन हो गया था। उनके सात बेटों में से छह गांव में एक साथ रहते हैं, जबकि पांचवां बेटा ओमप्रकाश अलग रहता है। ओमप्रकाश और उसके भाइयों के बीच कई सालों से संपत्ति का विवाद चल रहा था। 

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ग्रामीणों के मुताबिक महिला के अंतिम संस्कार के लिए घर पर रस्में निभाने के बाद परिजनों ने भूरी देवी के चांदी के कड़े एवं अन्य आभूषण उतारकर सबसे बड़े बेटे गिरधारी को सौंप दिए। इसके बाद अर्थी शमशान घाट ले जायी गयी। ग्रामीणों का कहना है कि ओमप्रकाश ने भी मां की अर्थी को कंधा दिया,लेकिन शमशान घाट में जाकर उसने हंगामा शुरू कर दिया और मां के चांदी के कड़े एवं अन्य आभूषणों की मांग की। यहां तक कि वह वहां बनाई गई चिता पर भी लेट गया। ग्रामीणों और परिवार के सदस्यों द्वारा समझाने के प्रयासों के बावजूद ओमप्रकाश ने करीब दो घंटे तक हंगामा किया। आखिरकार, आभूषण श्मशान घाट पर लाए गए और उसे सौंप दिए गए। इसके बाद ही ओमप्रकाश चिता पर से हटा और भूरी देवी का संस्कार किया जा सका।


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vasudha

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