लकवा पेशेंट की 6 महीने में होगी रिकवरी, पहले जैसे ही अंगों में आ जाएगी जान
punjabkesari.in Tuesday, Jan 28, 2025 - 06:58 PM (IST)
नारी डेस्कः पैरालेसिस अटैक के केसेज इस समय बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। पैरालेसिस अटैक आने के बहुत से कारण हो सकते हैं। ब्रेन और हार्ट में स्ट्रोक होना इसकी सबसे बड़ी वजह है। ब्रेन में खून का थक्का जमने के कारण लकवा की शिकायत होती है। एक बार व्यक्ति लकवे का शिकार हो जाए तो ज्यादातर लोगों का मानना है कि लकवा आने पर शरीर में दोबारा जान (सेंसेशन) नहीं आ पाता है और पेशेंट खुद का काम करने में असमर्थ रहता है लेकिन डाक्टर्स के अनुसार, लकवा आने के दो से तीन दिन में पेशेंट में सुधार शुरू हो जाता है। वहीं छह महीने में रिकवरी आना शुरू हो जाती है। ऐसे मरीज की डेढ़ साल में पूरी तरह से रिकवरी आ सकती है हालांकि इसके बाद रिकवरी आने की संभावना खत्म हो जाती है। पेशेंट की घर पर ठीक तरीके से देखभाल की जाए तो जल्दी पॉजिटिव रिजल्ट मिलते हैं। अगर आप घर पर किसी लकवा पेशेंट की केयर कर रहे हैं तो चलिए आपको एक्सपर्ट्स के बताए 6 ऐसे टिप्स बताते हैं जो बहुत काम आएंगे।
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1. सही पोजिशनः पेशेंट को करेक्ट पोजिशन (न्यूट्रल पोजिशन) में रखा जाएं। हर घंटे में मरीज की करवट दिलवाएं। उसे एनॉटोमिकल पोजिशन में रखें।
2.न्यूट्रीशियन डाइट चार्टः न्यूट्रीशियन से उनका डाइट चार्ट बनवाएं। मरीज को लो कैलोरी, लो फैट और विटामिंस युक्त डाइट दें। बी-कॉम्पलेक्स देना जरुरी है। यह नर्व के लिए बेहतरीन विटामिन है। जिंक सहित अन्य न्यूट्रीशियन भी दें। ये मेटाबॉलिक एक्टीविटीज बहुत काम आते हैं।
3. रिकवरी के हिसाब से एक्सरसाइजः दिमाग में लगे थक्के का जोर जैसे जैसे कम होता है तो दिमाग की बची हुई कोशिकाएं रिकवर होना शुरू हो जाती है। इसलिए मरीज को रिकवरी के हिसाब से एक्सरसाइज जरूर करवाएं।
4. होममेड एक्सरसाइजः मरीज को धीरे-धीरे पैरों पर खड़ा करवाएं। हाथों से फंक्शनल काम होते हैं। एक्सरसाइज के लिए मशीनें उपलब्ध हैं। आप होममेड तरीके भी अपना सकते हैं। पेशेंट खुद भी एक्सरसाइज कर सकता है और घर परिवार का सदस्य जिसे अनुभव है वह अपनी देखरेख में मरीज को एक्सरसाइज करवा सकता है। वहीं, इसके लिए अस्सिटेंट भी रखा जा सकता है।
5. छोटे-छोटे टास्कः हाथों में रिकवरी आने पर ब्रश पकड़ना सिखाएं। हाथों को फंक्शनल बनाने के लिए बड़े से छोटे टास्क काम करवाए जाते हैं। यदि हाथों में रिकवरी आना शुरू हो चुका है और वह बारीक काम नहीं कर पा रहे तो पहले उन्हें ब्रश पकड़ना सिखाएं।
6. सेल्फ डिपेंडेंट बनाएंः मरीज जैसे-जैसे रिकवर करता है। उसे सेल्फ डिपेंडेंट बनाएं, रिकवरी स्टेज में ऐसा करवाने से फायदा मिलेगा।
कब तक सामने आते हैं रिजल्ट
जितना जल्दी रिहेब शुरू करेंगे। उतने अच्छा रिजल्ट आएंगे। लकवा आते ही दूसरे दिन से रिहेब चालू करवाएं। शुरूआती छह महीनों में रिकवरी आ सकती है। रिहेब से विकलांगता शून्य तक हो सकती है। डेढ़ साल बाद रिकवरी नहीं आती है।
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रेजिडुअल पैरालिसिस स्टेज
पहले ऐसा माना जाता था कि एक बार ब्रेन डेमेज होने के बाद रिकवर नहीं हो पाता लेकिन अब नई नई तकनीक से पेशेंट की देखभाल की जाती है। रेजिडुअल पैरालिसिस स्टेज में नई तकनीक के जरिए पेशेंट की केयर की जाती है जिसमें न्यूरोप्लास्टिसिटी भी शामिल होती हैं। नई थ्योरी के मुताबिक, ब्रेन के न्यूरॉन्स दोबारा भी काम करते हैं। एक्सरसाइज के जरिए चैनल्स को एक्टिव करके उसमें बार-बार रिस्पॉन्ड करवाया जाता हैं। बॉडी के किसी भी हिस्से पर बार-बार ब्रश को फिराएं। नए तरीके के टास्क बार-बार करवाने से नए चैनल्स शुरू हो जाते हैं।
मिरर थैरेपी भी काफी फायदेमंद
इस बीमारी में टास्क ऑब्जेक्टिव और मिरर थैरेपी सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं। पेशेंट को छोटे-छोटे टास्क दिए जाते हैं। मिरर थेरेपी में दो मिरर के बीच में एक बॉक्स रखा जाता है। बॉक्स में साधारण हाथ और पैरालाइज लिंब को रखवाया जाता है। साधारण हाथ से जब पेशेंट एक्टिविटी करता है तो इससे ब्रेन तक स्टीमुलेशन पहुंचते हैं। जब मरीज अपने सही हाथ से एक्टीविटीज करेत हुए देखता है तो दूसरे हाथ में भी स्टीमुलेशन आना शुरू हो जाता है। इसके अलावा रोबोटिक मशीन में उसे बैठा दिया जाता है। वह साधारण व्यक्ति की तरह हाथ-पैर चलाता है। मोटो मेड मशीन के जरिए भी एक्सरसाइज करवाई जाती हैं। इसमें सेंसर होने से पेशेंट को एक्टीविटीज करने में फायदा मिलता है।
अब तो और भी कई तरह की नई मशीनें उपलब्ध है जो इस तरह के पेशेंट को जल्दी ठीक करने में बहुत फायदेमंद है।