दवा के सहारे कैंसर फ्री हुई महिला, डॉक्टरों ने दिया था 2 महीने तक जिंदा रहने का अल्टीमेट

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 09:51 AM (IST)

कैंसर से जूझ रही एक भारतीय मूल की महिला इस खतरनाक बीमारी को मात देने में सफल रही। हैरानी की बात यह है कि महिला सिर्फ दवाओं के सहारे ही पूरी तरह से ठीक हो गई। महिला को कहा गया था कि वह कुछ महीने तक ही जीवित रह सकती है, लेकिन अब जब उन्हे पता चला कि उनमें अब ब्रेस्ट कैंसर के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं तो वह खुशी से झूम उठी।

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ब्रिटेन के अस्पताल के चिकित्सकों ने एक क्लिनिकल परीक्षण के बाद 51 वर्षीय महिला जैस्मिन डेविड में स्तन कैंसर का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। मैनचेस्टर के फैलोफील्ड की जैसमिन डेविड राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में सफल परीक्षण के बाद अब सितंबर में आने वाली अपनी शादी की 25वीं वर्षगांठ मनाने के लिए उत्साहित हैं।मैनचेस्टर क्लिनिकल रिसर्च फैसिलिटी (सीआरएफ) में दो साल तक डेविड पर किए गए परीक्षण के दौरान उन्हें एटेजोलिजुमेब के साथ एक दवा दी गई, जो एक इम्यूनोथेरेपी औषधि है। 

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यह दवा अंतःशिरा के जरिए दी जाती है। डेविड ने याद करते हुए बताया- "मुझे कैंसर का इलाज कराए 15 महीने हो चुके थे और मैं इसे लगभग भूल चुकी थी, लेकिन यह वापस लौट आय, जब मुझे परीक्षण की पेशकश की गई, तो मुझे नहीं पता था कि यह मेरे काम आएगा, लेकिन मैंने सोचा कि मैं कम से कम अपने शरीर का उपयोग करके दूसरों की मदद और अगली पीढ़ी के लिए कुछ कर सकती हूं"। शुरू में, मुझे सिरदर्द और तेज बुखार सहित कई भयानक दुष्प्रभाव हुए। फिर शुक्र है कि मुझे इलाज का फायदा होता दिखा।'

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जैस्मिन ने बताया कि उन्हें नवंबर 2017 में स्तन कैंसर से पीड़ित होने के बारे में पता चला था। छह महीने तक उनकी कीमोथैरेपी की गई और अप्रैल 2018 में मास्टेकटोमी की गई। इसके बाद 15 रेडियोथेरेपी की गईं, जिसके बाद कैंसर खत्म हो गया। लेकिन अक्टूबर 2019 में कैंसर फिर लौट आया और वह इससे बुरी तरह ग्रस्त हो गईं। इस दौरान उन्हें बताया गया कि उनके पास एक साल से भी कम जिंदगी बची है। दो महीने बाद जब कोई विकल्प नहीं बचा, तब उन्हें क्लिनिकल परीक्षण में शामिल लेकर अनुसंधान का हिस्सा बनने की पेशकश की गयी।


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Content Writer

vasudha

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