शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी? जानिए इसकी वजह
punjabkesari.in Monday, Jul 06, 2020 - 01:08 PM (IST)
सावन का पवित्र महीना आज से शुरू हो गया है। यह महीना भगवान शिव का अतिप्रिय होने से इस दौरान शिवपूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इसतरह लोग इस पावन महीने में भगवान जी की कृपा पाने के लिए उनको अलग-अलग चीजें अर्पित करते है। मगर कुछ लोग उनकी पूजा- विधि में तुलसी के प्रयोग को लेकर थोड़े सोच-विचार में रहते है। असल में सबसे पवित्र मानी जाने के बावजूद भी तुलसी की पत्तियों को तुलसी पूजा में स्थान नहीं दिया जाता है। तो चलिए जानते है इससे जुड़ी कहानी...
आखिर क्यों नहीं होती तुलसी की पत्तियों से शिव पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर नामक राक्षस शिव जी का अंश होने के बावजूद भी उनका दुश्मन था। उसे अपनी वीरता पर बड़ा अभिमान था। भगवान शिव का शत्रु होने से वह महादेव से युद्ध करके उनका स्थान प्राप्त करना चाहता है। माना जाता है कि अमर होने के लिए उसने वृंदा नाम की कन्या से विवाह करवाया। वृंदा ने अपनी पूरी जिंदगी पत्नि धर्म का पालन किया। इसी कारण उसे पतिव्रता और सबसे पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही उसे भगवान नारायण से सुरक्षा कवच मिलने के कारण अमरतत्व का वरदान हासिल था।
मगर राक्षस जाति का होने से जालंधर देवताओं पर राज जमाना चाहता था। इसलिए उसने शिव जी को युद्ध करने की चुनौती दी। मगर वृंदा के पतिव्रता होने के कारण उसे मार पाना मुश्किल हो रहा था। इसके चलते भगवान शिव और विष्णु जी ने उसे मारने के लिए एक उपाय सोचा। सबसे पहले तो भगवान विष्णु से जालंधर कवच ले लिया। उसके बाद जालंधर की अनुपस्थिति में वृंदा की पवित्रता को भंग करने के लिए उनके महल में जालंधर का रूप धारण कर पहुंचे। इसतरह वृंदा का पति धर्म भंग होते ही जालंधर का अमरतत्व का वरदान भी खत्म हो गया। इस तरह भगवान शिव ने उसे मार दिया।
मगर जब वृंदा को इस बात का पता चला कि उससे धोखा हुआ है तो उसने क्रोध में आकर भगवान शिव को श्राप दिया कि उनकी पूजा में कभी भी तुलसी की पत्तियां नहीं रखी जाएगी। इसतरह शिव जी की पूजा में हमेशा के लिए तुलसी की पत्तियों को रखने में मनाही होती है। अगर कहीं उसे रख भी लिया जाएं तो इससे भगवान शिव के क्रोध को सहना पड़ सकता है।