असली के नाम पर कहीं आप भी तो नहीं खा रहे नकली दवाई, पहले पहचानें फिर खरीदें

punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2025 - 11:37 AM (IST)

नारी डेस्क: आजकल क्या असली है क्या नकली है यह पहचानना बेहद मुश्किल हो गया है। घी, दूध, पनीर के बाद अब तो दवाइयां भी नकली बिक रही है। यानी कि दवाई का सेवन करने के बाद आपकाे इसका फायदा मिलेगा या नहीं यह कहना बेहद मुश्किल है। एक अध्ययन के मुताबिक देश में बिकने वाली करीब 25 फीसदी दवाएं नकली हैं।  फर्जी कंपनियों द्वारा नामी कंपनियों के लेबल की नकल कर इन दवाओं की बाजार में सप्लाई की जा रही है। 

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सैंपल लैब टेस्ट में फेल हुई कई दवाएं

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की एक रिपोर्ट में  बताया गया था कि आम बुखार की दवा पैरासिटामोल सहित 53 दवाएं ऐसी हैं जिनके सैंपल लैब जांच में फेल हुए, दवाओं के नाम पर सब-स्टैंडर्ड सॉल्ट बेचे जा रहे हैं।  क्वालिटी टेस्ट में फेल हुए दवाओं में पेनकिलर डिक्लोफेनेक, एंटीफंगल दवा फ्लुकोनाजोल, विटामिन डी सप्लीमेंट, बीपी और डायबिटीज की दवा, एसिड रिफलक्स आदि शामिल थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) का दावा है कि दुनिया में नकली दवाओं का कारोबार 200 बिलियन डॉलर यानी करीब 16,60,000 करोड़ रुपये का है।

 

नकली दवाएं  स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा


 नकली दवाएं आवश्यक सक्रिय तत्वों से रहित होती हैं या उनमें गलत मात्रा में ये तत्व होते हैं, जिससे रोगी को सही इलाज नहीं मिल पाता।  नकली एंटीबायोटिक्स का उपयोग रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधकता बढ़ा सकता है, जिससे भविष्य में इलाज मुश्किल हो जाता है।  कुछ मामलों में, नकली दवाओं का सेवन मौत का कारण बन सकता है, खासकर अगर रोगी को तत्काल और सही उपचार की आवश्यकता हो। नकली दवाएं न केवल स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकती हैं बल्कि वे आर्थिक दृष्टि से भी समाज पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। 

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ऐसे करें असली नकली की पहचान

असली और नकली दवाई की पहचान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण संकेतों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे की असली दवाओं की पैकेजिंग आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाली होती है, जबकि नकली दवाओं की पैकेजिंग में  स्पेलिंग मिस्टेक, धुंधली प्रिंटिंग या कमजोर सामग्री का उपयोग हो सकता है। पैकेजिंग पर ब्रांड लोगो, मैन्युफैक्चरिंग डेटऔर  एक्सपायरी डेट ध्यान से देखें। किसी भी तरह की गलत जानकारी  से सतर्क रहें।

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इन बातों का भी ध्यान रखें 

 कई कंपनियां अपनी दवाओं की प्रामाणिकता की पुष्टि  के लिए QR कोड या होलोग्राम लगाती हैं। QR कोड को स्कैन  करके आप दवा की प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं। नकली दवा की बनावट में अंतर हो सकता है, जैसे कि बदलता रंग, गोलियों का असमान आकार या पाउडर की गुणवत्ता में कमी। अगर दवा लेने के बाद कोई असर नहीं हो रहा है या अचानक से दुष्प्रभाव  हो रहे हैं, तो यह नकली हो सकती है। तुरंत डॉक्टर से परामर् करें और दवा को बंद कर दें।


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vasudha

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