बॉलीवुड की सबसे 'मनहूस' फिल्म, बनते-बनते हुई दो एक्टर और डायरेक्टर की मौत
punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 10:57 AM (IST)

नारी डेस्क: ‘लव एंड गॉड’ को हिंदी सिनेमा की सबसे 'मनहूस और शापित' फिल्म माना जाता है। इसके बनने के दौरान दो बड़े स्टार्स और एक डायरेक्टर समेत कई कलाकारों की मौत हो गई थी। शूटिंग और निर्माण के दौरान हुए हादसों ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को हिला दिया।‘लव एंड गॉड’ के डायरेक्टर के. आसिफ ने इस फिल्म को बनाने के लिए बड़े सपने देखे थे। उनका लक्ष्य इसे अपनी सुपरहिट फिल्म ‘मुगले-आजम’ जैसी क्लासिक फिल्म बनाना था। फिल्म का निर्माण 1962 में शुरू हुआ, लेकिन इसे बनाने में 24 साल का लंबा समय लग गया। शुरुआत में फिल्म में लीड रोल के लिए निम्मी और गुरु दत्त को साइन किया गया। गुरु दत्त को मजनू का रोल निभाने में संकोच था, लेकिन के. आसिफ ने उन्हें राजी कर लिया। फिल्म की कहानी लैला-मजनू पर आधारित थी और इसमें अरबी किरदारों लैला और कैश की कहानी दिखाई गई थी।
गुरु दत्त की मौत और फिल्म की शूटिंग में ठहराव
गुरु दत्त उस समय अपने निजी जीवन में कई परेशानियों से जूझ रहे थे। उनकी पिछली फिल्म ‘कागज के फूल’ फ्लॉप हो चुकी थी और आर्थिक तंगी में उन्हें अपना घर गिरवी रखना पड़ा। उनकी पत्नी गीता दत्त के साथ रिश्ते भी खराब थे। एक दिन गुरु दत्त ने शराब और नींद की गोलियां लेकर आत्महत्या कर ली। उनकी मौत ने के. आसिफ और पूरी फिल्म टीम को झकझोर दिया। फिल्म की शूटिंग बीच में रुक गई।
संजीव कुमार को मजनू का रोल और पेशेंस टेस्ट
गुरु दत्त की मौत के बाद के. आसिफ ने संजीव कुमार को मजनू के रोल के लिए साइन किया। संजीव का टेस्ट लेने के लिए उन्हें एक दूसरी फिल्म ‘सस्ता खून महंगा पानी’ में राजस्थान भेजा गया। यह टेस्ट इसलिए लिया गया ताकि के. आसिफ जान सकें कि संजीव लंबे शूटिंग शेड्यूल और कठिन परिस्थितियों को संभाल सकते हैं या नहीं। संजीव सफल हुए और मजनू के रोल के लिए चयनित किए गए।
डायरेक्टर के. आसिफ की मौत
1971 में संजीव कुमार कुछ समय के लिए मुंबई छोड़ गए और जब वापस लौटे तो के. आसिफ उनसे मिलने गए। अचानक के. आसिफ को सांस लेने में दिक्कत हुई और संजीव ने उन्हें संभालने की कोशिश की, लेकिन के. आसिफ उनकी बांहों में ही दम तोड़ दिया। यह घटना पूरी फिल्म टीम के लिए एक और बड़ा सदमा थी।
संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मौत
फिल्म की शूटिंग फिर से शुरू हुई, लेकिन कुछ समय बाद संजीव कुमार को हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई। इसके बाद फिल्म को पूरा करना और भी मुश्किल हो गया। फिल्म की शूटिंग के दौरान डायरेक्टर और एक्टर की मौत के अलावा कई और कलाकार भी चल बसे। इस कारण फिल्म इंडस्ट्री और दर्शक मानने लगे कि यह फिल्म ‘मनहूस और शापित’ है। शूटिंग बची हुई थी और फंड की कमी के कारण केसी बोकाडिया ने फिल्म को रिलीज करने का फैसला किया। बाकी की शूटिंग बॉडी डबल्स के माध्यम से पूरी की गई। संजीव कुमार के हिस्से में बॉडी डबल का इस्तेमाल किया गया।
1986 में रिलीज और फ्लॉप
कठिनाइयों और हादसों के बाद ‘लव एंड गॉड’ 1986 में रिलीज हुई। लेकिन फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हो गई। एडिटिंग कमजोर थी और बॉडी डबल्स के इस्तेमाल से फिल्म की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा।
इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा के इतिहास में सबसे 'मनहूस और शापित' फिल्म के रूप में अपनी पहचान बनाई।