Vein Blockage: खुल जाएंगी सारी बंद नसें, नहीं आएगी सर्जरी की नौबत

punjabkesari.in Tuesday, Oct 01, 2024 - 05:25 PM (IST)

नारी डेस्कः नसों में ब्लॉकेज की समस्या (Vein blockage) इतनी आम सुनने को मिल रही है कि ये प्रॉब्लम जवान लोगों को भी हो रही है। इसकी वजह हमारा खराब लाइफस्टाइल, खान-पान की गलत आदतें ही हैं। आपने बहुत से लोगों को ये कहते सुना होगा कि उनके हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं। अगर ऐसा लगातार हो रहा है तो इसके पीछे की वजह ब्लॉकेज भी हो सकती हैं। नीली रंग की नसें एक जगह रस्सी की तरह गुच्छों में इक्टठी हो जाती है जिसे वेरिकोज वेन्स (Varicose Veins) कहते हैं और ऐसा तब होता है जब ब्लड फ्लो स्लो हो जाता है और अच्छे से नसों में दौरा नहीं कर पाता लेकिन अपने लाइफस्टाइल को सही कर आप बंद हुई नसों (block nason ko kaise kholen) को खोल सकते हैं। चलिए इस बारे में ही जानते हैं।

नसों में ब्लॉकेज क्यों होती है? (Vein Blockage Problem)

नसों (धमनियों) की ब्लॉकेज तब होती है जब धमनियों में प्लाक (plaque) का निर्माण हो जाता है, जिससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है। प्लाक एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जो मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल, वसा, कैल्शियम और अन्य पदार्थों से बनता है। इसे एथेरोस्क्लेरोसिस भी कहा जाता है। नसों की ब्लॉकेज कई कारणों से हो सकती है। 

ब्लॉकेज की समस्या किन लोगों को ज्यादा होती है?

यह समस्या उन लोगों को ज्यादा होती है जो बाहर का फास्ट फूड, ऑयली खाना और अनहैल्दी डाइट लेते हैं। फिजिक्ल एक्टिविटी नहीं करते, वजन बहुत ज्यादा होता है, तनाव में रहते हैं। उन्हें ये समस्या कम उम्र में ही होने लगती है। जैसे:

अनहैल्दी डाइट: वसा और कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन, जैसे तली हुई चीजें, जंक फूड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, धमनियों में प्लाक का निर्माण कर सकते हैं।

एल्कोहल और स्मोकिंग: धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीने से नसों में सूजन और प्लाक निर्माण का खतरा बढ़ जाता है।

हाई ब्लड प्रैशर: उच्च रक्तचाप धमनियों की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे उनमें ब्लॉकेज का खतरा बढ़ जाता है।

वजन ज्यादा होना: मोटापे के कारण शरीर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है, जो नसों में अवरोध पैदा कर सकती है।

फिजिकल एक्टिविटी: नियमित व्यायाम की कमी से रक्त संचार धीमा हो जाता है और प्लाक के जमने की संभावना बढ़ जाती है।

अनुवांशिक कारण: कुछ लोगों में नसों की ब्लॉकेज का खतरा आनुवांशिक कारणों से अधिक होता है।

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नसों की ब्लॉकेज के लक्षणों की पहचान कैसे करें? (Naso Mein Blockage ke lakshan)

जब शरीर के किसी भी हिस्से में नसें ब्लॉक होती है तो शरीर कई तरीके से लक्षण देने लगता है। जब नसों (धमनियों) में ब्लॉकेज होती है तो इसका सीधा असर रक्त प्रवाह पर पड़ता है, जिससे शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि ब्लॉकेज कहां हो रही है और कितना गंभीर है। धमनियों में ब्लॉकेज से शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त की आपूर्ति बाधित होती है। यहां प्रमुख लक्षण दिए गए हैं जो नसों में ब्लॉकेज होने पर दिखाई दे सकते हैं।

हल्के लक्षण: ब्लॉकेज के शुरुआती चरणों में लक्षण हल्के हो सकते हैं, जैसे हल्का सीने में दर्द, थकान या पैरों में हल्का दर्द।

गंभीर लक्षण: जैसे-जैसे ब्लॉकेज बढ़ता है, लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जैसे सीने में लगातार दर्द, पैरों में गंभीर ऐंठन, सांस की तकलीफ या स्ट्रोक के लक्षण।

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नसों की ब्लॉकेज कुछ बड़े लक्षण (Vein Blockage Symptoms)

सीने में दर्द (एंजाइना)

अगर धमनियों में ब्लॉकेज हृदय तक जाने वाली रक्त वाहिकाओं में होता है, तो सीने में दर्द या बेचैनी होती है। इसे एंजाइना कहा जाता है।
यह दर्द आमतौर पर छाती के बीच में होता है और हाथ, गर्दन, जबड़े, कंधे या पीठ में फैल सकता है।
दर्द कुछ मिनटों तक रह सकता है और इसे भारीपन, दबाव या जलन जैसा महसूस होता है, खासकर शारीरिक गतिविधि के दौरान।

सांस की तकलीफ

अगर हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, तो यह रक्त प्रवाह को सामान्य रखने के लिए तेजी से काम करता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
सांस लेने में कमी या थकान महसूस करना नसों में ब्लॉकेज का लक्षण हो सकता है, खासकर तब जब यह हृदय की धमनियों में हो।

थकान और कमजोरी

शरीर में रक्त प्रवाह की कमी के कारण आपको अचानक अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है। यह मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण होता है। विशेष रूप से शारीरिक काम करने पर अत्यधिक थकान होना ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है।

दिल की धड़कन अनियमित होना (एरिदमिया)

नसों में ब्लॉकेज के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है। आपको दिल की धड़कन तेज़ महसूस हो सकती है या फिर धड़कनें छूटने का एहसास हो सकता है।

हाथों और पैरों में ठंडक या सुन्नता

अगर धमनियों में ब्लॉकेज शरीर के किसी अन्य हिस्से, जैसे पैरों या हाथों में हो, तो उस हिस्से में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है।
इसके परिणामस्वरूप हाथों और पैरों में ठंडक, सुन्नता, या झनझनाहट महसूस हो सकती है।
यह लक्षण खासकर परिधीय धमनियों की बीमारी (Peripheral Artery Disease - PAD) में देखे जाते हैं।

पैरों में दर्द और ऐंठन

ब्लॉकेज के कारण पैरों की धमनियों में रक्त प्रवाह कम होने से चलते समय या व्यायाम के दौरान पैरों में दर्द या ऐंठन हो सकती है।
यह दर्द आमतौर पर पैरों या जांघों में होता है और आराम करने पर दूर हो सकता है।

मस्तिष्क पर प्रभाव (स्ट्रोक के लक्षण)

अगर मस्तिष्क तक जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो, तो यह स्ट्रोक का कारण बन सकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नता (अक्सर एक तरफा)
बोलने में कठिनाई या अस्पष्ट भाषण
अचानक भ्रम, चक्कर आना या संतुलन की कमी
दृष्टि में बदलाव या धुंधलापन

यूरिन संबंधी समस्या

अगर ब्लॉकेज किडनी तक जाने वाली धमनियों में हो, तो इससे किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे मूत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कम मूत्र बनना या मूत्र में झाग आना।
किडनी की खराबी से शरीर में सूजन भी हो सकती है, खासकर टखनों, पैरों और आंखों के चारों ओर।

दिल का दौरा (हार्ट अटैक)

अगर हृदय की किसी धमनी में ब्लॉकेज बहुत अधिक हो जाता है, तो यह दिल का दौरा (हार्ट अटैक) हो सकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:
अत्यधिक सीने में दर्द या दबाव
बाएं हाथ, गर्दन, जबड़े या पीठ में दर्द फैलना
अत्यधिक पसीना आना
सांस की कमी और कमजोरी महसूस होना
मतली और उल्टी

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)

धमनियों में ब्लॉकेज के कारण रक्तचाप बढ़ सकता है क्योंकि हृदय को रक्त को धमनियों में पंप करने के लिए अधिक बल लगाना पड़ता है। उच्च रक्तचाप दिल, मस्तिष्क, और गुर्दों के लिए हानिकारक हो सकता है।

गंभीर सिरदर्द

अगर ब्लॉकेज मस्तिष्क की धमनियों में होता है, तो गंभीर सिरदर्द या माइग्रेन हो सकता है। यह चेतावनी का संकेत हो सकता है कि मस्तिष्क को पर्याप्त रक्त नहीं मिल रहा है।

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नसों की ब्लॉकेज दूर करने का देसी इलाज (Naso ki blockage kholne ke Upay)

लहसुन और दूध का देसी नुस्खा

यह नुस्खा इतना कारगार है कि इससे बंद नसें तो खुलेगी ही साथ ही में जोड़ो का दर्द, चोट लगने पर होने वाले दर्द को भी जड़ से खत्म कर देगा। बस दूध में कुछ लहसुन की कलियां उबालें और उनका सेवन करें। खाने में भी लहसुन का इस्तेमाल ज्यादा करें। लहसुन वाले तेल से नीली नसों की मसाज करें। लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और धमनियों को साफ रखने में मदद करते हैं। आप रोजाना सुबह खाली पेट 1-2 लहसुन की कली को पानी के साथ ले सकते हैं। आप इसे भोजन में भी शामिल कर सकते हैं। लहसुन इतना कारगर है कि यह नसों में भरी गंदगी बाहर निकालता है।

लहसुन-अदरक, गर्म पानी और काढ़ा

लहसुन अदरक का सेवन अधिक करें क्योंकि ये दोनों चीजें ही नसों की अंदरूनी सफाई करती रहती है लेकिन गर्मी में इसका ज्यादा सेवन ना करें।  ग्रीन टी, तुलसी-दालचीनी का काढ़ा आदि पीएं। गर्म गुनगुना पानी पीते रहे। यह सब चीजें आपकी नसों को साफ ही करती है लेकिन ज्यादा सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है। उचित मात्रा में ही सेवन करें।

गर्म तेल की मसाज

जो हिस्सा बार-बार सुन्न होता है वहां गर्म तेल की मसाज शुरू करें आप जैतून, नारियल, तिल या सरसों का तेल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। तिल के तेल को बिना गर्म करें ही इस्तेमाल करें।

गर्म पानी से सिंकाई

ब्लड सर्कुलेशन सही करने के लिए गर्म पानी की सिंकाई भी अच्छी मानी जाती है। इससे मांसपेशियों और नसों को आराम मिलता है। गुनगुने पानी से नहाएं।

हल्दी वाला दूध

सर्दी के मौसम में हल्दी वाला दूध जरूर लें। हल्दी, ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने में बेहद मददगार होती है। इससे दर्द और सूजन से भी आराम मिलता है। हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो धमनियों में प्लाक बनने से रोकता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है।

आपकी डाइट का भी इसमें अहम रोल है। विटामिन बी, बी6 और बी12 लें। दूध,पनीर, दही, केला बींस ओटमील आदि लें। अगर हाथ-पैर सुन्न होने का कारण अनीमिया है तो भी खून की कमी से हाथ पैरों में झुनझुनाहट रहती हैं इसलिए डाइट में आयरन कैल्शियम भरपूर लें। खून बनाने वाले आहार जैसे गाजर सेब, अनार, चकुंदर खाएं। सुखे मेवे में अंजीर,  भीगे हुए बादाम, अखरोट, किशमिश खाएं। फल और हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करें।

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अदरक

अदरक में एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो धमनियों में ब्लॉकेज को रोकने में सहायक होते हैं।
विधि: अदरक की चाय पीएं या अदरक को भोजन में शामिल करें। दिन में 2-3 बार अदरक का सेवन धमनियों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।

मेथी के बीज

मेथी के बीज में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने और नसों की सफाई में मदद करते हैं।
विधि: 1 चम्मच मेथी के बीज को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। यह ब्लॉकेज को कम करने में मदद कर सकता है।

नींबू और शहद

नींबू में विटामिन सी होता है, जो धमनियों की दीवारों को मजबूत करता है और ब्लॉकेज को रोकने में मदद करता है। शहद धमनियों को साफ करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
विधि: एक गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच शहद और आधा नींबू का रस मिलाकर रोजाना सुबह पिएं।

अलसी के बीज

अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो धमनियों में सूजन को कम करता है और रक्तचाप को नियंत्रित रखता है।
विधि: 1-2 चम्मच अलसी के बीज का पाउडर रोजाना लें। इसे सलाद, स्मूदी, या दही में मिलाकर खा सकते हैं।

ग्रीन टी

ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो धमनियों में प्लाक बनने से रोकते हैं और हृदय को स्वस्थ रखते हैं।
विधि: रोजाना 1-2 कप ग्रीन टी पीना धमनियों को साफ रखने में मदद करता है।

सेब का सिरका

सेब का सिरका कोलेस्ट्रॉल को कम करने और धमनियों की सफाई में मदद करता है।
विधि: एक गिलास पानी में 1 चम्मच सेब का सिरका मिलाकर रोजाना सुबह लें।
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नसों की ब्लॉकेज से बचने के उपाय (Vein Blockage Treatment) 

हैल्दी डाइट ः संतुलित आहार लें, जिसमें हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हों। तली-भुनी चीजों, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें।

फिजिकल एक्टिविटीः नियमित रूप से व्यायाम करें। प्रतिदिन 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि, जैसे चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, या योग, नसों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

धूम्रपान और शराब से बचेंः धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन नसों को नुकसान पहुंचाता है और ब्लॉकेज का खतरा बढ़ाता है। इसे पूरी तरह से छोड़ने का प्रयास करें।

स्ट्रेस कम लेंः तनाव को नियंत्रित करने के लिए ध्यान, योग, और प्राणायाम का अभ्यास करें। तनाव नसों पर दबाव डाल सकता है और रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है।

मोटापाः स्वस्थ वजन बनाए रखें। अधिक वजन या मोटापा नसों में अवरोध का खतरा बढ़ाता है।

याद रखें ये बातें 

नसों में ब्लॉकेज की समस्या उन्हें ही अधिक होती है जो सही डाइट नहीं लेते और फिजिकिल एक्टिविटी ना के बराबर करते हैं और घंटों एक ही पोजिशन में बैठे रहते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही से नहीं होता। सैर व योग करना चाहिए। एक्सरसाइज कर पसीना बहाना चाहिए ताकि नसें खुलें। नसों के बंद होने की परेशानी को अनदेखा ना कर समय पर ध्यान देना जरूरी है ताकि इससे बचा रहा जा सकें लेकिन यदि ब्लॉकेज गंभीर हो तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी होता है। स्वस्थ जीवनशैली, सही आहार और नियमित व्यायाम से नसों को ब्लॉक होने से बचाया जा सकता है।


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Content Writer

Vandana

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