महाकुंभ में बड़ी-बड़ी गाड़ियां छोड़ तीर्थयात्रियों ने की ठेले की सवारी, मोटरसाइकिल चालक बुजुर्गों के लिए बने ‘श्रवण कुमार''
punjabkesari.in Friday, Feb 14, 2025 - 07:43 PM (IST)

नारी डेस्क: देश दुनिया में आकर्षण का केंद्र बने प्रयागराज महाकुंभ में अब तक 49 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी में डुबकी लगा चुके हैं और अभी भी श्रद्धालुओं का रेला महाकुंभ क्षेत्र की ओर बढ़ता दिखायी दे रहा है। आस्था के महाकुंभ के दौरान पैदल से लेकर चाटर्डर् विमान तक की सेवाएं ली गई। वहीं मेला क्षेत्र में ठेला, ठेलिया व मोटरसाइकिल पर सवार होकर लोग संगम घाट व मेला क्षेत्र में यात्राएं करते नजर आए। ऐसे में जहां भले ही ठेला, ठेलिया व मोटरसाइकिल चालक पैसे कमाने के लिए लोगों को ढो रहे हैं, लेकिन यात्रा में उनके द्वारा दी जा रही सुविधाएं बुजुर्गों व महिला तीर्थयात्रियों द्वारा उन्हें सरवन कुमार (श्रवण कुमार) की भूमिका में बताती नजर आने लगी है।
बड़ी-बड़ी गाड़ियां छोड़ ठेले में दिखे लोग
देश का कोई कोना व हिस्सा नहीं बचा जहां से लोग आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज नहीं पहुंचे हो। वहीं विश्व के लगभग कई देशों से जहां सनातनी निवास करते हैं, उन लोगों ने भी अपनी-अपनी व्यवस्थाओं के साथ प्रयागराज पहुंचकर स्नान किया। स्थिति यह रही की प्रयागराज से 10 किलोमीटर पहले तक गाड़यिां पार्क करवा दी जाती थी। लोग पैदल यात्राएं करते थे। वहीं इस बार के महाकुंभ में कुछ अलग द्दश्य भी देखने को मिले जब ठेला, ठेलियों व मोटरसाइकिल पर भी श्रद्धालु सवार होकर यात्राएं करते नजर आए। बड़ी-बड़ी मर्सिडीज़ व पांच सितारा वाहनों से चलकर आए लोग भी मेला क्षेत्र में ठेला पर सवार होकर हंसते मुस्कुराते अपने गंतव्य को आते जाते नजर आए। एक अनुमान के तहत लगभग 5000 से अधिक मोटरसाइकिल सवार युवक पिछले एक महीने से लोगों को सेवाएं देते नजर आए। भले ही उनके द्वारा अवैध रूप से यह कार्य किया जाता था। लेकिन 200 रुपये प्रति सवारी लेकर लोगों को मेला क्षेत्र में उनके शिविर व अन्य गंतव्य स्थान तक छोड़ना तीर्थ यात्रियों के लिए काफी सुखदाई साबित हुआ।
इन सेवाओं से बेहद खुश हैं लोग
वहीं हाथ से धकेलना वाले ठेला व साइकिल पेडल जोड़कर चलने वाले ठेलियों पर लोग हंसते मुस्कुराते यात्रा करते नजर आए। इस दौरान लगभग लाखों लोगों द्वारा मोटरसाइकिल ठेला, ठेलिया इत्यादि की सेवाएं ली गई। कई जगह तो ऐसा देखा गया जब ठेले पर सवार होने के लिए भी लोगों में होड़ मची रहती थी। भले ही ठेला वालों को भुगतान करके यात्राएं की जाती थी, लेकिन बुजुर्ग लाचारी व पैदल चलने में असमर्थ तीर्थ यात्रियों द्वारा अपनी यात्रा के उपरांत ठेला वालों को आशीर्वाद देते हुए सरवन कुमार (श्रवण कुमार) की संज्ञा भी दी जाती रही। बिहार के बेतिया से अपने पौत्र के साथ महाकुंभ स्नान करने पहुंची वृद्ध महिला लक्ष्मीना देवी जिस बस से यात्रा कर रही थी, उस बस को वाराणसी प्रयागराज मार्ग पर लगभग 15 किलोमीटर पहले रोक दिया गया। जहां से उन्होंने संगम मेला क्षेत्र पहुंचने के लिए मोटरसाइकिल का सहारा लिया। तमाम रास्ते बंद होने के बावजूद मोटरसाइकिल चालक स्थानीय होने के चलते उन्हें उनके गंतव्य पर छोड़ दिया। किराया भुगतान के बावजूद लक्ष्मीना देवी के मुंह से बरबस आशीर्वाद निकल पड़ा ‘जिया हो मोर सरवन कुमार...' ।
मोटरसाइकिल सवार लेते हैं इतना किराया
वेशभूषा रहन सहन से ऐसे लोग भी ठेले पर सवार नजर आए जो प्राय अपनी चमचमाती गाड़यिों में बैठकर ठेला ठेलिया वालों को हिकारत भरी नजरों से देखते रहे होंगे। ऐसे में इस महाकुंभ के दौरान मोटरसाइकिल, ठेला, ठेलिया इत्यादि सरवन कुमार की भूमिका में लोगों को तीर्थ यात्रा करते नजर आए। मोटरसाइकिल चालकों द्वारा केवल तीर्थ यात्रियों की मदद ही नहीं की गई, बल्कि समाचार संकलन कर रहे पत्रकारों को भी इसका लाभ मिला। आंखों देखी घटना के तहत 31 जनवरी को सेक्टर 16 में किन्नर अखाड़ा में एक प्रेस वार्ता आयोजित थी। जिसमें भाग लेने आए पत्रकार को काफी दूरी तक पैदल चलकर आना पड़ा। वापसी के दौरान हिम्मत जवाब दे गई, बाइक चालक को रोका गया तो उसने 200 रुपये प्रति सवारी मांगी। दो पत्रकारों ने सेक्टर 19 शंकराचार्य चौक मुरी मार्ग तक जाने के लिए 300 रुपये में उसे तय किया। जहां से वह मीडिया सेंटर की तरफ वापस चले जाते। साथी पत्रकार द्वारा मना किया गया कि यह मोटरसाइकिल सवार अवैध यात्राएं करवा रहा है। इससे नियम बात कर फ्री में भी चला जा सकता है। लेकिन थके पत्रकार ने कहाकि यह भले अवैध रूप से मोटरसाइकिल चला रहा है या पैसे वसूल रहा है लेकिन यात्राएं वैध करवा रहा है। यात्रियों को उनके वैध स्थान तक ही छोड़ रहा है।