भगवान विष्णु ने लिया था कुबेर से ऋण, बालाजी के रूप में अभी भी चुका रहे हैं वो कर्ज
punjabkesari.in Wednesday, Aug 20, 2025 - 03:51 PM (IST)

नारी डेस्क: हिन्दू धर्म में कुबेर को धन के देवता माना जाता है, क्योंकि धन एक भौतिक वस्तु है जिसकी जरूरत मुख्य रूप से मनुष्यों को होती है, न कि देवताओं को। फिर भी, एक बार भगवान विष्णु को धन की आवश्यकता पड़ी और उन्हें कुबेर से ऋण के रूप में यह धन लेना पड़ा। यह कहानी सुनने में बहुत ही रोचक है, लेकिन इसके पीछे छुपा कारण जानना और भी दिलचस्प होगा। आइए इसे विस्तार से समझते हैं...
कहानी कुछ इस तरह है
एक बार ऋषि भृगु भगवान विष्णु से मिलने वैकुंठ गए। तब भगवान विष्णु सो रहे थे और माता लक्ष्मी उनके पैर मालिश कर रही थीं। ऋषि ने भगवान को आवाज लगाई, लेकिन वे नहीं जागे। इससे भृगु जी नाराज हो गए और उन्होंने भगवान विष्णु की छाती पर लात मार दी। भगवान विष्णु ने प्रेम से ऋषि के पैर पकड़े और कहा, "तुम्हें क्या तकलीफ हुई?" ऋषि प्रसन्न हो गए लेकिन माता लक्ष्मी इस बात से नाराज़ हो गईं और वैकुंठ छोड़कर चली गईं।
माता लक्ष्मी फिर धरती पर राजा के घर कन्या रूप में जन्मीं, जिनका नाम पद्मावती था। भगवान विष्णु ने श्रीनिवास के रूप में धरती पर जन्म लिया और पद्मावती से शादी करना चाहा। लेकिन श्रीनिवास के पास शादी के लिए कोई धन नहीं था। इसलिए भगवान विष्णु ने कुबेर से शादी के लिए बहुत सारा धन उधार लिया। कुबेर जी ने पूछा, "तुम यह धन कैसे लौटाओगे?" विष्णु जी ने कहा, "कलियुग के अंत तक मैं ब्याज सहित पूरा पैसा चुका दूंगा।"
आज भगवान विष्णु बालाजी के रूप में तिरुपति में विराजमान हैं और भक्तों द्वारा चढ़ाए गए दान से ये ऋण चुकाया जा रहा है। इसलिए भक्त बालाजी को खूब आभूषण और दान देते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जो भी भक्त तिरुपति बालाजी को चढ़ावा देते हैं, भगवान विष्णु उस भक्त को कई गुना धन देते हैं, जिससे कुबेर जी भी प्रसन्न होते हैं।