Bharti Singh Pregnancy: प्रेग्नेंसी में बढ़ा शुगर लेवल, क्या बच्चे को भी हो सकती है डायबिटीज?

punjabkesari.in Monday, Nov 17, 2025 - 09:37 AM (IST)

नारी डेस्क:  मशहूर कॉमेडियन भारती सिंह इन दिनों अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में उन्होंने अपने यूट्यूब व्लॉग में बताया कि गर्भावस्था के दौरान उनका ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ गया है। इस वजह से डॉक्टर ने भी उन्हें सावधानी बरतने की सलाह दी है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां का शुगर लेवल बढ़ जाए, तो क्या इससे बच्चे को भी डायबिटीज हो सकती है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।

गर्भावस्था में बढ़े शुगर को क्या कहते हैं?

प्रेग्नेंसी के दौरान अगर पहली बार शुगर बढ़ता है, तो इसे गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) कहा जाता है। यह स्थिति अस्थायी होती है और अधिकतर महिलाओं में डिलीवरी के बाद ठीक हो जाती है। लेकिन इसका असर बच्चे की सेहत पर जरूर पड़ सकता है।

क्या मां से बच्चे को डायबिटीज हो सकती है?

टाइप 1 डायबिटीज: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है और आनुवांशिक रूप से आगे बढ़ सकती है। अगर मां को टाइप 1 डायबिटीज है, तो बच्चे में भी यह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है (पिता में यह जोखिम थोड़ा अधिक होता है, लेकिन मां के मामले में भी संभावना रहती है)।

टाइप 2 डायबिटीज: यह बीमारी जीवनशैली और जेनेटिक्स दोनों से जुड़ी है। अगर मां को टाइप 2 डायबिटीज है, तो बच्चे में आगे जाकर टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। Gestational Diabetes (गर्भकालीन मधुमेह) का बच्चे पर असर अगर मां का शुगर लेवल प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा रहता है, तो..

अतिरिक्त ग्लूकोज प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक पहुंचता है। बच्चे का पैनक्रियाज इसे नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त इंसुलिन बनाता है। इससे बच्चे के शरीर में ज्यादा फैट जमा होता है, जिससे उसका वजन बढ़ सकता है। डिलीवरी के दौरान बच्चे का आकार बड़ा होने के कारण कॉम्प्लीकेशन बढ़ सकते हैं। आगे चलकर बच्चे में मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हर बच्चे को डायबिटीज होगी, लेकिन रिस्क जरूर बढ़ जाता है।

बचाव कैसे करें?

मां अपने और बच्चे की सेहत का ध्यान रखकर इस खतरे को काफी हद तक कम कर सकती है

डॉक्टर की सलाह अनुसार ब्लड शुगर की नियमित जांच

संतुलित और हेल्दी डाइट

हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़/वॉक (डॉक्टर की अनुमति से)

समय पर दवाएं या इंसुलिन, अगर डॉक्टर ने दिया हो

अगर शुगर लेवल कंट्रोल में रहे, तो बच्चे पर इसके नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।
  

 


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Content Editor

Priya Yadav

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