बात-बात पर क्यों डर जाते हैं बच्चे? यह है फोबिया के  लक्षण और बचाव के तरीके

punjabkesari.in Monday, Oct 21, 2024 - 03:17 PM (IST)

नारी डेस्क: सभी बच्चों का अपना- अपना स्वभाव होता है।  कुछ  बच्चों को किसी भी बात से फर्क नहीं पड़ता वहीं कई ऐसे भी होते हैं जो छोटी सी बात पर भी डर जाते हैं।  यह उनके विकास का एक सामान्य हिस्सा है। ऐसे में धैर्य, समझ और आश्वासन के शब्दों के साथ, आप अपने बच्चे को उनके डर पर काबू पाने में मदद कर सकते हैं। पहले समझिए बच्चों में डर पैदा होने के कारण और क्या है इसका बचाव 

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डर का कारण

छोटे बच्चों में डर का विकास एक सामान्य प्रक्रिया है। इसका कारण विभिन्न कारक हो सकते हैं, जैसे:

नई और अनजान स्थितियां: बच्चे नई चीज़ों और परिवेश से डरते हैं क्योंकि उनके लिए यह सब अनजान होता है।

अचानक तेज आवाज: बच्चों को अचानक जोर से आवाज, जैसे धमाका, तेज़ आवाज़ वाली म्यूज़िक, या बिजली की कड़क से डर लग सकता है।

अकेलेपन का डर: बच्चे अपने माता-पिता से अलग होने पर घबराहट महसूस कर सकते हैं, जो एक प्रमुख कारण होता है।

अंधेरे का डर: अंधेरे में कुछ देखने या समझने में कठिनाई के कारण बच्चे डर सकते हैं।

कल्पनाएं और कहानियां: बच्चे अपनी कल्पनाओं में भूत-प्रेत या काल्पनिक पात्रों से डरने लगते हैं।

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बच्चों  में डर के लक्षण

बच्चों में डर के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

रात को जागना और डरना: बच्चे अक्सर नींद में अचानक जाग जाते हैं और किसी डरावनी चीज़ की शिकायत करते हैं।

माता-पिता के पास चिपकना: बच्चे डर की वजह से माता-पिता के पास रहना चाहते हैं और उनसे दूर जाने में घबराते हैं।

शारीरिक लक्षण: डर के कारण बच्चों में पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना, हकलाना या कांपना देखा जा सकता है।

खेलने या बाहर जाने में हिचकिचाहट : बच्चा नई जगहों पर जाने या खेल के दौरान दूसरों के साथ जुड़ने से डर सकता है।

अचानक चिड़चिड़ापन या रोना: किसी विशेष परिस्थिति में बच्चा बार-बार रो सकता है या चिड़चिड़ा हो सकता है।

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बच्चे के अंदर को डर को कैसे खत्म करें? 


समझ और धैर्य : माता-पिता को बच्चे के डर को समझने के लिए संवेदनशील और धैर्यशील होना चाहिए। उनका डर सामान्य होता है और उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।

सुरक्षा का एहसास कराना : बच्चे को यह विश्वास दिलाना कि वह सुरक्षित है, उसके डर को कम कर सकता है। उसे गले लगाना, पास बैठना, और बात करना सहायक हो सकता है।

खेल के माध्यम से समाधान : बच्चे को खेल-खेल में डर की स्थिति को समझाना और उसे एक सामान्य घटना के रूप में दिखाना।

डर का सामना करना: बच्चे को धीरे-धीरे उसके डर का सामना कराना, जैसे अगर उसे अंधेरे से डर है तो कमरे की लाइट धीरे-धीरे बंद करना और उसे समझाना कि कुछ भी डरावना नहीं है।

कहानी सुनाना : डर को दूर करने के लिए सकारात्मक कहानियाँ और उदाहरण सुनाना, जिससे बच्चे के मन से नकारात्मकता हटाई जा सके।

नियमित दिनचर्या: बच्चे की दिनचर्या को सुसंगत रखना ताकि वह सुरक्षित और आत्मविश्वासी महसूस कर सके।

नोट: यदि किसी बच्चे का डर लंबे समय तक बना रहता है या बहुत गंभीर होता है, तो एक बाल मनोचिकित्सक से सलाह लेना फायदेमंद हो सकता है।
 


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Content Writer

vasudha

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