आयुर्वेद से भी मुमकिन है डायबिटीज को रोकना, पुरानी से पुरानी Sugar भी कर सकता है कंट्रोल
punjabkesari.in Thursday, Aug 07, 2025 - 07:15 PM (IST)

नारी डेस्क: मधुमेह अब केवल कुछ चुनिंदा लोगों की बीमारी नहीं रह गई है यह ऊर्जा, मनोदशा, नींद और दीर्घकालिक स्वास्थ्य हानि की एक खामोश महामारी बन गई है और जहां पारंपरिक चिकित्सा लक्षणों के उपचार के लिए इंसुलिन और दवाओं की सलाह देती है। आयुर्वेद मानता है कि मधुमेह तब होता है जब शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ)का संतुलन बिगड़ता है, खासकर जब कफ और वात दोष अधिक हो जाते हैं। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से जानते हैं कैसे खुद को बचाया जा सकता है इस बीमारी से।
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दिनचर्या (Daily Routine)
नियमित समय पर उठना, सोना, और भोजन करना इस बीमारी को काबू में रख सकता है। अपनी दिनचर्या में हल्का व्यायाम, प्राणायाम और योग को शामिल करें।
आहार (Diet)
कम शर्करा (sugar), कम कार्बोहाइड्रेट, और फाइबर युक्त भोजन करें। अनुशंसित आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ पर भरोसा करें जैसे:
-करेला (Bitter Gourd)
-मेथी दाना (Fenugreek Seeds)
-जामुन और उसके बीज
- त्रिफला
-आंवला
-गिलोय
हर्बल औषधियां (Herbal Medicines)
कुछ प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधियां जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं:
-चंद्रप्रभा वटी
मधुनाशिनी वटी
व्योषादि वटी
गुड़मार (Gymnema sylvestre)
विजयसार (Indian Kino Tree)
ये औषधियां किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह से ही लें।
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विहार (Lifestyle Modifications)
तनाव को कम करें, क्योंकि तनाव भी डायबिटीज़ को बढ़ाता है। देर रात तक जागना और दिन में सोना टालें। आयुर्वेद डायबिटीज़ को सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक जीवनशैली असंतुलन मानता है। संतुलित आहार, उचित दिनचर्या, औषधियां और मानसिक शांति के माध्यम से यह प्राकृतिक रूप से मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण क्यों चुनें?
-यह केवल लक्षणों को दबाता नहीं, समस्या की जड़ तक पहुंचता है।
-शरीर में दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है।
-लीवर, अग्न्याशय और पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
-दवाओं के साइड इफेक्ट की संभावना बहुत कम होती है।
क्या सावधानियां रखें?
आयुर्वेदिक इलाज एलोपैथी दवाओं के साथ मिलाकर तभी लें जब डॉक्टर अनुमति दें। स्व-चिकित्सा (Self-medication) से बचें।
नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहें।