अंतरिक्ष में खेती... एस्ट्रोनॉट केट ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष स्टेशन में पहली बार उगाई मूली
punjabkesari.in Tuesday, Dec 08, 2020 - 03:43 PM (IST)
समय के साथ-साथ दुनिया ने काफी तरक्की कर ली है। अब लोगों का काम आसान बनाने के लिए नई तकनीक वाली मशीनें भी आ चुकी हैं। यहां तक कि अब अंतरिक्ष में सब्जियां भी उगाई जाने लगी हैं। जी हां, नासा की अंतरिक्षयात्री और फ्लाइट इंजीनियर केट रूबिन्स (Kate Rubins) इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में बनी हुई हैं, जिसकी वजह है कि अंतरिक्ष में उगाई जाने वाली उनकी मूली।
27 दिन में तैयार हुई मूली की फसल
दरअसल, केट ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर ना सिर्फ उगाई बल्कि मूली की फसल भी काटी। इस एक्सपेरिमेंट को प्लांट हेबिटेट-02 नाम दिया गया है, जो वैज्ञानिकों में काफी उम्मीद जता रहा है। केट बताती हैं कि उन्होंने मूली को इसलिए चुना क्योंकि पूरा विश्वास था यह 27 दिनों में उग जाएगी। वहीं मूली में सभी पोषक तत्व भी होते हैं, जो सेहत के लिहाज से फायदेमंद है।
मूली को धरती पर लाने की तैयारी
केट ने मूली के 20 पौधों को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया है, ताकि 2021 में उसे धरती पर लाया जा सके। उन्होंने अक्टूबर महीने में मूली उगाई थी, जो 27 दिन में तैयार भी हो गई। उन्होंने ISS एडवांस्ड प्लांट हैबिटेट में 20 मूली की कटाई की।
अंतरिक्ष यात्रियों को मिलेगा भविष्य में लाभ
केट ने कहा कि फसलों को उगाने से यह जानने में मदद मिलेगी कि कौन से पौधे किस माइक्रोग्रैविटी में पनपते हैं। साथ ही इससे अंतरिक्ष यात्रियों को सर्वोत्तम किस्म और पौष्टिक आहर भी मिल सकेगा। यह शानदार उपलब्धि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के काम आएगी।
इसलिए लगाई गई मूली की फसल
नासा की प्रोग्राम मैनेजर निकोल डुफोर ने कहा कि इससे पहले अंतरिक्ष में गेंहू उगाया था लेकिन मूली पत्तियों वाली एक अलग किस्म की सब्जी है। साथ ही इसे कम देखभाल की जरूरत होती है इसलिए चेंबर में इसे आसानी से उगाया जा सकता है। यहां सब्जियों पर लाल, नीली और हरी और वाइट एलईडी लाइट की रोशनी पड़ती है, जिससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है।
180 सेंसर और कैमरे जो फसल पर नजर रखते हैं
चैंबर का सिस्टम ऐसा है कि पौधों को खुद समय-समय पर पानी मिल जाता है। साथ ही इसमें कैमरे और 180 सेंसर लगे हैं, जो पौधे की हर ग्रोथ पर लगातार नजर रखते हैं। यहां तक कि चैंबर में नमी, तापमान और कार्बनडाई ऑक्साइड लेवल भी चेक किया जाता है।
केट रूबिन्स का यह काम भविष्य अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वाकई में एक बड़ी उपलब्धि है।