बारिश के मौसम में अस्थमा को कैसे रखें कंट्रोल, योग गुरु रामदेव ने दिए हेल्थ टिप्स
punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 04:15 PM (IST)

नारी डेस्क : बारिश का मौसम भले ही ठंडक और राहत लेकर आता हो, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए कई चुनौतियां भी खड़ी करता है, खासकर उन लोगों के लिए जो अस्थमा या अन्य सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस सीजन में वातावरण में बढ़ी नमी, बैक्टीरिया, फंगस और वायरल संक्रमण फेफड़ों को कमजोर बना सकते हैं। ऐसे में खुद का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
योग गुरु स्वामी रामदेव ने कुछ ऐसे घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय बताए हैं, जो अस्थमा से राहत देने के साथ-साथ लंग्स की कैपेसिटी को भी बेहतर बना सकते हैं। आइए, इन उपायों को विस्तार से जानते हैं।
बारिश में अस्थमा क्यों ट्रिगर होता है?
मानसून में हवा में मौजूद नमी और एलर्जन्स अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। यह नमी सांस की नली में सूजन और जकड़न का कारण बनती है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। इस दौरान वायरल संक्रमण, छाती में जकड़न, बार-बार छींक आना, और बुखार जैसी दिक्कतें आम हो जाती हैं। इसलिए इस मौसम में अस्थमा पेशेंट्स को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
फेफड़ों को मजबूत करने के रामबाण उपाय
रोजाना प्राणायाम करें
हर दिन कम से कम 20–30 मिनट प्राणायाम करना फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। खासकर अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका और कपालभाति जैसे प्राणायाम फेफड़ों की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित बनाए रखते हैं। यह प्रक्रिया फेफड़ों की सफाई भी करती है, जिससे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। जिन लोगों को अस्थमा, एलर्जी या सीने में जकड़न की समस्या है, उन्हें नियमित रूप से प्राणायाम करना अत्यंत लाभकारी होता है।
दूध में हल्दी डालकर पिएं
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है। जब इसे गर्म दूध के साथ लिया जाता है, तो यह शरीर में जमी सूजन को कम करने में मदद करता है, खासकर फेफड़ों में। रात को सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला दूध लेने से न केवल सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है, बल्कि यह फेफड़ों के ऊतकों को रिपेयर करने का भी काम करता है। हल्दी दूध शरीर की इम्यूनिटी को भी सक्रिय करता है, जिससे मौसमी बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है।
त्रिकुटा चूर्ण का सेवन करें
त्रिकुटा एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक मिश्रण है जिसमें सौंठ (सूखा अदरक), काली मिर्च और पीपली (लंबी मिर्च) होती है। यह चूर्ण विशेष रूप से कफ को कम करने, पाचन शक्ति को बढ़ाने और श्वसन तंत्र को साफ करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह फेफड़ों में जमा बलगम को ढीला कर बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। आप इसे सुबह-शाम आधा चम्मच शहद के साथ ले सकते हैं, जिससे इसका असर और भी तेजी से दिखाई देता है।
रात को भाप लें (स्टीमिंग)
भाप लेना एक पुराना लेकिन बेहद असरदार तरीका है, जिससे फेफड़ों और नाक की रुकावटें खुल जाती हैं। जब आप सादे गर्म पानी की भाप लेते हैं, तो वह फेफड़ों में मौजूद बलगम को पिघलाने में मदद करती है। इससे सांस लेने में आसानी होती है और बंद नाक खुल जाती है। आप चाहें तो भाप में कुछ नीम के पत्ते, अजवाइन या यूकेलिप्टस ऑयल भी मिला सकते हैं, जिससे यह और अधिक प्रभावशाली हो जाता है। स्टीमिंग विशेष रूप से रात को सोने से पहले करनी चाहिए, ताकि नींद के दौरान सांस संबंधी दिक्कतें ना हों।
सरसों के तेल का इस्तेमाल करें
सरसों का तेल एक प्राकृतिक गर्म तत्व है, जो शरीर में रक्त संचार को बढ़ाने और संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखता है। इसे सोने से पहले तलवों पर मलने से शरीर में गर्मी बनी रहती है, जिससे सर्दी-जुकाम से राहत मिलती है। इसके अलावा, नाभि और नाक में सरसों का तेल लगाने से एलर्जी, धूल और पोलन से बचाव होता है। यह उपाय बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है, जो मानसून या सर्दियों में जल्दी बीमार पड़ते हैं। यह नाक के मार्ग को नम रखता है और सांस की नली को सूखने से बचाता है।
इम्यून बूस्टर नुस्खा
बादाम (100 ग्राम), काली मिर्च (20 ग्राम) और मिश्री (50 ग्राम) को पीसकर पाउडर बना लें। रोज रात को एक चम्मच गर्म दूध के साथ लें। यह मिश्रण लंग्स को ताकत देने के साथ-साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
अस्थमा से राहत देने वाले घरेलू उपाय
स्वामी रामदेव के अनुसार, कुछ आसान घरेलू नुस्खे अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
गर्म पानी का सेवन करें: ठंडी चीजों से परहेज करें और दिनभर हल्का गुनगुना पानी पिएं।
नमक पानी से गरारे करें: गले की सफाई और इंफेक्शन से बचाव के लिए फायदेमंद।
नाक में अणु तेल डालें: सुबह-शाम दो-दो बूंद नाक में अणु तेल डालने से सांस की नली साफ रहती है।
तुलसी, अदरक और काली मिर्च की चाय पिएं: यह कफ नाशक है और लंग्स को क्लियर रखने में मदद करती है।
अदरक, दालचीनी और लौंग का काढ़ा: यह मिश्रण बलगम कम करता है और फेफड़ों को खोलता है।
गिलोय का काढ़ा और तुलसी के पत्ते: रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।
प्राणायाम करें: विशेष रूप से अनुलोम-विलोम अस्थमा में अत्यंत लाभदायक है।
बरसात में किन बातों का रखें विशेष ध्यान
गीले कपड़ों में ज्यादा देर न रहें। फ्रिज का पानी, आइसक्रीम, या ठंडी चीजों से दूरी बनाएं। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर मास्क पहनें। खुले पानी और दूषित भोजन से बचें। बारिश में भीगने के बाद तुरंत कपड़े बदलें और गर्म पेय लें।
बरसात का मौसम जितना सुहावना होता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। खासकर अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए यह सीजन सतर्कता का है। स्वामी रामदेव द्वारा सुझाए गए योग, प्राणायाम और घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप ना सिर्फ अस्थमा से राहत पा सकते हैं, बल्कि अपने फेफड़ों की क्षमता को भी मजबूत बना सकते हैं।