14 गांठों वाले इस चमत्कारी धागे में है बड़ी शक्ति, अनंत चतुर्दशी पर ही क्याें बांधा जाता है ये?

punjabkesari.in Friday, Sep 05, 2025 - 04:11 PM (IST)

नारी डेस्क: अनंत चतुर्दशी (अनंत चतुर्थी) भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और विशेष रूप से उनके अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। महाराष्ट्र और कई जगहों पर इसी दिन गणेश विसर्जन भी होता है। अनंत चतुर्दशी का दिन भगवान विष्णु के "अनंत" स्वरूप की पूजा का दिन है, पूजा करने वाले भक्त इस दौरान  हाथ में एक खास डोरी बांधते हैं


 अनंत सूत्र में 14 गांठ क्यों?

अनंत चौदस पर हरिपूजन की परंपरा है जिसके बाद चौदह गांठ वाला एक धागा हाथ में बांधा जाता है।  यह गांठें भगवान विष्णु के 14 लोकों (भूलोक, पाताल, स्वर्ग आदि) का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह 14 गांठें जीवन की 14 मुश्किलों, बंधनों और संकटों से मुक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इन गांठों को बांधने से यह माना जाता है कि भगवान विष्णु स्वयं जीवन की रक्षा करते हैं और सभी संकट दूर करते हैं।


धागा धारण करने का नियम

जहसं पुरुष दाहिने हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं तो वहीं  महिलाएं बाएं हाथ में इसे धारण करती हैं। यह सूत्र केवल पूजा-पाठ कर पवित्र मंत्रों के साथ ही बांधा जाता है।  इस डोर को पूजा के बाद ही बांधा जाता है. अनंत डोर बांधने वाले अधिकांशतः दिन भर उपवास भी रखते हैं।  अनंत चतुर्दशी पर 14 गांठ वाला धागा बांधना भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को समर्पित है, जो जीवन के 14 लोकों और सभी कठिनाइयों से सुरक्षा का प्रतीक है।


अनंत चौदस पूजन की पौराणिक मान्यता

इस उपवास और पूजन को करने का चलन महाभारत के समय से माना जा रहा है। महाभारत में कौरव पांडवों के बीच द्यूत क्रीड़ा हुई, जिसमें पांडव अपना सब कुछ हार गए। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने उन्हें उस वक्त अनंत चौदस का उपवास रख अनंत डोर धारण करने का सुझाव दिया। मान्यता है कि उसके बाद से ही अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाने लगा। 


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vasudha

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