Time Magazine: 100 उभरती हस्तियों की लिस्ट में शामिल हुए भारत के करुणा नंदी और खुर्रम परवेज
punjabkesari.in Tuesday, May 24, 2022 - 10:45 AM (IST)
अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी और सुप्रीम कोर्ट की वकील करूणा नंदी ‘टाइम’ पत्रिका के 2022 के 100 सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल हो गए हैं। इस लिस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, टेनिस खिलाड़ी राफेल नडाल, एप्पल के सीईओ टिम कुक और टीवी शो प्रस्तोता ओपरा विनफ्रे का नाम भी शामिल है।
कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज को भी इस लिस्ट में जगह मिल गई है। इस बार लिस्ट को 6 कैटेगरी में बांटा गया है। गौतम अडाणी को टाइटन्स कैटेगरी में रखा गया है। इसमें एपल के CEO टिम कुक और टीवी होस्ट ओप्रा विन्फ्रे शामिल हैं। नंदी और परवेज को लीडर्स कैटेगरी में रखा गया है। इसमें व्लादिमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की भी शामिल हैं।
अडाणी को लेकर टाइम पत्रिका ने कहा - ‘‘अडाणी का एक समय में क्षेत्रीय रहा कारोबार अब हवाईअड्डों, निजी बंदरगाहों से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं तक फैल गया है। अडाणी समूह विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय स्तर की बड़ी कंपनी है, हालांकि लोगों की नजरों से दूर रहते हुए अडाणी खामोशी से अपना साम्राज्य बना रहे हैं।’’
पत्रिका ने करूणा नंदी के बारे में कहा है कि वह न सिर्फ एक अधिवक्ता हैं, बल्कि एक सक्रियतावादी भी हैं जो अदालत कक्ष के अंदर और बाहर बदलाव के लिए बहादुरी से अपनी आवाज उठाती हैं। इसमें कहा गया है कि वह महिला अधिकारों की पैरोकार हैं, जिन्होंने बलात्कार रोधी कानूनों में सुधार की हिमायत की और कार्यस्थल पर यौन उतपीड़न से जुड़े मुकदमे लड़े हैं। हाल में, वह वैवाहिक बलात्कार को कानूनी छूट देने वाले भारत के एक कानून को चुनौती देने वाली वाद से संबद्ध रही हैं।
एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इनवालंटरी डिसएपियरेंस के अध्यक्ष खुर्रम परवेज को पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था। . उन पर कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण का आरोप लगा है। टाइम के लिए लिखने वाली पत्रकार राणा अय्यूब ने परवेज को लेकर लिखा है कि कश्मीर क्षेत्र में होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघनों के खिलाफ उनकी आवाज पूरी दुनिया में गूंज रही थी। ऐसे में उनको चुप कराना जरूरी था।