अपने हक से अनजान क्यों है नारी? 99 फीसदी महिलाओं को अबॉर्शन से जुड़े अधिकारों की नहीं है जानकारी
punjabkesari.in Friday, Mar 03, 2023 - 11:40 AM (IST)
देश में 99 फीसदी महिलाओं को गर्भपात कानूनों में किए गए बदलावों के बारे में जानकारी नहीं है। ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन' (एमटीपी), अधिनियम के बारे में जागरूकता को लेकर हाल में किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया था चाहें वो विवाहित हों या अविवाहित, लेकिन इसे लेकर जागरुकता की कमी चिंता का विषय है।
गर्भपात को स्वास्थ्य का अधिकार नहीं मानती कुछ महिलाएं
अध्ययन में दावा किया गया है कि जिन तीन महिलाओं का साक्षात्कार लिया गया, उनमें से एक ने गर्भपात को स्वास्थ्य का अधिकार नहीं माना या इसके बारे में अनिश्चित थीं। गैर-सरकारी संगठन ‘फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज इंडिया' (एफआरएचएस इंडिया) द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि 32 प्रतिशत उत्तरदाता गर्भपात के कानूनी अधिकार के बारे में अनभिज्ञ थीं जबकि 95.5 प्रतिशत महिलाओं को एमटीपी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
नियमों के बारे में जागरूकता की है कमी
नैदानिक परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करने वाले एफआरएचएस इंडिया ने एमटीपी अधिनियम और सुरक्षित गर्भपात से संबंधित नियमों के बारे में जागरूकता के स्तर को लेकर किए गए अध्ययन के निष्कर्ष हाल में जारी किए हैं। एफआरएचएस ने यह अध्ययन दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में किया था। एफआरएचएस इंडिया में कार्यक्रम एवं भागीदारी मामलों की निदेशक देबंजना चौधरी ने कहा-‘‘एमटीपी अधिनियम में करीब डेढ़ साल पहले संशोधन किया गया था, लेकिन गर्भपात कराने वाली महिलाएं इस अधिनियम में किए गए बदलावों से अनभिज्ञ हैं।
इस अध्ययन ने बढ़ाई चिंता
हैरानी की बात तो यह है कि अध्ययन में शामिल हुई एक डॉक्टर भी इस बदलाव के बारे में नहीं जानते कि भ्रूण के गर्भपात की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है।'' अध्ययन में कहा गया कि यह ‘‘चिंताजनक'' है कि 99 प्रतिशत महिलाओं को एमटीपी अधिनियम में बदलाव के बारे में नहीं पता है।
क्या है MTP ऐक्ट
जैसा कि इस एक्ट के नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट गर्भपात से जुड़ा एक कानून है। यह प्रेग्नेंसी के मेडिकल टर्मिनेशन यानी प्रेग्नेंसी को खत्म करने की इजाजत देता है। MTP ऐक्ट के अनुसार- केवल बलात्कार पीड़िताओं, नाबालिगों, महिलाएं जिनकी वैवाहिक स्थिति गर्भावस्था के दौरान बदल गई हो, मानसिक रूप से बीमार महिलाओं या फिर फीटल मॉलफॉर्मेशन वाली महिलाओं को ही 24 हफ्ते तक का गर्भ गिराने की अनुमति है।
कानून में हो चुका है संशोधन
दुनिया के केवल 41 देशों में महिलाओं के लिए अबॉर्शन को संवैधानिक अधिकार दिया गया है। भारत भी इनमें से एक है, यहां पहली बार 1971 में गर्भपात कानून पास किया गया था, जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी यानी एमटीपी अधिनियम 1971 नाम दिया गया था। देश में पहले कुछ मामलों में 20 हफ्ते तक गर्भपात की अनुमति थी, लेकिन 2021 में इस कानून में संशोधन हुआ और यह समय सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी गई. हालांकि कुछ विशेष परिस्थिति में 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात की इजाजत दी जाती है।
क्या है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट?
दुनिया के केवल 41 देशों में महिलाओं के लिए अबॉर्शन को संवैधानिक अधिकार दिया गया है. भारत भी इनमें से एक है. भारत में पहली बार 1971 में गर्भपात कानून पास किया गया था, जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी यानी एमटीपी अधिनियम 1971 नाम दिया गया था.जैसा कि इस एक्ट के नाम से ही स्पष्ट हो रहा है कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट गर्भपात से जुड़ा एक कानून है. यह प्रेग्नेंसी के मेडिकल टर्मिनेशन यानी प्रेग्नेंसी को खत्म करने की इजाजत देता है. हालांकि इसके लिए कुछ चिकित्सकीय टर्म और कानूनी शर्तें हैं।