गंगाजल छिड़कते ही लौटी बुजुर्ग महिला की सांसें, अंतिम संस्कार की तैयारी में था परिवार
punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 12:22 PM (IST)

नारी डेस्क: झांसी के सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के भोजला गांव से एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक 90 साल की बुजुर्ग महिला माया देवी को मृत मानकर अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी, लेकिन गंगाजल छिड़कते ही उनकी सांसें अचानक से लौट आईं। इस घटना ने ना सिर्फ परिजनों को हैरान कर दिया, बल्कि पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई।
क्या हुआ था उस दिन?
परिजनों के अनुसार, शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे माया देवी की सांसें बंद हो गईं, शरीर ठंडा पड़ गया और कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी। घरवालों ने उन्हें काफी देर तक जगाने की कोशिश की, लेकिन कोई हरकत नहीं हुई। इसके बाद पास में रहने वाले एक कम्पाउंडर को बुलाया गया, जिसने उनकी नब्ज देखकर उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अंतिम संस्कार की होने लगी तैयारी
परिवार ने रिश्तेदारों और परिचितों को सूचना दे दी। घर में रोना-पीटना मच गया और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो गई। माया देवी को जमीन पर लिटाकर अगरबत्ती जलाई गई, लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए आने लगे।
गंगाजल ने लौटाई जिंदगी
करीब ढाई घंटे बाद, जब परिजन माया देवी के शरीर पर गंगाजल छिड़क रहे थे, तभी अचानक उनके शरीर में हलचल महसूस हुई। कुछ ही पल में उन्होंने धीरे-धीरे सांस लेना शुरू किया और आंखें खोल दीं। यह देखकर वहां मौजूद लोग हक्के-बक्के रह गए। एक पल को तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि जिसे वो मृत समझ रहे थे, वह फिर से जीवित हो गई हैं।
डॉक्टर्स क्या कहते हैं?
इस घटना पर डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया हो, तो इस तरह दोबारा सांसें लौटना आम तौर पर संभव नहीं होता। लेकिन कुछ मामलों में यह हो सकता है कि मरीज को सर्कुलेटरी शॉक (Circulatory Shock) या गंभीर बेहोशी (Unconscious State) हो जाती है, जिसमें शरीर प्रतिक्रिया देना बंद कर देता है और मृत अवस्था जैसा प्रतीत होता है। किसी बाहरी झटके या भावनात्मक असर से व्यक्ति की चेतना लौट सकती है।
कौन हैं माया देवी?
माया देवी झांसी के भोजला गांव में अपने परिवार के साथ रहती हैं। उनके तीन बेटे हैं – बड़ा बेटा बृजकिशोर, मंझला बेटा रामगोपाल और छोटा बेटा रामकिशन। परिवार में करीब 150 सदस्य हैं। उनका भतीजा संतोष वर्मा खुद को झलकारी बाई के वंशज के रूप में पहचानता है, जो रानी लक्ष्मीबाई के साथ 1857 की क्रांति में लड़ी थीं।
माया देवी की सांसें लौटने की घटना को लोग चमत्कार मान रहे हैं, जबकि मेडिकल एक्सपर्ट इसे शारीरिक शॉक की स्थिति बताते हैं। जो भी हो, परिवार के लिए यह घटना दूसरे जीवन के तोहफे से कम नहीं। माया देवी की सेहत अब ठीक बताई जा रही है और परिवार उन्हें दोबारा पाकर बेहद खुश है।